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उत्तर प्रदेश में जीना हुआ मुहाल

Last Updated- December 07, 2022 | 6:45 PM IST

उत्तर प्रदेश में बीते एक सप्ताह से जारी बारिश के चलते बाढ़ का प्रकोप बढ़ गया है। गंगा, यमुना और गोमती नदीर् कई जगह पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।


लखीमपुर में शारदा नदी, बस्ती में कुआनों, बलरामपुर में राप्ती खतरे के निशान से उपर बह रही है। घाघरा अयोध्या में खतरे के निशान से उपर बह रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों बीते एक सप्ताह से जारी बारिश के बाद 21 जिलों में बाढ़ की स्थिति भयावह हो चली है। माया सरकार ने जरुरी कदम उठाते हुए इन सभी जिलों को संवेदनशील घोषित कर दिया है।

अच्छी बारिश के चलते जो धान की रोपाई इस महीने के अंत तक पूरी हो जाने की आशा थी वह थम सी गयी है। अच्छे मौसम को देखते हुए इस साल कृषि विभाग ने करीब 60 लाख हेक्टेयर धान की रोपाई का लक्ष्य रखा था जिसके उलट अब तक 65 लाख टन धान की बोआई हो चुकी है।

लगातार बारिश के चलते अब तक बलरामपुर, सिध्दार्थनगर, बाराबंकी, गोरखपुर, संत कबीर नगर, बलिया और देवरिया में कई लाख हेक्टेयर फसल बरबाद हो चुकी है। प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता के अनुसार अति संवेदनशील 11 जिलों में राहत के लिए 3-3 करोड़ रुपये और संवेदनशील 22 जिलों के लिए 2-2 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

गुप्ता के मुताबिक गोरखपुर और सिध्दार्थनगर जिलों मे जितना पानी पूरे साल बरसता है उतना अभी तक बरस चुका है। कई जिलों में बारिश ने पूरी फसल बरबाद कर दी है तो प्रदेश के कुछ हिस्सों से धान की पौध के गलने की भी खबर है।

कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसे किसानों को फिर से रोपाई की सलाह दी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि धान गल जाने की दशा में खाली खेतों में उड़द और मूंग बोकर नुकसान को कुछ हद तक टाला जा सकता है।

First Published - August 26, 2008 | 9:54 PM IST

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