उत्तराखंड में तीन परियोजनाओं के टलने के बाद अब यहां के गैर सरकारी संगठन इन मामलों पर कानून की सहायता लेने की योजना बना रहे हैं।
राज्य सरकार के परियोजनाओं को टालने के फैसले को गैर सरकारी संगठन ग्रामीण कानून एवं पात्रता केंद्र (आरएलईके)ने चुनौती देने का फैसला किया है।
संगठन ने एनटीपीसी की 600 मेगावाट क्षमता वाली लोहारी नागपाला परियोजना टालने के लिए सरकार के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का फैसला किया है।
राज्य की भागीरथी नदी के पास लगने वाली इस परियोजना में लगभग 2,800 करोड़ रुपये का निवेश किया जाना है। आरएलईके के चेयरमैन अवदेश कौशल ने बताया, ‘अपनी याचिका के जरिए हम इस बात पर जोर देंगे कि परियोजनाएं टालने से इनकी लागत बढ़ेगी। जिससे देश के सभी गांवों को बिजली मुहैया कराने की योजना में और देरी होगी।’
वहीं दूसरी तरफ इंडियन काउंसिल फॉर एनवाइरो लीगल एक्शन ने उत्तरकाशी और गंगोत्री के बीच भागीरथी पर बनने वाले बांध का काम रोकने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
काउंसिल ने भागीरथी का प्राकृतिक प्रवाह बनाए रखने और उसके आसपास के इलाकों की जैवविविधता को बनाए रखने के लिए इस क्षेत्र को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की है।
अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि अगर यह निर्माण कार्य नहीं रोका गया तो, उस क्षेत्र में मौजूद जैवविविधता को काफी नुकसान पहुंचेगा। इसके विरोध में आरएलईके ने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को दो बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को फिर से शुरू करने का आदेश देने के लिए याचिका दायर की है।
यह दो परियोजनाएं हैं- 480 मेगावाट क्षमता वाली पाला मनेरी और भैरोघाटी में लगने वाली 400 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना। आरएलईके ने अपनी याचिका में राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने कई धार्मिक समूहों के दबाव में आकर इन परियोजनाओं का निर्माण कार्य रोका है।