ऐसा लगता है कि भारतीय बैंकिंग नियामक के शब्दकोश में ‘सब बस भौंकते हैं, काटते नहीं’ मुहावरे का कोई स्थान नहीं है। महज एक हफ्ते पहले गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को कड़ी चेतावनी देने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले हफ्ते एक आदेश जारी कर चार एनबीएफसी को नए ऋण को मंजूरी देने और उसका वितरण करने से रोक दिया है। इन एनबीएफसी में आशीर्वाद माइक्रोफाइनैंस लिमिटेड, आरोहण फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड, डीएमआई फाइनैंस प्राइवेट लिमिटेड और नावी फिनसर्व लिमिटेड शामिल हैं।
ऐसा पाया गया कि एनबीएफसी अधिक ब्याज दर वसूलने के अलावा नियामक के दिशानिर्देशों के मुताबिक परिवारों की आमदनी और ऋणकर्ताओं की मासिक किस्त चुकाने की क्षमता का आकलन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा पुराने ऋण नहीं चुका पा रहे ऋणकर्ताओं को नए ऋण देने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।
हालांकि आरबीआई ने अपने आदेश में एनबीएफसी की विभिन्न योजनाओं की क्रॉस सेलिंग का जिक्र नहीं किया है। इन चार कंपनियों के बारे में मुझे जानकारी नहीं है लेकिन आमतौर पर एनबीएफसी ऋण से इतर ऋण लेने वालों को विभिन्न उत्पाद बेचती हैं। पहले बिक्री की सूची में मोबाइल फोन, बीमा पॉलिसी, सोलर लालटेन और इन्वर्टर लाइट शामिल थे। अब ऋण दिए जाने के साथ ही प्रेशर कुकर, मिक्सर ग्राइंडर, टीवी और रेफ्रिजरेटर भी बेचे जाते हैं। कई मामलों में ऋण देने की पूर्व शर्त भी इन उत्पादों की बिक्री से जुड़ी होती है।
संभवतः आरबीआई ने इस तरह की ‘अन्य आय’ को एनबीएफसी द्वारा वसूले जा रहे ब्याज दर के साथ जोड़ दिया है। चार एनबीएफसी में से डीएमआई का सबसे बड़ा लोन बुक है और यह इस वर्ष जून तक 13,160 करोड़ रुपये है और इसके बाद आशीर्वाद (11,327 करोड़ रुपये), नावी (9,110 करोड़ रुपये) और आरोहण (6,737 करोड़) का स्थान है। जब वृद्धि की बात आती है तब डीएमआई इस सूची में 47.76 फीसदी वृद्धि के साथ शीर्ष पर, आशीर्वाद दूसरे पायदान (33.7 फीसदी) पर इसके बाद नावी (32.67 फीसदी) और आरोहण (27.95 फीसदी) का स्थान है।
आशीर्वाद का सकल फंसा कर्ज 2.99 फीसदी है और बट्टे खाते में डालने के बाद यह 7.7 प्रतिशत तक हो जाता है। इसकी तुलना में आरोहण का आंकड़ा 2.5 प्रतिशत और 4.39 प्रतिशत है। डीएमआई का कुल फंसा ऋण 2.54 प्रतिशत और नावी का 1.7 प्रतिशत है। आशीर्वाद का सबसे अधिक मार्जिन (एनआईएम) 17.29 प्रतिशत है जो फंडों की लागत और ऋण से होने वाली कमाई के बीच का अंतर है। इस लिहाज से इसके बाद नावी (16.35 प्रतिशत), आरोहण (13.32 प्रतिशत) और डीएमआई (11.46 प्रतिशत) का स्थान है।
आरबीआई के गर्वनर ने इस महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा में एनबीएफसी क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘रिजर्व बैंक आने वाली जानकारी पर नजर रख रहा है और आवश्यक होने पर कदम उठाएगा।’
उन्होंने इस क्षेत्र को लेकर तीन महत्त्वपूर्ण विचार दिएः
एनबीएफसी का दायरा बेहद व्यापक है। देश में कम से कम 9,325 एनबीएफसी और 94 एचएफसी हैं। आरबीआई के वर्गीकरण के मुताबिक 9 एनबीएफसी और 5 एचएफसी शीर्ष स्तर पर हैं, बाकी एचएफसी और 404 एनबीएफसी मध्यम स्तर पर और 8,912 एनबीएफसी बुनियादी स्तर पर हैं। यह सवाल हो सकता है कि क्या हमें इतने एनबीएफसी की जरूरत है?
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि हमारे देश में ऋण की कमी है। विश्व बैंक के मुताबिक निजी क्षेत्र में भारत का घरेलू ऋण वर्ष 2020 में जीडीपी के 55 फीसदी तक था जो वैश्विक औसत (148 प्रतिशत) से काफी नीचे है और एशियाई देशों चीन (182 प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (165 प्रतिशत) और वियतनाम (148 प्रतिशत) से भी काफी नीचे है। हालांकि इतने सारे एनबीएफसी की निगरानी करना आसान नहीं है।
दूसरा सवाल यह है कि आरबीआई ने एनबीएफसी को नियंत्रण में रखे के लिए भले ही सख्त कदम उठाए हैं लेकिन क्या इसे संरचनात्मक तरीका नहीं अपनाना चाहिए था? इन चारों एनबीएफसी का ऋण पोर्टफोलियो 40,334 करोड़ रुपये का है। इनकी परिसंपत्ति कहीं अधिक 50,693 करोड़ रुपये है। भले ही इन चारों का बेहतर पूंजीगत आधार (22 प्रतिशत और 52 प्रतिशत पूंजी पर्याप्तता अनुपात) है लेकिन बैंकिंग तंत्र का भी इनमें निवेश है।
आरबीआई कुछ समय से एनबीएफसी क्षेत्र की कार्यप्रणाली को लेकर अपना असंतोष जताता रहा है लेकिन कड़े आदेश जारी करने से पहले क्या नियामक को नोटिस नहीं देना चाहिए कि उनके खिलाफ कड़े कदम क्यों न उठाए जाएं? इससे वित्तीय क्षेत्र गलत कार्यप्रणालियों को लेकर सतर्क होता और साथ ही गलत करने वाली संस्थाओं को भी सोचने पर मजबूर होना पड़ता है।
अब व्यापक तस्वीर पर गौर करते हैं। सामूहिक तौर पर शीर्ष स्तर के एनबीएफसी की कुल परिसंपत्ति जून में 14.25 लाख करोड़ रुपये थी जो इस क्षेत्र के कुल ऋण पोर्टफोलियो का एक-चौथाई है। पिछले एक वर्ष में जून 2023 और जून 2024 के बीच इनके ऋण में वृद्धि करीब 27 प्रतिशत तक रही है। शीर्ष स्तर के एनबीएफसी के ऋण पोर्टफोलियो में खुदरा ऋणों का योगदान कम से कम 60 प्रतिशत तक है।
मध्यम वर्ग के एनबीएफसी का कुल ऋण करीब 52 ट्रिलियन तक है और उनकी ऋण वृद्धि करीब 12 प्रतिशत तक रही है।
करीब 100 एमएफआई-एनबीएफसी हैं और इनमें से 25 का ताल्लुक मध्यम स्तर और 75 का संबंध निचले स्तर से है। इनके ऋण में वृद्धि, जून 2023 से जून 2024 के बीच करीब 23 फीसदी है।
जिन एनबीएफसी पर कार्रवाई की गई है या जिन पर कार्रवाई हो सकती है उन्हें अपनी ब्याज दरें कम करने के साथ ही बिना वक्त गंवाए अधिक फीस और दंडशुल्क घटाना चाहिए।
हमेशा से ऋण देने का बुनियादी नियम यह मूल्यांकन करने से जुड़ा है कि ऋण लेने वाले की ऋण चुकाने की क्षमता कितनी है और ऋण चुकाने की उनकी इच्छा होगी या नहीं। इस पड़ाव पर एनबीएफसी को यह भी देखने की जरूरत है कि वास्तव में ऋणकर्ताओं को पूंजी की जरूरत भी है या नहीं। आखिर ऋण देने वाली कंपनियों के बैलेंसशीट बढ़ाने के जुनून के चलते ऋणकर्ताओं को अपनी परेशानी क्यों बढ़ानी चाहिए?