महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के औद्योगिक पार्क में स्थित उद्योगों को राज्य सरकार ने राहत देने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने शहरी विकास मंत्रालय को औद्योगिक पार्क को औद्योगिक टाउनशिप का दर्जा देने के लिए अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है। ऐसा होने के बाद इन परिसरों में स्थित उद्योगों को दोगुना कर भरने से राहत मिलेगी।
फिलहाल उद्योगों को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम को सड़क, पानी , बिजली कर सहित बाकी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी कर चुकाना पड़ता है। इसके अलावा जिस नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में यह पार्क आते हैं उस निगम को भी इन उद्योगों को चुंगी और संपत्ति कर का भुगतान करना पड़ता है।
उद्योगों को दोगुना कर चुकाने से राहत देने के लिए राज्य विद्यायिका ने टाउन प्लानिंग अधिनियम 2003 में संशोधन को पहले ही पारित कर दिया है। लेकिन राज्य के प्रभावशाली राजनीतिज्ञों ने अधिनियम में संशोधनों का विरोध किया था।
राज्य के कई नगर निगम राजनितिज्ञों की देखरेख में काम कर रहे हैं। इन सभी ने इस अधिसूचना का विरोध किया था क्योंकि इससे नगर निगमों को काफी नुकसान होने की आशंका है। इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि इस अधिनियम में किए गए संशोधन विद्यायिका में पारित किए गए तब चव्हाण ही उद्योग मंत्री थे।
शहरी विकास और उद्योग मंत्रालय भी संभालने वाले चव्हाण ने कुछ दिन पहले ही दोनों मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने इस अधिसूचना के लागू होने में हो रही देरी पर चिंता जताई थी। इसी बैठक में उन्होंने अधिकारियों को इस अधिसूचना को जल्द से जल्द लागू करने के निर्देश दिए थे।
राज्य सरकार के पास स्थानीय उद्योग संगठनों की ओर से साल 2003 से ही औद्योगिक टाउनशिप बनाने के लिए लगभग 16 प्रस्ताव आए थे। लेकिन इनमें से किसी पर भी कोई योजना नहीं बनाई गई थी। इसमें नवी मुंबई का ऐरोली नॉलेज पार्क, तालेगांव औद्योगिक पार्क और हिंजेवाड़ी आईटी पार्क परियोजना, नागपुर में बुट्टीबोरी, नासिक में सिन्नर परियोजना और औरंगाबाद में शेंद्रे व वालनुज परियोजना भी शामिल हैं।
चव्हाण ने उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों को ग्रामपंचायतों की कानूनी हद में रहने वाले उद्योगों के लिए भी इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया है। उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चव्हाण ही दोनों मंत्रालय देखते हैं तो इस अधिसूचना को जारी करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।