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सब निगल गई कोसी

Last Updated- December 07, 2022 | 7:02 PM IST

बिहार में कोसी नदी ने अपनी राह क्या बदली, मधेपुरा जिले के राकेश कुमार सिंह का तो सबकुछ लुट गया। कोसी की उफनती रफ्तार ने उनकी लाडली बेटी और उनकी मां को निगल लिया। काफी मुश्किल से वह अपनी पत्नी और अपने बेटे को बचाए पाए।


अब उन्होंने रोना बंद कर दिया है। इसलिए नहीं कि उनका दर्द कम हो गया है या फिर उनकी आंखों के आंसू सूख गए हों। लेकिन इसलिए क्योंकि अपने परिवार को बचाए रखने के लिए उन्हें अब ज्यादा बड़ी चिंता सताए जा रही है। वह अपने परिवार को खिलाएंगे क्या?

खेत में खड़ी उनकी जूट की फसल बाढ़ की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। अब तक भाई की मदद से उनका काम चल रहा है, लेकिन आगे क्या होगा? राकेश इकलौते ऐसे शख्स नहीं हैं, जिनकी फसल बाढ़ की वजह से बर्बाद हुई है। कोसी के पानी ने जो कहर बरपाया है, उससे कई सारे लोगों जिंदगी का सहारा छीन गया है। विश्लेषकों की मानें तो इस बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान तो जूट की फसल को हुआ है।

परेशान चेहरे और डबडबाई आंखों वाले राकेश का कहना है, ‘मेरा तो सब कुछ यह बाढ़ निगल गई। पिछले बार की कमाई तो बेटी के इलाज में खर्च हो गई थी और इसलिए मैंने इस बार एक लाख रुपये कर्ज लेकर खेती की थी। लेकिन भगवान को लगता है, हमारी खुशी सुहाई नहीं। मेरा तो सब कुछ खत्म हो गया।’

राकेश आजकल अपने भाई के पास दिल्ली आए हुए हैं। उन्हीं की तरह उत्तर बिहार के कई जूट उत्पादकों की भी हालदत भी बद से बदतर हो चुकी है। विश्लेषकों के मुताबिक इस पूरे इलाके में जूट का काफी उत्पादन होता है। ऐसे में बाढ़ के आने की वजह से सबसे ज्यादा असर भी इसके ही उत्पादकों पर हुआ है।

आंकड़ों की मानें तो दुनिया में सबसे ज्यादा जूट का उत्पादन अपने ही मुल्क में होता है। अपने देश में भी सबसे ज्यादा उत्पादन बंगाल और उत्तर बिहार में होता है। ये दोनों सूबे मिलकर मुल्क को उसके कुल उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा मुहैया करवाते हैं। ऐसे में कोसी की उफनती धारा का असर जूट के कुल उत्पादन पर भी पड़ने की पूरी उम्मीद है।

बाढ़ प्रभावित जिले कटिहार के सासंद निखिल कुमार चौधरी का कहना है कि, ‘यहां तो बाढ़ ने सबकुछ तहस नहस करके रख दिया है। यहां लोगों की काफी फसल बर्बाद हो चुकी है। खास तौर पर धान और जूट उत्पादकों पर तो इसका काफी असर पड़ा है। जूट की फसल के साथ सबसे मुश्किल चीज यह होती है कि पानी लगते ही इसके खराब हो जाने की आशंका बढ़ जाती है।

यहां तो पिछले हफ्तों से खेतों में पानी लगा हुआ है। ऊपर से बारिश भी रुकने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में फसल क्या खाक बचेगी। धान उत्पादकों की भी हालत काफी खराब है। मधेपुरा, कटिहार, पूर्णिया और बाढ़ से प्रभावित दूसरे इलाकों में तो धान उत्पादकों पर भी काफी असर पड़ा है। यहां तो लोगों का जीना मुहाल हो गया है। उनके हुए नुकसान के बारे में तो बात ही मत करिए, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। साथ ही, यहां केला उपजाने वाले लोगों पर भी जबरदस्त तरीके से असर पड़ा है।’

First Published - August 28, 2008 | 10:46 PM IST

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