मोहम्मद साजिद पिछले सात सालों से नई दिल्ली में सिटी बस चलाते हैं। गर्मी के दिनों में तपती धूप में बिना एसी वाले बस में चलना काफी मुश्किल होता जाता है। लेकिन अब उन्हें राहत मिल गई है क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 150 इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाकर नई शुरुआत कर दी गई। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में 24 मई से नई बसें जुड़ गई हैं। जनवरी में शहर में पहली बार दो ई-बसों के साथ शुरुआत की गई थी। 26 मई तक नई बसें प्रायोगिक आधार पर चलाई जा रही थीं और इसने यात्रियों को मुफ्त सवारी की सुविधा भी दी। हालांकि ये नई ई-बसें बस डिपो से डिपो तक ही चलती थीं और इनका कोई रास्ता नहीं तय किया गया था। बिज़नेस स्टैंडर्ड के संवाददाता ने जब दोपहर में बस की सवारी की तब साजिद के साथ एक कंडक्टर और एक मार्शल थे। यह बस सेंट्रल दिल्ली में इंद्रप्रस्थ डिपो की ओर जा रही थी। कोई भी यात्री ऐसी बसों की सवारी नहीं करता है जिसका रूट नंबर तय नहीं हो। इसी वजह से यह खाली ही रही।
हल्के नीले रंग की बस बनावट में लो-फ्लोर एसी बसों की तरह ही है और यह शहर में सीएनजी से ही चल रही हैं। इसमें आपातकालीन सुरक्षा स्टॉप बटन, सीसीटीवी कैमरा और जीपीएस से यात्रियों से जुड़ा सूचना तंत्र भी लगा हुई है। गुलाबी रंग की सीटें महिलाओं के लिए हैं और विकलांग लोगों की सुविधा के लिए भी सुविधा इसमें दी गई है। इंजन न होने की वजह से मोटर संचालित बसों में आवाज नहीं होती है। बस के अंदर लगातार पंखे की आवाज सुनाई देती है।
यह परीक्षण सहज रहा है और ये बसें भी सुरक्षा प्रणाली से लैस हैं जिसमें अग्निशमन की व्यवस्था भी है। साजिद का कहना है कि ई-बसें प्रदूषण कम करने में मददगार साबित होंगी।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने ई-बसों को वायु प्रदूषण के खिलाफ अभियान में एक निर्णायक मोड़ बताया है जिसमें वाहनों के उत्सर्जन का अहम योगदान है। स्विटजरलैंड के संगठन आईक्यूएयर द्वारा जारी 2021 की वल्र्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सबसे अधिक प्रदूषण ग्रस्त राजधानी है और यह दुनिया में चौथा सबसे अधिक प्रदूषण वाला शहर है।
अनुमान के मुताबिक नई बसों की वजह से कुल बसों की तादाद बढ़कर 7,200 हो गई है और प्रदूषण से निपटने के लिए कम से कम 11,000 बसों की जरूरत होगी। राज्य सरकार ने 2023 तक 2,000 नई ई-बसों का लक्ष्य तय कर रखा है। सार्वजनिक परिवहन में अतिरिक्त इलेक्ट्रिक वाहन को सभी लोगों के लिए लाभदायक माना जाता है।
गुरुग्राम की कंपनी जेबीएम ऑटो का कहना है कि इको-लाइफ इलेक्ट्रिक बसें 10 सालों तक 1,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड की बचत करती हैं। पिछले दो सालों तक जेबीएम ऑटो भारत में पिछले दो सालों से ई-बसों का संचालन कर रही जिसकी शुरुआत नवी मुंबई से हुई और इसके अहमदाबाद, बेंगलूरु और झांसी के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप में भी इसका संचालन शुरू हुआ। डीटीसी वैसी ई-बसों को तरजीह दे रही है जो एक बार चार्ज होने के बाद 120-140 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है ऐसे में वाहनों को भी कस्टमाइज किया गया है। जेबीएम ने चार्जर लगाए हैं जो अधिकतम दो घंटे में एक बस को पूरी तरह से चार्ज कर सकता है। 24 मई को तीन नए चार्जिंग डिपो का उद्घाटन दिल्ली में किया गया था। भारत में ईवी वाहनों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं जिसकी वजह से सुरक्षा को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं। इस पर जेबीएम ऑटो के एक अधिकारी का कहना है कि इस तरह की घटना दो पहिया वाहनों में अधिक देखी जा रही है और इस तरह की घटनाओं का जोखिम ई-बसों में न्यूनतम है। ई-बसों में सुरक्षा फीचर है जैसे कि बैटरी प्रबंधन, आग के बारे में तुरंत पता चल सकता है। इसके अलावा एक सेंट्रल सर्वर के जरिये डेटा निगरानी की जाती है।
ई-बसें भारत के लिए नईं नहीं हैं। देश में फरवरी 2014 में बेंगलूरु में पहली बार इलेक्ट्रिक बस की शुरुआत हुई थी। हालांकि ई-बसों को अपनाने की रफ्तार अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में कम रही है। एसऐंडपी ग्लोबल के निदेशक (ऑटोमोटिव फोरकास्टिंग) पुनीत गुप्ता का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बाद से ही स्वच्छ ऊर्जा और इससे जुड़ी प्रौद्योगिकी पर जोर दिया जा रहा है। उनका कहना है कि न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में ग्राहकों को ईवी वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नीतिगत स्तर पर दिल्ली ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की आक्रामक योजना बनाई है मसलन दिल्ली सरकार ने 2024 तक दिल्ली में बिकने वाले हर चार वाहनों में एक इलेक्ट्रिक वाहन होने जैसा अनुपात हासिल करने का लक्ष्य हासिल किया है। गुरुग्राम की सलाहकार कंपनी जेकेएम रिसर्च की संस्थापक ज्योति गुलिया का कहना है कि सरकारी वाहनों का रुझान इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की तरफ बढऩा आर्थिक पहलू के लिहाज से सार्थक भी है कि क्योंकि सीएनजी की कीमतें भी अब बढ़ रही हैं। उनका कहना है कि एक शहर से दूसरे शहर की यात्रा भी अब मुश्किल नहीं होगी क्योंकि ई-बसों के लिए चार्जिंग का बुनियादी ढांचा राजधानी बढ़ाया जा रहा है। उनका कहना है, ‘ई-बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन, डिपो में लगाए जाएंगे जबकि सीएनजी बसों को फ्यूल पंप पर गैस भराने के लिए जाना पड़ता है।’
दुनिया के सबसे प्रदूषित जगहों में शामिल देश के महानगरों और बड़े शहरों में सार्वजनिक परिवहन के लिए ईवी का अपनाना अहम होगा।
