महाराष्ट्र सरकार को लेकर जारी सियासी घटनाक्रम को देखते हुए अब माना जा रहा है कि उद्धव सरकार की उलटी गिनती शुरु हो गई। सत्ता की शतरंजी चाल में का प्रभाव उद्धव सरकार के समय शुरू की गई परियोजनाओं पर भी पड़ना तय माना जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा मेट्रो कार शेड के निर्माण में उलट फेर हो सकता है। विवादित कंजूरमार्ग मेट्रो कार शेड पर एक बार फिर राजनीतिक गहरा सकती है जिसके चलते मेट्रो परियोजना में और देरी होगी।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनते ही पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के ड्रीम प्रोजेक्ट आरे मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले उद्धव ठाकरे ने घोषणा की थी कि हम जब सत्ता में नहीं थे तो हमने आरे कार शेड प्रोजेक्ट का विरोध किया था। पर्यावरण की चिंता करने वाले लोगों ने भी इस पर आपत्ति जताई थी और इस प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग की थी। अब हमने इस प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया है। इस प्रोजेक्ट को रद्द करने के साथ ही इसे कंजूरमार्ग स्थानांतरित करने की भी घोषणा कर दी। आरे की 600 एकड़ जमीन को सरकार ने जंगल घोषित कर दिया जिससे यहां परियोजना का निर्माण होना मुश्किल हो गया।
कंजूरमार्ग कार शेड शुरु से ही विवादों में घिरा रहा है।आरे कॉलोनी क्षेत्र में कार शेड बनाने की पूर्व योजना को समाप्त करके राज्य सरकार ने लगभग 100 एकड़ जमीन पर मेट्रो परियोजना के लिए एक कार शेड कंजूरमार्ग में बनाने का प्रस्ताव दिया । इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर केंद्र, महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी के बीच विवाद अदातल तक पहुंच गया। राज्य सरकार जिस भूमि पर मुंबई मेट्रो के लिए एक कार शेड बनाना चाहती है । उस पर महाराष्ट्र सरकार, केंद्र, बृहन्मुंबई महानगरपालिका और कई अन्य सरकारी तथा निजी संस्थाओं ने अपने स्वामित्व का दावा किया है। यह मामला अभी भी अदालत में हैं।
मेट्रो-3 के लिए आरे से कंजूरमार्ग स्थानांतरित किये गए गए कारशेड का विवाद अभी तक सुलझ नहीं और सरकार विदाई की हालात में पहुंच गई है। राजनीत के जानकारों का कहना है कि देखा जाए तो पिछले ढाई साल में उद्धव सरकार ने कंजूरमार्ग कारशेड के अलावा कोई बड़ी परियोजना शुरु नहीं कर पायी। ऐसे में सरकार बदलने के बाद यह प्रोजेक्ट आरे कॉलोनी या फिर कहीं और शुरु किया जा सकता है। जबकि मेट्रो -3 का काम अंतिम चरण में है। कारशेड के बिना मेट्रो 3 लाइन का काम पूरा होने के बाद भी मेट्रो का सुचारु रुप से दौड़ना मुश्किल होगा। यानी मुंबईकरों को मेट्रो 3 का अभी और इंतजार करना होगा।
मेट्रो -3 की तरह वाडला से कासरवडवली तक निर्माणाधीन मेट्रो -4 के कारशेड की जमीन भी विवादों में है। ठाणे के घोडबंदर रोड में स्थित मोगरपाडा में मेट्रो -4 के लिए जमीन आरक्षित की गई जिस पर स्थानीय लोगों का कब्जा है। करीब 100 एकड़ जमीन 167 परिवारों का कब्जा है । स्थानीय विधायक प्रताप सरनाइक ने हाल ही में स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच समझौता कराने का दावा किया था लेकिन अभी भी यह जमीन अटकी हुई। इस इलाके के लोगों का कहना है कि सरकार बदलने के साथ ही समझौते भी बदल जाते हैं ऐसे में इस प्रोजेक्ट के भी अटकने की संभावना जताई जा रही है।