हीरा उद्योग को संकट से उबारने के लिए देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के पास एक अनोखा सुझाव है।
संस्थान का कहना है कि अगर हीरा उद्योग को आपस में कीमतों को लेकर चल रही लड़ाई को खत्म करना है तो उनके लिए सहकारी समूह बनाना होगा और पॉलिश हीरों को एक साथ बेचना फायदेमंद रहेगा।
आईआईएम अहमदाबाद में 40 छात्रों के दल ने एक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला है कि मौजूदा समय में हीरे की पॉलिशिंग इकाइयां बिखरी पडी हैं और वे कारोबारियों को अलग अलग हीरे बेचते हैं। इस तरह वे आपस में ही कीमतों को लेकर लड़ते रहते हैं।
इस स्थिति से बचने के लिए ‘डायमंड पॉलिशर्स सुसाइड्स’ नाम के इस अध्ययन में सुझाव दिया गया है, ‘पॉलिशिंग इकाइयों को सहकारी समूह का गठन करना चाहिए और एक साथ मिलकर पॉलिश हीरों की बिक्री करनी चाहिए ताकि कीमतों को लेकर उनमें अपास में कोई विवाद न खड़ा हो।’
पिछले कुछ समय से हीरे के कारोबार से जुड़े कई कर्मियों ने आत्महत्या की है और इसी को देखते हुए आईआईएम के छात्रों ने यह अध्ययन करने का निर्णय लिया। इस अध्ययन में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए छात्रों ने हीरे कारोबारियों, कर्मियों से बात की और फील्ड का भी दौरा किया।
दरअसल हीरा उद्योग के लिए नवंबर 2008 से ही हालात बिगड़ने शुरू हो गए थे। जहां 1996 में इस उद्योग से 1.5 लाख पॉलिश कर्मी जुड़े थे, मौजूदा समय में यह संख्या घटकर 20,000 रह गई है।