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तीसरी लहर का खतरा

Last Updated- December 12, 2022 | 3:48 AM IST

मई के आरंभ में काफी उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद अब देश में कोविड-19 संक्रमण के मामले लगातार घट रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में चरणबद्ध तरीके से आर्थिक तथा अन्य गतिविधियों को खोला जा रहा है क्योंकि लोगों की आय और आजीविका प्रभावित हो रही थी। देश के कुछ हिस्सों में अभी भी कोविड जांच की संक्रमण दर काफी ऊंची है। जून महीने में अधिकांश समय देश में यह दर औसतन 5 फीसदी से कम रही। ऐसे में यह लग सकता है कि महामारी की दूसरी लहर तबाही मचाने के बाद अब समाप्ति पर है।
हम अब इस स्थिति में नहीं है कि पिछले वर्ष की तरह गतिविधियों में खुलापन लाने की गलती दोबारा दोहराएं। अत्यंत कड़े देशव्यापी लॉकडाउन और चरणबद्ध तरीके से गतिविधियां शुरू करने के बाद भी वर्ष 2020 समाप्त होते-होते तमाम सावधानियां त्याग दी गई थीं। शारीरिक दूरी के नियमों का पालन नहीं हो रहा था और गतिविधियां महामारी से पहले जैसी हो गई थीं। उस गलती को दोहराना मूर्खता होगी क्योंकि यह तीसरी लहर को न्योता देने जैसा होगा। यदि ऐसी लहर आई तो हालात और खराब होंगे। दूसरी लहर आने की एक वजह यह भी थी कि हम आश्वस्त हो गए थे। इसे दोहराया नहीं जाना चाहिए। यह भी ध्यान देने लायक है कि सबसे पहले महाराष्ट्र में पाया गया वायरस का नया और अधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप अब हमारे बीच है और ऐसे में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक कड़ाई बरतनी होगी। सरकार को केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर चिकित्सा क्षमता पर काम करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि क्षमताओं में जो इजाफा किया जा चुका है वह जाया न हो। मुंबई ने मौजूदा लहर में काफी अच्छा प्रदर्शन किया क्योंकि गत वर्ष मामले समाप्त होने पर भी उसने अपने कोविड अस्पताल बंद नहीं किए थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए अतिरिक्त गहन चिकित्सा कक्ष और ऑक्सीजन केंद्र बनाए जाएंगे। अन्य राज्यों और स्थानीय सरकारों को भी ऐसा ही करना चाहिए।
सरकार को जागरूकता पर भी काम करना चाहिए। महामारी को लेकर जागरूकता बढ़ाने के अलावा संक्रमण रोकने और गंभीर संक्रमण के इलाज को लेकर भी लोगों में जागरूकता बढ़ानी होगी।
दूसरी लहर में कुछ ग्रामीण इलाकों से आई खबरों से यही पता चला कि लोगों को मालूम भी नहीं था कि उन्हें होने वाला बुखार कोविड-19 था। कोविड-19 के विज्ञान में भी हाल के महीनों में प्रगति हुई है और नई समझ यह है कि सतह को विसंक्रमित करना उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना कि दूरी रखना और हवादार जगह में रहना। ऐसा इसलिए क्योंकि वायरस हवा से ज्यादा फैल रहा है। बंद जगहों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क आवश्यक हैं। ताजा लहर में एक अन्य दिक्कत यह रही कि ऐसी चिकित्सा और दवाओं का इस्तेमाल किया गया जिनके इस बीमारी में प्रभावी होने का प्रमाण नहीं था और जो नुकसानदेह हो सकती हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब कोविड के इलाज के लिए प्रमाण आधारित दिशानिर्देश जारी किए हैं। चिकित्सकों और अस्पतालों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे इनका कड़ाई से पालन करें, भले ही मरीजों और उनके परिजन की मंशा कुछ और हो।
तीसरी लहर का खतरा टीकाकरण के गति पकडऩे पर ही समाप्त होगा। देश में टीके की करीब 25 करोड़ खुराक लग चुकी हैं लेकिन दो खरब से अधिक खुराकों को देखते हुए यह तादाद काफी कम है। रोज 30-40 लाख टीके लग रहे हैं और इस गति को दोगुना करना होगा। टीका आपूर्ति बढ़ाने को प्राथमिकता देनी होगी। अंत में, ‘प्रोत्साहन’ की मांग के बावजूद सरकार को समझना होगा कि महामारी भारत से गई नहीं है और आगे ऐसी और मांगें हो सकती हैं। ऐसे में उसे राजकोषीय गुंजाइश बचाकर रखनी होगी।

First Published - June 10, 2021 | 11:20 PM IST

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