कानपुर स्थित देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में एमसीए तृतीय वर्ष की छात्रा रुपाली शर्मा (बदला हुआ नाम) के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा
जब उनके कॉलेज में कुछ आईटी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कैंपस प्लेसमेंट के दौरान छात्रों से 50,000 रुपये की मांग की। हालांकि कंपनियों का कहना है कि छात्र-छात्राओं से यह रकम प्रशिक्षण लागत के रूप में ली जा रही है।
बहरहाल, इच्छुक छात्रों को पंजीकरण के लिए 5,000 रुपये भी अदा करने के लिए कहा गया है, जो वापस नहीं किए जाएंगे। कॉलेज के प्लेसमेंट अधिकारी बताया, ‘हम लोगों के पास दो आईटी कंपनियों से इस तरह के प्रस्ताव आए हैं।
इस तरह का कोई मामला पहले कभी नहीं हुआ है। हम लोग कभी भी उन कंपनियों को अनुमति नहीं दे सकते हैं जो हमारे छात्रों से इस तरह की पेशकश करती हों।’
विशेषज्ञों और मानव संसाधन परामर्शदाताओं का मानना है कि किसी कंपनी द्वारा इस तरह पैसे की मांग मध्यम वर्गीय द्वारा न तो स्वीकार्य है और न ही यह किसी भी रूप से कानूनी है।