पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए भवानीपुर में प्रतिष्ठा की जंग जीत ली है। ममता ने 58,000 से भी अधिक मतों के अंतर से उस गंभीर उपचुनाव में फतह हासिल की, जिससे उन्हें पद पर बने रहने की अनुमति मिलती है। रविवार को चुनाव परिणाम घोषित किए जाने के बाद ममता ने कहा, ‘हमने निर्वाचन क्षेत्र के हर वार्ड में जीत दर्ज करते हुए 58,835 मतों के अंतर से भवानीपुर में फतह की है।’ उन्होंने कहा ‘निर्वाचन क्षेत्र के करीब 46 प्रतिशत लोग गैर-बंगाली हैं और उन सबने मुझे वोट दिया है।’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रियंका टिबरेवाल को 26,428 वोट मिले, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) के श्रीजीव विश्वास केवल 4,226 वोट ही हासिल कर पाए। टिबरेवाल ने ट्वीट किया ‘मैं लोगों के स्नेह और अपने पार्टी नेतृत्व तथा कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता से अभिभूत हूं, जिन्होंने मुझसे भी कई गुना अधिक प्रयास किया। मैं अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करती हूं… मैं लोगों की सेवा में और अधिक जोश के साथ पुन:समर्पित हूं।’ पश्चिम बंगाल में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने भवानीपुर से 28,719 मतों से जीत हासिल की थी। चट्टोपाध्याय ने ममता के लिए रास्ता बनाने के लिए अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया था, जो नंदीग्राम से काफी कम अंतर से हार गई थीं। भले ही उन्होंने पश्चिम बंगाल में पार्टी को शानदार जीत दिलाई थी। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्हें छह महीने के भीतर उनका चुना जाना जरूरी था। परिणाम बताते हैं कि ममता ने न केवल अपने पद पर बना रहना ही सुनिश्चित कर लिया है, बल्कि वह वर्ष 2011 के उप-चुनाव में अपने खुद के 54,213 मतों के अंतर को भी पीछे छोडऩे में कामयाब रही हैं। वह एक ऐसा ऐतिहासिक वर्ष था, जिसने राज्य में 34 साल के वाम शासन का पर्दा गिरा दिया था। वर्ष 2016 में उन्होंने 25,301 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। विधानसभा क्षेत्रों – शमशेरगंज और जंगीपुर के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने क्रमश: 26,379 और 92,480 मतों से जीत हासिल की। वर्ष 2016 में इसने शमशेरगंज को 1,780 मतों और जंगीपुर को 20,633 मतों के अंतर से जीता था।
इस महानगरीय निर्वाचन क्षेत्र में मारवाड़ी, गुजराती, पंजाबियों और अन्य गैर-बंगालियों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक की है। इसने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 185 मतों की मामूली बढ़त दिलाई थी। राजनीतिक विश्लेषक सब्यसाची बसु रे चौधरी ने कहा कि इस उपचुनाव में यह ममता के लिए एक जोरदार जीत है, क्योंकि 70 और 77 के गैर-बंगाली आबादी वाले वार्डों ने भी उनके पक्ष में मतदान किया है। हालांकि यह केवल एक उपचुनाव ही है, लेकिन तृणमूल इस जीत के जरिये वर्ष 2024 के आम चुनाव के लिए पार्टी की लड़ाई को मजबूत करना चाहती है। पहले ममता ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि यह वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों की दिशा में अगला कदम है।
