छत्तीसगढ़ में नई चीनी मिल को परीक्षण के लिए भी गन्ने का इंतजार करना पड़ रहा है।
लगभग 47 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित यह संयंत्र उत्पादन के लिए बिल्कुल तैयार है। लेकिन इस संयंत्र के परिचालन के लिए गन्ने की आपूर्ति नहीं है।अब इसे ममाले से संबंधित अधिकारियों की गलत रणनीति या लापरवाही ही कहिए कि संयंत्र का काम शुरू करने के बाद भी इस क्षेत्र में गन्ना उगाने के लिए जोर नहीं दिया गया।
अधिकारियों ने बताया कि इस संयंत्र के परिचालन को लेकर आशंकाएं थी। इसीलिए किसानों ने गन्ने की फसल नहीं उगाई। इस बात की पुष्टि किसानों ने भी की। किसानों ने बताया कि इस संयंत्र के निर्माण के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई थी।
जिस कारण उन्हें लगा कि अगर संयंत्र का काम शुरू नहीं हुआ तो उनका काफी नुकसान होगा और इसीलिए उन्होंने गन्ना नहीं उगाया। लेकिन जब अधिकारियों ने इसके लिए कैंपेन की शुरुआत की तो किसानों ने गन्ने की फसल उगाने का फैसला किया है।
बालोद चीनी मिल के प्रबंध निदेशक उमेश तिवारी ने बताया कि इस संयंत्र का व्यावसायिक उत्पादन इसी महीने से शुरू होना तय था। उन्होंने बताया, ‘लेकिन इस संयंत्र की शुरुआत करने के लिए ही हमारे पास गन्ना उपलब्ध नहीं है।’
हालांकि उन्होंने भी कहा कि किसानों ने फसल बोने की शुरुआत कर दी है तो उम्मीद है कि नवंबर तक फसल तैयार हो जाएगी। इस साल के अंत तक इस संयंत्र का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया, ‘किसान इसी महीने शुरुआत करेंगे, इसमें कम से कम 8 महीने का समय तो लगेगा ही। इसीलिए हम व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन तो 8 महीने बाद ही शुरू कर पाएंगे।’
अधिकारियों ने बताया कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमारे पास इस संयंत्र के प्रायोगिक परिचालन के लिए भी गन्ना उपलब्ध नहीं है। बालोद चीनी मिल का उत्पादन 2003 में शुरू हुआ था। पिछले साल दिसंबर में ही इस संयंत्र का निर्माण कार्य पूरा किया गया है।
