राजस्थान उच्च न्यायालय सचिन पायलट समेत कांग्रेस के 19 विधायकों की याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने के लिए सदन के अध्यक्ष की तरफ से भेजे गए नोटिस को इन विधायकों ने चुनौती दी हुई है।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी पी जोशी की याचिका पर उच्चतम न्यायालय से गुरुवार को कोई राहत नहीं मिलने के बाद अब सबकी नजरें उच्च न्यायालय के फैसले पर टिक गई हैं। जोशी ने अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय विधायकों को अयोग्य ठहराने के बारे में संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष को प्रदत्त अधिकारों के निर्वहन में बाधा नहीं खड़ी कर सकता है।
लेकिन शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को फैसला देने पर रोक लगाने से इनकार करने के साथ ही कहा कि उसका फैसला उच्चतम न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन होगा। जोशी की इस याचिका पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके 18 समर्थक विधायकों को अध्यक्ष ने कांग्रेस की तरफ से की गई शिकायत के बाद अयोग्यता को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। लेकिन ये विधायक यह कहते हुए उच्च न्यायालय चले गए थे कि वे अब भी कांग्रेस पार्टी में ही हैं लिहाजा उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
इस बीच अयोग्यता मसले पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद पायलट एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर सकते हैं। पायलट के करीबी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस से बगावत का झंडा बुलंद कर चुके पायलट भाजपा में भी नहीं जाना चाहते हैं।
अध्यक्ष के अधिकारों को लेकर शीर्ष अदालत में दायर जोशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी के पीठ ने कहा कि इसमें कई महत्त्वपूर्ण सवाल उठाए गए हैं जिन पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। हालांकि पीठ ने अपनी टिप्पणी में यह जरूर कहा, ‘लोकतंत्र में असहमति के स्वरों को चुप नहीं कराया जा सकता है। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अयोग्य ठहराने की यह प्रक्रिया स्वीकार्य है या नहीं।’
अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इन विधायकों ने पार्टी की तरफ से बुलाई गई बैठकों में हिस्सा नहीं लिया और अपनी ही पार्टी की सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची।
दरअसल जोशी की तरफ से शीर्ष अदालत को यह आश्वस्त करने की कोशिश हुई कि इस मामले में उच्च न्यायालय का कोई अधिकार-क्षेत्र नहीं है। बागी विधायकों की याचिका पर उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई तक अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई हुई है।
अगर उच्च न्यायालय का फैसला असंतुष्ट विधायकों के पक्ष में जाता है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है। फिलहाल गहलोत ने 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 101 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। वहीं अगर उच्च न्यायालय अध्यक्ष को अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दे देता है तो 19 असंतुष्ट विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा कम हो जाएगा और गहलोत सरकार आसानी से बहुमत साबित कर लेगी। पायलट गहलोत की सरकार में ही उप मुख्यमंत्री थे लेकिन कथित तौर पर अपनी अवहेलना से नाखुश थे। गहलोत ने उन पर राज्य सरकार को गिराने के लिए साजिश रचने के आरोप भी लगाए हैं। इसमें विरोधी दल भाजपा के साथ मिलीभगत की बात भी कही गई है। (साथ में एजेंसियां)
