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डेढ़ लाख परिवारों को बचाने के लिए आगे आई सरकार

Last Updated- December 05, 2022 | 11:41 PM IST

बंबई उच्च न्यायालय द्वारा 1.5 लाख परिवारों के मकानों को वन भूमि में होने के कारण अवैध करार दिये जाने के बाद राज्य सरकार द्वारा परिवारों के बचाव में सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर दिया है।


इस हलफनामे में राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय से इस मुद्दे पर उदार दृष्टिकोण अपनाने और प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक भूमि की व्यवस्था करने की अपील की है।पिछले महीने बंबई उच्च न्यायालय ने 25 हजार करोड़ की लागत वाले 1.5 लाख परिवारों के मकानों को निजी वन भूमि में बने होने के कारण अवैध घोषित कर दिया।


यह मकान शहर के उपनगरीय इलाकों में मुख्यत: फैले हुए है। इन इलाकों में मुख्यत: मुलुंड, भनदुप और बोरीवली प्रमुख है। इन क्षेत्रों में लगभग 10 लाख लोग गुजर बसर कर रहें है। उच्च न्यायालय के इस आदेश को शहर के प्रमुख बिल्डरों, डेवलपर्स और रिहायशी एसोसिएशनों ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इस बाबत बुधवार को कांग्रेस के  विधानपरिषद सदस्य चरणजीत सिंह साप्रा ने एक प्रतिनिध मंडल के साथ मिलकर राज्य के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख से एक मुलाकात की।


इस मुलाकात में राज्य के वन मंत्री बबनराव पचपुटे ओर राजस्व विभाग की मुख्य सचिव नीला सत्यनारायण भी उपस्थित थी। इस मुलाकात के दौरान देशमुख ने प्रतिनिधमंडल को बताया कि उन्होनें इस बाबत सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर दिया है।


मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को  बताया कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से  प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराने की बात भी कही है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार इस जमीन पर मकान बनाने वाले डेवलपरों से महाराष्ट्र कंजर्वेशन ऑफ प्राइवेट फॉरेस्ट एक्ट के तहत जुर्माना वसूज करने की तैयारी में हे।

First Published - April 24, 2008 | 10:26 PM IST

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