ऊपरवाला देता है, तो छप्पर फाड़ कर देता है। यह कहावत मुंबई के नजदीक पालघर के एक मछुआरे के लिए सही साबित हुई। मॉनसून के दौरान समुद्र में खतरे की वजह से चंद्रकांत तरे लंबे समय से घर में बैठे थे। मछलियां न पकड़ पाने की वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं चल रही थी। लेकिन किस्मत ऐसी पलटी कि वह एक ही झटके में करोड़पति बन गए।
मॉनसून के हालात थोड़ा सही हुए तो चंद्रकांत अपने साथियों के साथ एक बार फिर समुद्र में मछली पकडऩे गए। उन्होंने ऐसा जाल फेंका कि उनकी चांदी हो गई। उनके जाल में एक-दो नहीं, पूरे 157 घोल मछलियां फंस गईं, जिसने चंद्रकांत को करोड़पति बना दिया। इन घोल मछलियों को चंद्रकांत ने 1 करोड़ 33 लाख रुपये में बेचा है। उत्तर प्रदेश और बिहार से आए व्यापारियों ने इन मछलियों को खरीदा। इसकी नीलामी पाघलर में की गई, जहां सभी मछलियां 1.33 करोड़ रुपये में बिकीं। घोल मछली को गोल्ड फिश भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल कई प्रकार की दवाइयों को बनाने में किया जाता है, इसलिए ये इतनी कीमती होती हैं।
चंद्रकांत के बेटे सोमनाथ ने बताया कि उन्होंने हर मछली को करीब 85 हजार रुपये में बेचा। इसके साथ ही नाव पर सवार लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई, क्योंकि यह उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी कमाई वाली ट्रिप बन गई थी। थाईलैंड, इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर जैसे देशों में इसकी बहुत मांग है। सर्जरी के दौरान इस्तेमाल होने वाले धागे, जो अपने आप गल जाते हैं, वे भी इसी मछली से बनाए जाते हैं।