देश में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों की शृंखला में जेवर में तैयार होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा को बाधारहित संपर्क और टिकाऊ परिचालन की थीम पर विकसित कया जा रहा है। यहां पर यात्रियों का तीव्र हस्तांतरण, कम परिचालन लागत और अक्षय ऊर्जा के उपयोग का वादा किया गया है।
हवाईअड्डे के निर्माण के पहले चरण में केवल एक हवाई पट्टी बनाई जाएगी जहां से साल भर में 1.2 करोड़ लोग उड़ान भर सकेंगे। हवाईअड्डा 2024 से परिचालित हो जाएगा।
1,334 हेक्टेयर में फैले इस नए हवाईअड्डे को उत्तर प्रदेश सरकार और ज्यूरिख एयरपोर्ट के बीच सार्वजनिक निजी भागीदारी से विकसित किया जा रहा है। ज्यूरिख एयरपोर्ट ने अदाणी एंटरप्राइजेज और जीएमआर समूह को बोली में हराकर परियोजना हासिल की है। ज्यूरिख एयरपोर्ट पहले चरण में 5,700 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है और उसने भारतीय स्टेट बैंक से 3,725 करोड़ रुपये के ऋण के लिए समझौता किया है। नागरिक उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने अनुमान लगाया है कि हवाईअड्डे के पहले चरण की परियोजना लागत 8,916 करोड़ रुपये बैठेगी। उत्तर प्रदेश सरकार 4,326 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास और अवस्थापन पर खर्च कर रही है।
नोएडा एयरपोर्ट का वादा
दो टर्मिनल परिसर : हवाईअड्डा को मास्टर प्लान के तहत चार चरणों में विकसित किया जाएगा और यहां से 7 करोड़ यात्री हरेक वर्ष आ जा सकेंगे। निर्माण कार्य पूरा होने पर हवाईअड्डा में दो यात्री टर्मिनल होंगे। टर्मिनल 1 की क्षमता सालाना 3 करोड़ यात्रियों की होगी और टर्मिनल 2 की क्षमता सालाना 4 करोड़ यात्रियों की होगी। टर्मिनल 1 का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में सालाना 1.2 करोड़ लोगों के लिए और दूसरे चरण में सालाना 1.8 करोड़ यात्रियों के लिए अतिरिक्त क्षमता विकसित की जाएगी। टर्मिनल 2 का निर्माण भी दो चरणों में होगा। दोनों टर्मिनलों के फोरकोर्ट की सीधी पहुंच भूमिगत परिवहन केंद्र तक होगी।
तेजी से पहुंचाना : हवाईअड्डे के डिजाइन का फोकस कम परिचालन लागत और बाधारहित तथा घेरलू से घरेलू यात्रियों के साथ साथ घरेलू से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की आवाजाही की प्रक्रिया तीव्र करने पर है। हवाईअड्डा में एक दोलन विमान स्टैंड कॉन्सेप्ट होगा जिससे विमानन कंपनियों को एक ही एयरोब्रिज से विमान का बिना स्थान परिवर्तन किए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ान के लिए विमान के परिचालन में सहूलियत होगी। इससे विमान को तेजी से घुमाना और यात्रियों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया तेज होगी और जुड़ाव के लिए सबसे अच्छा वक्त मिलेगा।
ग्राउंड परिवहन केंद्र (जीटीसी) : जीटीसी में मेट्रो और तीव्र गति वाले रेल स्टेशन, टैक्सी और बस सेवा, कार पार्किंग और कॉन्कॉर्स हाउसिंग और लाउंज होंगे।
स्वच्छ ऊर्जा पर निर्भरता : हवाईअड्डा की योजना शून्य उत्सर्जन ईंधनों और सौर बिजली जैसे स्रोतों से अक्षय ऊर्जा के उपयोग को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की तकनीक और प्रक्रियाओं को लागू करने की है।
