उत्तर प्रदेश में वाणिज्य कर विभाग और भारतीय स्टेट बैंक के लखनऊ सर्कल ने एक समझौता किया है जिसके तहत राज्य के व्यापारियों को वाणिज्यिक कर की अदायगी करने में मदद की जाएगी। इस बारे में दोनों पक्षों ने लखनऊ में सहमति पत्र
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ट्रेडर्स ई–फॉर्च्यून‘ नाम से शुरू इस योजना से उत्तर प्रदेश के करीब 5.5 लाख कारोबारियों को फायदा मिलने का अनुमान है। नई व्यवस्था के जरिए व्यापारी इंटरनेट के जरिए कभी भी टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। इंडियन ऑयल कारपोरेशन ने सबसे पहले ऑनलाइन टैक्स का भुगतान कर योजना का शुभारंभ किया। राज्य सरकार की कुल आय में वाणिज्यिक कर की हिस्सेदारी 73 प्रतिशत है। शिव कुमार ने बताया कि एसबीआई ने इस सुविधा को व्यापक बनाने के लिए राज्य के सभी वाणिज्यिक कर देनदारों के संपर्क में रहने का फैसला किया है।कारोबारी एक खास नंबर पर
‘सीओएमईएएक्स‘ एसएमएस करके इस सुविधा के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं। संदेश मिलने के बाद बैंक के अधिकारी व्यापारी से संपर्क करेंगे और उन्हें राज्य वाणिज्यिक कर के भुगतान के लिए ई–भुगतान सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करेंगे। इस सुविधा का फायदा लेने के लिए व्यापारियों को उत्तर प्रदेश वाणिज्यिक कर विभाग की वेबसाइट पर जा कर नेट बैंकिंग ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। यहां पर टैक्स पहचान नंबर (टीआईएन) के जरिए पहुंच कायम की जा सकती है। इसके जरिए कई चालान भरने की मौजूदा जटिल प्रक्रिया से भी छुटकारा पाया जा सकेगा।सीटीडी की वेबसाइट पर मौजूद फार्म को भरने के बाद व्यापारी वहां से एसबीआई की वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं। उन्हें वेबसाइट पर अपने खाते से डेबिट करने और सीटीडी के खाते में धनराशि को क्रेडिट करने के लिए दिए निर्देशों का पालन करना होगा।
उन्होंने बताया कि भुगतान के बाद रसीद तुरंत तैयार हो जाएगी और स्क्रिन पर दिखाई देने लगेगी। व्यापारी अपने रिकार्ड के लिए इस रसीद का प्रिंट ले सकते हैं या इसकी सीट कॉपी सुरक्षित रख सकते हैं।कारोबारी इस वेबसाइट के जरिए पूर्व में अदा किए गए टैक्स का पूरा ब्यौरा भी हासिल कर सकते हैं और उनका प्रिंट भी लिया जा सकता है। कुमार ने बताया कि ई
–फारर्च्यन योजना के जरिए न सिर्फ टैक्स का ऑनलाइन भुगतान किया जा सकता है बल्कि होम लोन या कार लोन के लिए आवेदन भी किया जा सकता है।