पटना से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए कोचिंग सेंटर कोई नई चीज नहीं है।
यहां आपको प्रशासनिक सेवा से लेकर मैनेजमेंट, मेडिकल और इंजिनियरिंग सबके लिए कोचिंग सेंटरों की भरमार मिल जाएगी। बड़ी बात यह है कि पटना के कोचिंग सेंटर बाजार में अब कैरियर लॉन्चर, टाइम, ब्रीलियंट टयूटोरियल जैसे देश के बड़े कोचिंग सेंटर भी उतर चुके हैं।
साथ ही, स्थानीय कोचिंग सेंटरों की तादाद भी तेजी से बढ़ रही है। इस विकास की वजहें कई हैं। मैनेजमेंट प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग देने वाली संस्था टाइम इंस्टीटयूट के पटना सेंटर के प्रमुख संजय कुमार बताते हैं, ‘दरअसल कोचिंग सेंटरों के फैलने की सबसे बड़ी वजह यह है कि बिहार के स्कूलों और कॉलेजों में आज भी छात्रों को ऐसी शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिसकी मदद से वह आईआईटी-जेईई या कैट जैसी प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाओं को पास कर सकें। साथ ही, यहां उन्हें पूरा एक्सपोजर भी मिलता है।’
इस बात से कैट के लिए तैयारी कर रहे छात्र सुनील यादव भी इत्तेफाक रखते हैं। उनका कहना है कि, ‘दरअसल, बिहार में ही क्या, आप किसी दूसरे सूबे में भी हों, तो भी आप सिर्फ स्कूल या कॉलेज की पढ़ाई के बूते पर कैट मे अच्छे नंबर नहीं ला सकते। इन कोचिंग सेंटरों में सिर्फ इन्हीं प्रवेश परीक्षाओं को ही लक्ष्य करके पढ़ाया जाता है।’
वैसे, प्रशासनिक सेवाओं के परीक्षा के लिए पटना में पिछले 15 सालों से कोचिंग सेंटर चला रहे ए.के. सिन्हा बताते हैं कि, ‘जहां तक प्रशासनिक सेवाओं के लिए चल रहे कोचिंग सेंटरों की बात है, तो बाजार मंदा ही चल रहा है।
आज भी बिहार में प्रशासनिक सेवाओं में रुचि रखने वाले ज्यादातर छात्र दिल्ली और इलाहाबाद का ही रुख कर लेते है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) ने पिछले कुछ सालों में खाली पदों के लिए परीक्षाएं आयोजित ही नहीं करवाई है।
वैसे, इंजीनियरिंग और मेडीकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेंटरों की तादाद में सचमुच काफी इजाफा हुआ है। एक बड़ी वजह तो कानून-व्यवस्था में सुधार भी है।’ तो कितना बड़ा है, पटना का कोचिंग बाजार? इस बारे में कोई एक राय नहीं है।
जहां सिन्हा इस बाजार को 200 करोड़ रुपये तक का मान रहे हैं, तो वहीं कुमार के मुताबिक यह 50-60 करोड़ रुपये से ज्यादा का नहीं होगा। वैसे, विश्लेषकों की मानें तो अगर सारे विषयों की कोचिंग को इसमें शामिल कर लिया जाए, तो यह 100 करोड़ रुपये के आस-पास का ही होगा।
अब सवाल यह है कि क्यों पटना का रुख कर रहे हैं, बड़े-बड़े कोचिंग सेंर? दरअसल विश्लेषकों की मानें तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि वहां अच्छे कोचिंग सेंटर की तलाश कर रहे छात्रों की तादाद अच्छी-खासी है। इसलिए यहां मुनाफा कमाने की अच्छी-खासी गुंजाइश है। इससे तो प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी?
सिन्हा कहते हैं कि, ‘प्रतिस्पध्र्दा से हमेशा लोगों को अच्छी क्वालिटी ही मिली है। नए खिलाड़ियों के बाजार में उतरने से स्थानीय कोचिंग सेंटरों को अपनी शिक्षा की क्वालिटी में सुधार करना पड़ा है। इससे छात्रों को ही फायदा हुआ। साथ ही, हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ा है।’ उनकी बात से कुमार भी इत्तेफाक रखते हैं।
कुमार कहते हैं, ‘यहां पढ़ाई वाकई में काफी सस्ती है। जिस कोर्स को करने के लिए आप दिल्ली में 18-20 हजार रुपये खर्च करते हैं, वहीं यहां उससे आधी कीमत में कर सकते हैं।