वैश्विक वित्तीय संकट, बाजार में छाई मंदी और तरलता संकट की परवाह न करते हुए मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों ने अपनी इकाई स्थापित करने की योजना बनाई है।
और तो और एफएमसीजी, अखबार, टेलीविजन और आईटी कंपनियां भी इसमें अपनी रुचि दिखा रही हैं। इमामी, मोजर बेयर, इंडिया बुल्स, भीलवाड़ा, दैनिक भास्कर और मिलेनियम डिस्टीलर्स ऐसी कुछ कंपनियां हैं, जो अब नए निवेश क्षेत्रों को तलाशने में जुट गई हैं।
हालांकि कई कंपनियां इस बाबत अपना प्रारंभिक काम भी क्रियान्वित नहीं कर पाई हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं, जो बड़े ही आक्रामक अंदाज में अपनी योजना को कार्यान्वित करने में जुटी हैं। लैंको इन्फ्राटेक, टॉरेन्ट पावर और जिंदल पाइप्स ऐसी कंपनियां है, जिनके सहमति पत्र को राज्य विद्युत विभाग ने रद्द कर दिया है।
इन कंपनियों ने पिछले साल सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया था। ऊर्जा सचिव संजय बंदोपाध्याय ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में विद्युत संयंत्र लगाने के लिए 60 से ज्यादा कंपनियां इच्छुक हैं।’ राज्य सरकार ने बिजली इकाई स्थापित करने के संबंध में 37 सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें से 24 या तो अगले चरण में प्रवेश कर पाई हैं या उन्होंने जमीन अधिग्रहण और पानी के प्रबंधन संबंधी काम पूरे कर लिए हैं।
इस साल की शुरूआत में मुश्किल से 12 कंपनियां ऐसी थी, जिसने इस संबंध में सरकार से बातचीत की थी। बंदोपाध्याय ने कहा, ‘झाबुआ पावर, एस्सार पावर, एसजेके पावरग्रीन, टुडे एनर्जी, आर्यन कोल, जयप्रकाश पावर, बीएलए पावर, रिलायंस पावर, एसकेएस इस्पात, डीबी पावर, गोयल एमजी गैसेज, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, मोजर बेयर पावर जैसी कुछ कंपनियां अगले चरण में प्रवेश कर चुकी हैं।’