गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 30 करोड़ लोगों का स्वास्थ्य बीमा किया जाएगा।
देश में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के वास्ते सरकार ने कॉरपोरेट घरानों को मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए विशेष सुविधा देने का फैसला किया है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने का भी मन बनाया जा रहा है।
फिक्की द्वारा आयोजित स्वास्थ्य मेले के अवसर पर योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि कॉरपोरेट कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा को अनिवार्य कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि तीन-चार सालों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी लोगों का स्वास्थ्य बीमा कर दिया जाएगा।’
उन्होंने यह भी कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र को स्वास्थ्य सेवा में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करनी चाहिए। इतनी अधिक संख्या में बीमा होने से अस्पतालों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी जिससे स्वास्थ्य सेवा उम्दा होगी। देश में मात्र 12 फीसदी लोग ही किसी न किसी स्वास्थ्य बीमा स्कीम के तहत सुरक्षित है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक 30 करोड़ लोगों का बीमा होने के बाद काफी अधिक संख्या में अस्पतालों की जरुरत पड़ेगी।
फिक्की के आंकड़ों के मुताबिक देश की 40 फीसदी जनसंख्या वाले 6 राज्यों में प्रति 1000 व्यक्ति पर अस्पताल के मात्र 0.7 बिस्तर मौजूद है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के मद में भारत में कुल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का मात्र 1 फीसदी खर्च किया जाता है जो कि विश्व में सबसे कम है।