बाढ़-बारिश, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से परेशान महाराष्ट्र सरकार केंद्र सरकार पर खुलकर आरोप लगा रही है कि वह राज्य को प्राप्त सहायता नहीं दे रही है। राज्य में राहत एवं पुनर्वास के काम में विलंब की वजह केंद्र सरकार की भेदभाव वाली नीति है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण इस साल राज्य में अभी तक 436 लोगों की जान जा चुकी है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मराठवाड़ा इलाके का जायजा लेने के बाद कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र में भारी बारिश के कारण किसानों की फसल बह गई, लेकिन हम सरकार के रूप में इन किसानों के साथ हैं। प्रशासन को उनकी हर संभव मदद करने का निर्देश दिया है। फिलहाल बचाव और आपातकालीन राहत कार्य में तेजी लाई जाए और राजस्व विभाग और कृषि विभाग के द्वारा नुकसान का मुआयना कर पंचनामा करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। सतत बारिश के कारण कहीं-कहीं बगीचों को नुकसान पहुंचा है और फसलें बह गई हैं। यह एक अभूतपूर्व स्थिति है ।
केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि जब प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की मदद के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने की बात आती है तो केंद र सरकार को राज्यों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए। मंत्रिमंडल के मेरे सहकर्मी विजय ने कहा था कि 8,000 से 9,000 करोड़ रुपये बकाया है। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने भी केंद्र सरकार पर पक्षपात करने और राज्य को जरूरी मदद नहीं करने का आरोप लगाया। जबकि प्रदेश ने पिछले एक साल में कम से कम तीन प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है।
राज्य के राहत एवं पुनर्वास कार्य मंत्री विजय वडेट्टीवार ने कल दावा किया था कि राज्य ने इस साल विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई क्षति से निपटने के लिए 7,700 करोड़ रुपये की सहायता राशि मांगी थी, लेकिन केंद सरकार ने सिर्फ 1,100 करोड़ रुपये दिए। उन्होंने कहा कि यह (7,700 करोड़ रुपये) नुकसान की अनुमानित लागत थी, जो चक्रवात, बेमौसम और अत्यधिक भारी बारिश के कारण हुआ था।
उन्होंने आरोप लगाया कि जुलाई में आई बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए केन्द्रीय टीम अभी तक नहीं आयी है, जबकि बाढ़ से 1,659 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचने का आकलन है। उन्होंने दावा किया कि इन प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष और राज्य आपदा मोचन कोष के धन का उपयोग करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के अनुरोध को खारिज कर दिया। जबकि 17 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन में खड़ी फसल इस मानसून में मूसलाधार बारिश और बाढ़ के कारण बरबाद हुई है और 27-28 सितंबर को हुई बारिश से राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में और चार हजार हेक्टेयर में खड़ी फसलों को नुकसान होने का अनुमान है।
वडेट्टीवार के मुताबिक प्राकृतिक आपदाओं के कारण इस साल राज्य में अभी तक 436 लोगों की जान जा चुकी है। जिन 436 लोगों की जान गई है, उनमें से 6 लोगों के शव अब तक नहीं मिल सके हैं। 136 लोग जख्मी हुए हैं। उस्मानाबाद, लातूर, औरंगाबाद और जलगांव में एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस ने मिलकर 100 लोगों को बचाया है । एनडीआरएफ की एक टीम उस्मानाबाद और एक टीम लातूर में तैनात होकर हेलिकॉप्टर से इन दो जिलों में बचाव कार्य कर रही है ।
कोविड-19 के कारण जान गंवाने वालों के परिजन को 50,000 रुपये का भुगतान करने की केंद्र द्वारा उच्चतम न्यायालय को जानकारी देने के सवाल पर अजीत पवार ने कहा कि एक बार जब केंद्र सरकार राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ) में राशि जमा कर देगी, तो हम निर्देशों के अनुसार भुगतान करेंगे। केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह, उच्चतम न्यायालय को बताया था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने सिफारिश की है कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजन को 50,000 रुपये दिए जाएं। उसने कहा था कि राज्यों द्वारा एसडीआरएफ से अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी।
