हिमाचल प्रदेश में सर्दियों की शुरूआत के साथ ही बिजली उत्पादन घट गया है जबकि मांग में तेजी पहले की तरह ही बनी हुई है।
इस कारण राज्य सरकार ने केंद्रीय कोटे से 22 लाख यूनिट अतिरिक्त बिजली की मांग की है। ऊंचे पहाड़ों पर ज्यादातर पानी के स्रोत्र ठंड से जमते जा रहे हैं और हिमालय ने निकलने वाली नदियों का प्रवाह धीमा पड़ने के साथ ही जल विद्युत उत्पादन में कमी आई है।
एक समय में बिजली की अधिकता वाले हिमाचल प्रदेश को अब पंजाब और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों तथा केंद्र सरकार से बिजली खरीदनी पड़ रही है।
राज्य सरकार के विशेषज्ञों का अनुमान है कि विभिन्न राज्यों के साथ किए गए आदान-प्रदान समझौतों के बावजूद नवंबर 2008 से मार्च 2009 के दौरान करीब 35 करोड़ यूनिट बिजली की कमी होगी।
इन समझौतों के तहत उत्तर भारतीय राज्यों को गर्मियों के दौरान बिजली वापस कर दी जाती है। गर्मियों के दौरान हिमाचल में बिजली की मांग घट जाती है और उत्पादन में तेजी देखने को मिली है। दूसरी ओर इस दौरान इस दौरान मैदानी इलाकों में मांग बढ़ जाती है।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है। इस समय मांग बढ़कर प्रतिदिन 180 लाख यूनिट हो गई है जबकि प्रति दिन केवल 165 लाख यूनिट बिजली ही मौजूद है।
राज्य के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस बारे में केन्द्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे से नई दिल्ली में मुलाकात की है। इस दौरान धूमन ने केंद्रीय कोटे से 22 लाख यूनिट बिजली आवंटित करने का आग्रह किया ताकि राज्य में बढ़ी हुई मांग को पूरा किया जा सके।