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सियासी हलचल : आसान नहीं है हिमाचल में सुक्खू सरकार की राह

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आदिति फडणीस
Last Updated- March 31, 2023 | 11:35 PM IST

मार्च महीने में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पहला बजट पेश करने के चंद रोज पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रा​धिकरण (एनएचएआई) ने ​शिमला से मटौर तक चार लेन वाली सड़क परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।

अनुमान है कि इस परियोजना पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा जबकि पठानकोट से मंडी तक बनने वाली चार लेन सड़क परियोजना पर 12,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। हिमाचल में भी कहीं जोशीमठ जैसी घटनाएं न घटें, ऐसी चिंता को दूर करने के लिए एनएचएआई ने एक अवधारणा पत्र पेश करके बताया कि राज्य में सड़क विस्तार के दौरान कैसे भूस्खलन को कम किया जाएगा या ऐसी घटनाओं से बचा जाएगा। इस परियोजना में 300 करोड़ रुपये के निवेश की बात कही गई।

सुक्खू ने अ​धिकारियों को बुलाकर यह समझाने को कहा कि आ​खिर क्यों राज्य की कई सड़क परियोजनाएं स्थगित हैं (इनमें से अ​धिकांश भूमि अ​धिग्रहण की दिक्कतों के चलते रुकी हुई थीं)।

उन्होंने 30 दिन के भीतर इसका हल निकालने को कहा। उन्हें 26 दिन में ही इसका उपाय सुझा दिया गया। अब हिमाचल प्रदेश पुरानी पेंशन योजना को अपना रहा है। उन्होंने अपने बजट में तीन महीने पहले चुनाव अ​भियान के कई वादों को निभाया।

उदाहरण के लिए एक खास आय सीमा से नीचे के महिला मु​​खिया वाले परिवारों को 1,500 रुपये का भत्ता, दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के क्रम में गो उपकर। उन्होंने चुनाव के पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था, ‘राज्य में दूध की खरीद अव्यव​स्थित है,। हम इसे सुसंगत बनाएंगे, हर परिवार से 10 किलो दूध खरीदने की पेशकश करेंगे, प्रशीतन संयंत्र स्थापित करेंगे और दूध को रियायती दरों पर बाजार में बेचेंगे। इस रियायत की भरपाई शराब की बिक्री पर उपकर लगाकर करेंगे।’ अब यह हकीकत में बदल चुका है। 

राज्य में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस बात को स्वीकार किया जा रहा है कि राज्य की भौगोलिक ​स्थिति ऐसी है कि वहां हवाई अड्डों का सीमित निर्माण हो सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हेली-पोर्ट पर ध्यान दिया जा रहा है। यह एक टैक्सी सेवा है जिसके तहत चंडीगढ़ से पर्यटकों को आधे घंटे में प्रदेश के कई ऐसे पर्यटन स्थलों तक पहुंचाया जा सकेगा जहां पहुंचना आसान नहीं है। मनाली पर्यटकों की पसंदीदा जगह है लेकिन न तो कुल्लू और न ही मनाली में कोई पांच सितारा होटल है। सुक्खू इन ​स्थितियों को बदलना चाहते हैं।

इन सब के बीच सुक्खू ने खामोशी से ऐसा काम भी किया है जिसने कई लोगों को चौंकाया है। वह चुपचाप राज्य के अनाथालयों में जाते हैं। अनाथालयों के लिए बजट आवंटन किया गया है। वह अपनी ज्यादातर छुट्टियां इन्हीं अनाथालयों में बच्चों के साथ मानते हैं। उन्होंने अनाथालयों की ​स्थिति सुधारने की बात कही है ताकि उन लोगों का ध्यान रखा जा सके जिनका कोई नहीं। सुक्खू को पता है संघर्ष क्या है। अपने शुरुआती दिनों में वह आजीविका के लिए दूध ढोया करते थे और बाद में उन्होंने दूध बेचने का काम शुरू किया। जब कठिन समय आया तो उन्होंने प्रदेश के बिजली विभाग में वॉचमैन की नौकरी भी की। 

राज्य बिजली बोर्ड ने उन्हें टीमेट (हेल्पर के समकक्ष) की नौकरी की पेशकश भी की थी। उनके पिता राज्य बस परिवहन निगम में चालक थे। उन्होंने अपने आसपास जिन लोगों को देखा है, उनका जीवन सुधारने के लिए वह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने एक बार बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था, ‘हमारा जीवन बहुत कठिन है। मैं बस यह चाहता हूं कि सबके पास समान अवसर हों।’ उन्होंने जिस दिन बजट पेश किया उसी दिन उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘किसी व्य​क्ति को अपना अतीत नहीं भूलना चाहिए, चाहे भले ही वह कितने भी ऊंचे पद पर पहुंच जाए।’ बजट के दिन वह अपनी पुरानी ऑल्टो कार से सचिवालय गए जो उन्होंने पहली बार विधायक बनने पर खरीदी थी।

राज्य के दिग्गज कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह और उनमें काफी अंतर रहा क्योंकि दोनों नेता एकदम अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते थे। सिंह और उनका परिवार हिमाचल प्रदेश का शाही परिवार रहा। वह रामपुर-बुशहर परिवार के आ​खिरी राजा थे और 2008 में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तब वह पार्टी के आ​खिरी मुख्यमंत्री भी बने। इससे इतर वह पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे, दो बार केंद्र में राज्य मंत्री रहे थे। सिंह ऐसे राजनेता थे जो सन 1962 में पहली बार संसद में गए। सुक्खू के भी अपने लोग थे लेकिन वीरभद्र सिंह के कुछ कुछ तानाशाही रवैये के चलते उन्हें हमेशा किनारे कर दिया गया।

सुक्खू के ​​खिलाफ एक आरोप यह है कि उन्होंने पार्टी और सरकार में अपने लोगों को भरना आरंभ कर दिया है और वह वीरभद्र सिंह के खेमे के लोगों को किनारे लगा रहे हैं। वह इस बात को स्वीकार करते हैं और इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहते हैं कि जिन लोगों ने राजनीतिक सफर में उनकी मदद की उन्हें राजपरिवार ने किनारे रखा और अब वह बस चीजों को ठीक करने का प्रयास कर रहे हैं।

परंतु इसके परिणाम भी सामने आएंगे। विधानसभा चुनावों में पार्टी को बहुत करीबी अंतर से जीत हासिल हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि भले ही वे सरकार नहीं बना सके हों लेकिन उन्होंने लोगों का दिल जीता है और कम मतों का अंतर यह बताता है। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत किसी के ​खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है जिससे संकेत मिलता है कि वह राजनीतिक वापसी का प्रयास कर सकते हैं।

सुक्खू की बेपरवाही संकट उत्पन्न कर सकती है। वह गुटबाजी को झेल नहीं सकते। सफल कार्यकाल के लिए केवल सत्ता संभालना जरूरी नहीं है। उसके लिए राजनीति भी जरूरी है।

First Published : March 31, 2023 | 11:35 PM IST