पंजाब के किसान अपने कृषिगत कार्यों के लिए जाने जाते हैं। हालांकि अब लोगों को अपनी धारणा बदलनी पड़ सकती है। दरअसल, अब पंजाब के किसान खेती से इतर कुत्ता पालन का व्यवसाय को अहमयित देने लगे हैं।
उनका मानना है कि कुत्ता पालन कृषि से कहीं ज्यादा फायदेमंद है। चंडीगढ़ केनेल क्लब के सचिव एचएस औलख बताते हैं कि किसानों में यह आम धारणा बनती जा रही है कि कुत्तों को पालना अन्य पशुओं को पालने से कहीं ज्यादा आसान है।
यही नहीं, इसमें खेती से ज्यादा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। उनका कहना है कि कुत्तों को पालने में अपेक्षाकृत कम खर्च आता है और उसे बेचने पर अच्छे दाम भी मिलते हैं।
दरअसल, आजकल लोगों की जीवनशैली बदल रही है और वे कुत्तों को पालने में रुचि ले रहे हैं और इसके लिए काफी रकम खर्च करने को भी तैयार रहते हैं।
उदाहरण के तौर पर एक फ्रेंच मैसटिफ नस्ल के कुत्ते की कीमत 50,000 से 70,000 के बीच है, जबकि ग्रेड डेन की कीमत 30,000 के आस-पास आती है।
इस लिहाज से किसानों को कुत्तों का व्यापार ज्यादा भा रहा है। किसानों का मानना है कि दूध बेचने की अपेक्षा कुत्ता पालन कहीं ज्यादा मुनाफे का सौदा है।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ के आसपास व्यावसायिक क्षेत्रों के साथ-साथ रिहाइशी क्षेत्रों के विकास की वजह से किसान कुत्तों के व्यापार में रुचि लेने लगे हैं।
दरअसल, उन्हें यहां अच्छे खरीदार आसानी से मिल रहे हैं। इसके साथ ही कई पंजाबी परिवार के लोग जो विदेशों में बस गए हैं, वे अपने परिवार वालों को अच्छी नस्ल के कुत्तों को भेजते हैं, जिन्हें यहां के लोग स्थानीय बाजार में सस्ते दामों पर बेच देते हैं।
औलख बताते हैं कि चंडीगढ़ व आस-पास के इलाकों में कुत्तों की मांग काफी बढ़ी और रिहाइशी क्षेत्रों के और अधिक निर्माण के साथ कुत्तों की मांग में और अधिक तेजी आने की संभावना है।
किसानों का कुत्तों के व्यवसाय में रुचि दिखाने का एक कारण यह भी है।
कुत्ता पालन से जुड़े भूपिंदर सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वे पिछले पांच सालों से इस व्यवसाय से जुडे हैं।
कुत्तों के नस्ल के बारे में उन्होंने बताया कि इनमें फ्रेंच मैसटिफ, पग्स, बुलडॉल, बॉक्सर ग्रेड डेन आदि की खूब मांग है।
यही नहीं, ये लोग विदेशों से भी कुत्ते मंगाते हैं। इनमें से मलेशिया और अमेरिका प्रमुख देश हैं।