रिटेल क्षेत्र में आई मंदी और बढ़ते किरायों की मार ने संगठित रिटेल कारोबार को अपने फैलते पांव समेटने को मजबूर कर दिया है। जबकि परंपरागत किराना दुकानों का कारोबार चमक रहा है।
कानपुर में दुकानों के बढ़ते किराए के कारण संगठित रिटेलरों के मुनाफा मार्जिन में सेंध लग रही है और यह असंगठित किराना क्षेत्र से मुकाबले में काफी पिछड़ रहा है।
घटती बिक्री के कारण सुभिक्षा जैसी रिटेल कंपनियां भी अपने स्टोर बंद कर रही हैं। कानपुर में कंपनी के तीन स्टोर हैं। इनमें से सुभिक्षा गोविंदनगर और पांडु नगर स्टोर बंद करने की योजना बना रही है।
सुभिक्षा के क्षेत्रीय प्रबंधक वसीम अहमद ने बताया, ‘यह नियमित तौर पर लागत कम करने की नीति के तहत उठाया गया कदम है। हम सिर्फ गैर मुनाफे वाले स्टोर बंद कर रहे हैं। एक बार बाजार इस मंदी से उबर जाए तो हम अपने स्टोरों को अच्छी जगह देखकर फिर से खोलेंगे।’
आरईआई एग्रो के स्टोर भी घाटे में चल रहे हैं। अहमद ने बताया कि स्टोरों में करोड़ों रुपये लगाने के बाद भी कारोबार में कोई फायदा नहीं हो रहा था, ऐसे में इन स्टोरों को बंद करना जरूरी हो गया था। कंपनी टियर 2 शहरों में लगभग 75 स्टोरों का परिचालन कर रही है।
लेकिन इन स्टोरों में जरूरत के कई उत्पाद मौजूद नहीं हैं। हालांकि कंपनी के अधिकारियों ने इस बात को नकार दिया। लेकिन इन स्टोरों में जाने पर बात अपने आप साफ हो जाती है।
शहर में मौजूद सुभिक्षा स्टोरों में जाने वाले ग्राहकों ने बताया कि स्टोरों में किराना, फल और सब्जी जैसे उत्पाद काफी कम मात्रा में मौजूद हैं।
दिलचस्प बात यह है कि इन स्टोरों के बराबर वाली किराना दुकानों में कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। परंपरागत किराना स्टोरों के इस चमकते कारोबार ने कारोबारी पंडितों की इस बात को भी गलत साबित कर दिया कि संगठित खुदरा कारोबार के कारण किराना स्टोर अपना वजूद खो देंगे।
कानपुर विश्वविद्यालय में कारोबारी प्रबंधन के प्रोफेसर अरविंद सिंह ने बताया, ‘संगठित खुदरा कारोबार एक सीमित जनसंख्या के लिए हैं। इसीलिए इनकी बिक्री भी सीमित है और इन्हें भुगतान संबंधी परेशानियां हो रही हैं।’