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बढ़ गई बंदूक की मांग

Last Updated- December 07, 2022 | 8:44 PM IST

ओलंपिक में एक अरसे के बाद व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला सोने का मेडल जीत कर अभिनव बिंद्रा ने देश के लोगों के चेहरे पर मुस्कान तो ला दी पर लखनऊ और कानपुर के बंदूक कारोबारियों की खुशी की वजह कुछ और ही है।


पेइचिंग में मिले सोने के तमगे ने उत्तर प्रदेश के निशानेबाजों को उत्साह से भर दिया है जिसके चलते बीते एक पखवाड़े से बिक्री में तेज इजाफा देखने को मिल रहा है। लोगों का उत्साह देख कर लखनऊ नगर निगम ने तो अपने खर्चे पर एक राष्ट्रीय स्तर के शूटिंग रेंज को बनाने का ऐलान कर दिया है।

लखनऊ के मेयर डॉ. दिनेश शर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नगर निगम न केवल शूटिंग रेंज के लिए जमीन देगा बल्कि जरुरी धन भी उपलब्ध कराएगा। इस शूटिंग रेंज की लागत 50 लाख रुपये आने का अनुमान लगाया जा रहा है। दरअसल बीते कुछ सालों से उत्तर प्रदेश में बंदूक के कारोबार में कई वजहों से गिरावट का दौर चल रहा था।

प्रदेश में नक्सल प्रभावित इलाकों में गन हाउस से ली गयीं बंदूकें पहुँचने के चलते शस्त्र लेने की प्रक्रिया को खासा जटिल कर दिया गया था।  पर अब स्थितियों मे सुधार देखा जा रहा है। मांग बढ़ने के कारण इस समय लखनऊ में एयर रायफल का किसी भी दुकान पर मिलना मुश्किल हो गया है।

राजधानी के लाटूश रोड पर स्थित बंदूक बाजार में एयर रायफल की भारी किल्लत चल रही है। अभी तक निशानेबाजों की गतिविधियों का केंद्र रहे नारंग शूटिंग रेंज में अच्छी खासी भीड़ देखी जा रही है। हालांकि यहां निशानेबाज एयर रायफल के अलावा भारी बंदूकों और ट्रैप शूटिंग में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।

गोमती नदी के किनारे पर तैयार किए गए इस शूटिंग रेंज में बाढ़ के बावजूद हर रविवार को खासी तादाद में लोग जुट रहे हैं। कानपुर के किसान गन हाउस के मालिक रवींद्र सिंह के मुताबिक हालांकि आजकल एयर रायफल की मांग तो बढ़ी है पर लोग ज्यादा भारी बंदूकों के प्रति भी उत्साह दिखा रहे हैं।

उनका कहना है कि वड़े बोर की रायफल के लिए भी लोगों का क्रेज इधर बढ़ा है। पर एयर रायफल की डिमांड तो कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है। जहां भारतीय ब्रांड की ठीक-ठाक एसडीबी मॉडल, टॉमी, नेशनल, एमको एयर रायफल बाजार में 2800 से 3000 रुपये में मिल रही हैं वहीं जर्मन डॉयना की कीमत 25,000 रुपये चल रही है और उसके भी खरीददार आ रहे हैं।

रवींद्र का कहना है कि बीते साल जहां 1000 रायफल बिकीं थी वहीं इस साल आंकड़ा 2000 को पार करेगा। उनका कहना है कि हालात बदल गए हैं और अब वह बीते साल के 20 बंदूकें प्रति माह के मुकाबले कम से कम 50 बंदूकें बेच लेंगे।

First Published - September 11, 2008 | 9:36 PM IST

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