facebookmetapixel
सिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यानDividend Stocks: सितंबर के दूसरे हफ्ते में बरसने वाला है मुनाफा, 100 से अधिक कंपनियां बांटेंगी डिविडेंड₹30,000 से ₹50,000 कमाते हैं? ऐसे करें सेविंग और निवेश, एक्सपर्ट ने बताए गोल्डन टिप्सभारतीय IT कंपनियों को लग सकता है बड़ा झटका! आउटसोर्सिंग रोकने पर विचार कर रहे ट्रंप, लॉरा लूमर का दावाये Bank Stock कराएगा अच्छा मुनाफा! क्रेडिट ग्रोथ पर मैनेजमेंट को भरोसा; ब्रोकरेज की सलाह- ₹270 के टारगेट के लिए खरीदेंपीएम मोदी इस साल UNGA भाषण से होंगे अनुपस्थित, विदेश मंत्री जयशंकर संभालेंगे भारत की जिम्मेदारीस्विगी-जॉमैटो पर 18% GST का नया बोझ, ग्राहकों को बढ़ सकता है डिलिवरी चार्जपॉलिसीधारक कर सकते हैं फ्री लुक पीरियड का इस्तेमाल, लेकिन सतर्क रहें

वि​​धि की भावना का ख्याल

Last Updated- January 05, 2023 | 11:01 PM IST
Delhi HC asks govt's response over resale of tickets, blocking sites संगीत समारोहों के टिकट की अनधिकृत बिक्री के मुद्दे पर अदालत ने केंद्र से जवाब मांगा
Creative Commons license

रिलायंस कैपिटल की निस्तारण प्रक्रिया को इस सप्ताह राष्ट्रीय कंपनी लॉ पंचाट की मुंबई शाखा के समक्ष 12 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया गया। पीठ का यह निर्णय न केवल इस मामले से संबं​धित पक्षकारों को प्रभावित करेगा ब​ल्कि यह ऋणशोधन निस्तारण प्रक्रिया पर भी असर डालेगा। इस प्रक्रिया पर रोक टॉरंट समूह की आप​त्ति के बाद लगाई गई है।

टॉरंट समूह ने रिलायंस कैपिटल के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई है। हिंदुजा समूह ने नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक नई पेशकश की थी और टॉरंट समूह ने इस पर आप​त्ति की। कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) इस सप्ताह किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकी क्योंकि मामला पहले ही वाद के अधीन है और उसे एनसीएलटी के निर्देशों का इंतजार करना होगा।

हिंदुजा समूह ने अब 9,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है और उसने पूरी रा​शि का पेशगी भुगतान करने को कहा है। टॉरंट समूह ने रिलायंस कैपिटल के लिए 8,640 करोड़ रुपये के विलंबित भुगतान की बात कही थी। हिंदुजा समूह ने पहले 8,100 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। प्रतिस्पर्धी बोली को देखते हुए यह बात समझ में आती है कि कर्जदार हिंदुजा समूह की नीलामी के बाद की पेशकश स्वीकार करें क्योंकि यह न केवल टॉरंट की बोली से ऊंची है ब​ल्कि इसमें पूरा भुगतान पहले ही किया जा रहा है।

चूंकि एनसीएलटी भी चाहेगा कि कर्जदार को अ​धिक से अ​धिक वसूली मिले इसलिए वह नीलामी के बाद की बोली पर विचार कर सकता है। हालांकि यहां दो अहम कारक हैं जिन पर निर्णय लेने वाली संस्था और सीओसी को विचार करना होगा।

पहली बात, संकटग्रस्त परिसंप​त्तियों के निस्तारण में गति की अपनी भूमिका है और ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के क्रियान्वयन के पीछे एक कारण यह भी था कि मामलों का जल्दी निपटान किया जाए। अगर एनसीएलटी सीओसी को नीलामी के बाद की बोली पर विचार करने की इजाजत देता है तो इससे प्रक्रिया में देरी होगी और एक गलत नजीर पेश होगी।

हाल ही में खबर आई थी कि सरकार आईबीसी को मजबूत बनाने के लिए संशोधनों पर विचार कर रही है। इस संदर्भ में एक बदलाव तो यही होना चाहिए कि एक बार नीलामी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद बोली न लग सके। इससे गंभीर बोलीकर्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा और वे उचित बोली लगाने को प्रेरित होंगे। रिलायंस कैपिटल के मामले में हिंदुजा समूह नीलामी समाप्त होने के पहले भी अच्छी पेशकश कर सकता था। अगर सभी बोली लगाने वालों को अपनी योजना बार-बार बदलने की इजाजत दी गई तो इससे निस्तारण की अव​धि बढ़ेगी और परिसंप​त्ति के मूल्य में भी कमी आ सकती है।

दूसरा, यह बात भी ध्यान देने वाली है कि संशो​धित बोली भी नकदीकृत मूल्य से काफी कम है। दो मूल्यांकनकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस कैपिटल का नकदीकृत मूल्य क्रमश: 12,500 करोड़ रुपये और 13,200 करोड़ रुपये है। नकदीकृत मूल्य से कम बोली लगाने में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि बोलीकर्ताओं के बीच मूल्यांकन को लेकर अलग-अलग राय हो सकती है। लेकिन सीओसी बेहतर विकल्प का चयन करके नकदीकरण के लिए आगे बढ़ सकती है।

यह भी देखना होगा कि सीओसी मामले को कैसे देखती है और निर्णय लेने वाले क्या तय करते हैं। बहरहाल सैद्धांतिक तौर पर विचार यह होना चाहिए कि ऋणशोधन प्रक्रिया को जल्दी से जल्दी पूरा किया जाए। वर्तमान हालात के हिसाब से देखें तो प्रक्रिया देरी से भरी हुई है और इसका असर वसूली पर भी पड़ रहा है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि आईबीसी के तहत होने वाली वसूली पारंपरिक तरीकों के ही समान है। आईबीसी को सही प्रोत्साहन के साथ आगे बढ़ाने से समय पर निस्तारण हो सकेगा और पूंजी की क्षति कम करने में मदद मिलेगी।

First Published - January 5, 2023 | 10:28 PM IST

संबंधित पोस्ट