facebookmetapixel
Amazon Now बनाम Blinkit-Swiggy: कौन जीतेगा भारत में Quick Commerce की जंग?Adani Group की यह कंपनी बिहार में करेगी $3 अरब का निवेश, सोमवार को शेयरों पर रखें नजर!Stock Split: अगले हफ्ते तीन कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिट, निवेशकों को मिलेगा बड़ा फायदा; जानें रिकॉर्ड डेटCBIC ने कारोबारियों को दी राहत, बिक्री के बाद छूट पर नहीं करनी होगी ITC वापसी; जारी किया नया सर्कुलरNepal Crisis: नेपाल में अगला संसदीय चुनाव 5 मार्च 2026 को होगा, राष्ट्रपति ने संसद को किया भंगट्रंप का नया फरमान: नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद करें, चीन पर लगाए 100% टैरिफ, तभी जंग खत्म होगी1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! ऑटो सेक्टर से जुड़ी इस कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट तयElon Musk की कंपनी xAI ने 500 कर्मचारियों को अचानक निकाला, Grok ट्रेनर्स सकते में!भारत-पाक मैच की विज्ञापन दरों में 20% की गिरावट, गेमिंग सेक्टर पर बैन और फेस्टिव सीजन ने बदला बाजारFY26 में 3.2% रहेगी महंगाई, RBI से दर कटौती की उम्मीद: Crisil

सबकी नजर अब बेंगलूर वन पर

Last Updated- December 05, 2022 | 4:32 PM IST

कर्नाटक सरकार की पहल पर ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए  शुरू किए गए कार्यक्रम बेंगलूर वन (बी-वन) सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।


देश की सूचना प्रौद्योगिकी राजधानी में बेंगलुरु वन नागरिक सेवा केंद्र इस समय न केवल सरकारी महकमा, बल्कि देश-विदेश के जाने माने संस्थान इसकी ओर ध्यान लगाए हुए हैं।



बी वन केंद्रों को 2005 में शहर के 39 हिस्सों में लगाया गया था। इस सेवा के जरिये कई सेवाओं को सीधे-सीधे जोड़ा गया है। इनमें सरकार को नागरिकों से (जीटूसी) सरकार को व्यापार से (जीटूबी) और सरकार को व्यापारिक लेनदेन से जोड़ा गया है।


विकास के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (इन्फॉर्र्मेशन एंड कम्युनिकेशन टैक्नोलॉजी फॉर डेवलपमेंट, आईसीटीफॉरडी) पर आधारित बी वन परियोजना ने अपनी सफलता से सभी को चौंकाया।



इस सेवा के जरिये कई सुविधाएं मिलने लगीं जिनमें टेलीफोन और बिजली के बिलों का भुगतान, रेल और उड़ानों की टिकटों की बुकिंग, बीमा के प्रीमियम और वित्तीय लेददेन को सुविधाजनक  बनाया गया। कर्नाटक सरकार का दावा है कि प्रत्येक महीने तकरीबन 8 लाख लोग बेंगलूर वन की सेवाओं का फायदा उठाते हैं।



कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस सचिव एम एन विद्याशंकर कहते हैं, ‘बेंगलूर वन प्रोजेक्ट न केवल बेंगलुरु वासियों के बीच लोकप्रिय हुआ है, बल्कि इसने दूसरे लोगों का ध्यान भी खींचा है। सभी इसकी कार्यविधि का अध्ययन करना चाहते हैं।


अभी हाल ही में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के 14 स्नातकोत्तर के छात्रों के एक दल ने इसका दौरा किया था।’



मैनचेस्टर विश्विद्यालय के सूचना विज्ञान विकास समूह (डेवलपमेंट इन्फॉर्मेटिक्स ग्रुप, आईडीपीएम) के प्रोफेसर रिचर्ड हीक्स कहते हैं कि हमने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के बारे में काफी सुना था, लेकिन बेंगलुरु वन इसकी सफलता का प्रतीक है।


हम चाहते हैं कि हमारे छात्र इसका अध्ययन करें और देखें कि कैसे इस तरह की योजनाएं सफल होती हैं। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के छात्रों के दल ने बी वन के मलेश्वरम केंद्र में आधा दिन बिताया। इस केंद्र पर छात्रों ने परियोजना के काम में हिस्सा भी लिया।


प्रो. हीक्स ने बताया कि हम अपने छात्रों को यह बताना चाहते है कि सरकारी परियोजनाओं में हमेशा लालफीताशाही और दूसरी अन्य तरह की प्रचारित दोयम दर्जे की चीजें नहीं होती हैं।


हम बी वन के जरिये देखना चाहते हैं कि  कैसे ई-गवर्नेंस की योजना मूर्त रूप लेती है।



बेंगलूर वन ने आईसीटीफॉरडी से जुड़ी दो प्रमुख समस्याओं का हल तलाशने में सफलता हासिल की है।


बेंगलूर वन ने मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के अलावा कई प्रमुख संस्थानों के छात्रों को रिझाया है। इसमें भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु और विश्वेश्वरैया तकनीकी विश्वविद्यालय जैसे नामी गिरामी संस्थान शामिल हैं।


इसके अलावा, कई बड़े राज्य अपने प्रदेश के शहरों में इसी तरह की योजनाओं की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इस दिशा में कई राज्यों के अधिकारियों की टीम यहां का दौरा कर चुकी हैं। कर्नाटक के मंगलूर में भी इसी तरह की योजना शुरू करने की बात चल रही है।    
 
 
 

First Published - March 12, 2008 | 7:56 PM IST

संबंधित पोस्ट