उत्तर प्रदेश में सातवें व आखिरी चरण के चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का सघन प्रचार भी मतदाताओं को उत्साहित कर पाने में नाकाम रहा है। सोमवार को सातवें चरण के लिए हुए मतदान में मतदाताओं की बेरुखी एक बार फिर नजर आई और पिछले चुनावों के मुकाबले कम ही वोट पड़े। शाम पांच बजे तक सातवें चरण में 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर 54.18 फीसदी मतदान हुआ। सातवें चरण में कुल मतदान 57 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान है। चुनाव आयोग ने अभी मतदान के अंतिम आंकड़े जारी नहीं किए। पिछले 2017 के विधानसभा चुनावों में इन्हीं सीटों पर 59.56 फीसदी वोट पड़े थे।
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और अखिलेश यादव की सीट आजमगढ़ पर सबसे कम मतदान हुआ। वहीं नक्सल प्रभावित दुर्गम जिलों सोनभद्र और चंदौली में बड़ी तादाद में लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सातवें चरण में सोमवार को आजमगढ़, भदोही, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ, मिर्जापुर, सोनभद्र और वाराणसी जिलों में मतदान हुआ। जहां शाम पांच बजे तक वाराणसी में महज 52.95 फीसदी, आजमगढ़ में 52.31 तो गाजीपुर में 52.73 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं चंदौली में 59.54 और सोनभद्र में 56.86 फीसदी मतदान हुआ। मऊ जिले में शाम पांच बजे तक 55.04 तो जौनपुर में 53.55 और भदोही में 54.26 फीसदी वोट डाले गए।
प्रदेश में हुए बाकी चरणों की ही तर्ज पर इस बार भी शहरी इलाकों में धीमा तो ग्रामीण क्षेत्र में तेज मतदान हुआ। वाराणसी जिले की शहरी सीटों पर मतदाताओं में उत्साह की कमी दिखी जबकि सोनभद्र व चंदौली जहां मतदान के घंटे घटाकर शाम चार बजे तक ही किया गया था वहां अपेक्षाकृत ज्यादा वोट पड़े हैं। वाराणसी के पाश कैंट विधानसभा क्षेत्र में तो शाम पांच बजे तक महज 48. 5 फीसदी वोट ही डाले गए।