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क्या ऑनलाइन जमा की सुरक्षा के लिए बैंकिंग नियामक ‘चेक’ टूल पर विचार कर सकता है?

भारतीय रिजर्व बैंक पहले ही सभी विनियमित संस्थाओं के लिए विस्तृत धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचा लागू कर चुका है। बता रहे हैं तमाल बंद्योपाध्याय

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- November 20, 2025 | 9:52 PM IST

दो माह के अंतराल के बाद अक्टूबर में डीमैट खाता खोलने वालों की संख्या बढ़ी। अक्टूबर में 30 लाख नए खाते जुड़े और कुल डीमैट खातों की तादाद 21 करोड़ से अधिक हो गई। इसके पहले जुलाई में करीब 30 लाख नए डीमैट खाते खुले थे जो दिसंबर 2024 के बाद सबसे बड़ी मासिक वृद्धि थी। जनवरी 2024 में सबसे अधिक 46.8 लाख खाते जुड़े थे। विशिष्ट निवेशकों की संख्या 13.5 करोड़ से अधिक हो गई जो वित्त वर्ष 2019 के आंकड़ों की तुलना में साढ़े तीन गुना थी। हाल ही में बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने भी कहा था कि इससे पता चलता है कि निवेशकों को हमारे बाजारों में कितना भरोसा है।

विशिष्ट निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, फिर भी बाजार कई लोगों के लिए निवेश का आकर्षक साधन नहीं है। सेबी द्वारा हाल ही में किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण ने इस पर प्रकाश डाला, जिसमें लगभग 90,000 परिवारों को शामिल किया गया था और जो 400 शहरों तथा 1,000 गांवों में फैला था। लगभग 63 फीसदी भारतीय परिवार (करीब 21.3 करोड़ परिवार) कम से कम एक प्रतिभूति उत्पाद मसलन म्युचुअल फंड, शेयर, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड और डेरिवेटिव्स के बारे में जानते हैं। फिर भी, उनमें से केवल लगभग 9.5 फीसदी, यानी लगभग 3.2 करोड़ परिवार ही बाजार में निवेश करते हैं।

शहरी भागीदारी 6 फीसदी की ग्रामीण भागीदारी से काफी अधिक है, करीब 15 फीसदी। इससे पता चलता है कि वित्तीय पहुंच में कितना अंतर है। विशिष्ट निवेशक बढ़े हैं लेकिन कम से कम 85 फीसदी भारतीय परिवार अभी भी बाहर हैं। एक अन्य निष्कर्ष यह था कि निवेशकों का ज्ञान अभी भी सीमित है। केवल करीब 36 फीसदी सक्रिय निवेशक ही बाजार योजनाओं और जोखिम की थोड़ी बहुत समझ रखते हैं। जानकारी की यह कमी खतरा उत्पन्न करती है और निवेशकों को संभावित नुकसान या धोखाधड़ी के प्रति संवेदनशील बनाती है। अक्सर कम अनुभव वाले निवेशक सुनी सुनाई बातों या ऑनलाइन सलाहों पर अमल करते हैं और जोखिम को समझ नहीं पाते हैं। इसके अलावा भ्रामक विज्ञापन और ‘गारंटीशुदा रिटर्न’ के वादे भी अक्सर जोखिम से बचने वाले बचतकर्ताओं को उलझाते हैं।

आसान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से प्रेरित होकर निवेशकों की एक नई लहर जिनमें से लगभग 43 फीसदी की उम्र 30 वर्ष से कम है वायदा और विकल्प (एफऐंडओ) ट्रेडिंग में उतर गई है। सेबी के अध्ययनों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022 से 2024 के बीच लगभग 93 फीसदी खुदरा या छोटे एफऐंडओ कारोबारियों को (लागत सहित) शुद्ध नुकसान हुआ। लगभग 1.13 करोड़ कारोबारियों ने सामूहिक रूप से करीब 1.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाया।

वित्त वर्ष 2024 में, व्यक्तिगत कारोबारियों ने कुल मिलाकर लगभग 75,000 करोड़ रुपये एफऐंडओ ट्रेडिंग में गंवाए। यानी औसतन लगभग 46,000 रुपये प्रति व्यक्ति। बाजार नियामक के कई उपायों के बाद विशिष्ट एफऐंडओ खुदरा कारोबारियों की तादाद 2025 के मध्य में कम हुई। वित्त वर्ष 25 में भी इस क्षेत्र में 91 फीसदी खुदरा कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ा।

सेबी निवेशकों के सर्वेक्षण ने उन कारणों की पहचान की जिनकी वजह से परिवार बाजार से बाहर रहते हैं। लगभग 74 फीसदी गैर-निवेशकों ने स्वीकार किया कि योजनाओं की जटिलता और जानकारी की कमी उन्हें पैसा लगाने से रोकती है, और 73 फीसदी ने हानि के डर को अपनी हिचकिचाहट का कारण बताया। आधे से अधिक (51 फीसदी) ने वित्तीय प्रणाली में भरोसे की कमी और पारदर्शिता को लेकर चिंताओं की ओर इशारा किया। ऊंचे लेन-देन खर्च, अस्थिर बाजार और नकारात्मक भावना भी लोगों को पीछे खींचते हैं।

हाल ही में आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट में, तुहिन कांत पांडेय ने जोर देकर कहा कि नियामक भ्रामक ‘फिनफ्लुएंसर्स’ (वित्तीय इन्फ्लुएंसर्स) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। सेबी अब तक एक लाख से अधिक भ्रामक पोस्ट हटा चुका है और हर महीने लगभग 5,000 पोस्ट हटाता जा रहा है। सोशल मीडिया पर मौजूद फिनफ्लुएंसर्स में से केवल लगभग 2 फीसदी ही नियामक के साथ पंजीकृत हैं।

निवशकों के संरक्षण से जुड़े दो उपाय इसके उदाहरण हैं। 1 अक्टूबर से, सभी सेबी-पंजीकृत ब्रोकर, म्युचुअल फंड, डिपॉजिटरी और अन्य मध्यस्थों को निवेशकों से भुगतान प्राप्त करने के लिए ‘वैलिडेटेड यूपीआई हैंडल्स’ का उपयोग करना अनिवार्य होगा। इन नए यूपीआई आईडी में राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा जारी किया गया अनिवार्य ‘@वैलिड’ प्रत्यय शामिल होगा, साथ ही एक श्रेणी कोड भी होगा (जैसे ब्रोकर के लिए ‘डॉटबीआरके’, म्युचुअल फंड के लिए ‘डॉटएमएफ’)।

प्रमुख ब्रोकरेज कंपनियां, जो खुदरा लेनदेन का कम से कम 90 फीसदी संभालती हैं, और सभी म्युचुअल फंड पहले ही इन हैंडल्स को अपना चुके हैं। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जब निवेशक किसी @वैलिड यूपीआई हैंडल पर पैसा भेजेंगे, तो उन्हें अपने भुगतान स्क्रीन पर हरे रंग का ‘थम्ब्स-अप’ दिखाई देगा। यह दृश्य पुष्टि दर्शाती है कि धनराशि एक वैध, सेबी-पंजीकृत इकाई को जा रही है। प्रत्येक मध्यवर्ती के पास एक क्यूआर कोड भी होगा जिसमें यही ‘थम्ब्स-अप’ प्रतीक होगा ताकि किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति से बचा जा सके।

इसके साथ ही, सेबी ने एक ‘सेबी चेक’ टूल पेश किया है। एक वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से निवेशक अब किसी मध्यस्थ की सेबी पंजीकरण स्थिति, बैंक खाता विवरण या यूपीआई आईडी तुरंत सत्यापित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, पैसा स्थानांतरित करने से पहले निवेशक ब्रोकर का खाता नंबर या @वैलिड यूपीआई हैंडल ‘सेबी चेक’ में दर्ज कर सकते हैं। यह तुरंत पुष्टि कर देगा कि विवरण किसी पंजीकृत मध्यस्थ से मेल खाते हैं या नहीं। यदि नहीं, तो निवेशक को तुरंत चेतावनी मिलेगी, जिससे धोखेबाजों को भुगतान करने से बचाव होगा।

‘@वैलिड’ हैंडल और सेबी चेक मिलकर निवेशकों के लिए लेनदेन में एक पारदर्शी, बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली तैयार करते हैं। दोहराने का जोखिम उठाते हुए, यहां मुख्य विवरण दिए जा रहे हैं।

सत्यापित हैंडल: केवल सेबी-पंजीकृत मध्यस्थ, जैसे ब्रोकर और म्यूचुअल फंड, ही ‘@वैलिड’ हैंडल का उपयोग कर सकते हैं। प्रत्येक हैंडल में एक श्रेणी-विशिष्ट प्रत्यय भी होगा ।

दृश्यात्मक पुष्टि: जब कोई निवेशक भुगतान करता है तो यूपीआई की भुगतान स्क्रीन पर एक हरा तिकोना थम्ब्स-अप आइकन दिखता है जो बताता है कि भुगतान एक पुष्ट मध्यवर्ती के पास जा रहा है।

क्यूआर कोड प्रमाणन: मध्यवर्ती क्यूआर कोड भी मुहैया कराएगा जो थम्ब्स-अप आइकन दिखाएगा, जिसे स्कैन करके निवेशक भुगतान कर सकेंगे।
सेबी के सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि ‘जानकार लेकिन अभी तक निवेश न करने वाले’ परिवारों की संख्या बढ़ रही है, जिनमें से कम से कम 22 फीसदी अगले वर्ष बाजार में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं। वे पूंजी बाजार से जुड़ने के इच्छुक हैं। ज्ञान की कमी और रूढ़िवादी दृष्टिकोण के अलावा, ऑनलाइन धोखाधड़ी भी उनके उत्साह को कम करती है।

भ्रामक इन्फ्लुएंसर्स पर प्रतिबंध लगाने से लेकर वैध भुगतान प्रणालियां शुरू करने और निवेशक शिक्षा कार्यक्रमों तक सेबी की व्यापक प्रतिक्रिया भरोसा बनाने में मदद करेगी और बचतकर्ताओं को निवेशकों में बदलने की दिशा में आगे बढ़ाएगी।

भारतीय रिजर्व बैंक पहले ही सभी विनियमित संस्थाओं के लिए विस्तृत धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचा लागू कर चुका है। क्या बैंकिंग नियामक सभी ऑनलाइन जमा लेनदेन के लिए एक विशेष ‘चेक’ टूल पेश करने पर भी विचार कर सकता है?


(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड के वरिष्ठ सलाहकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं)

First Published : November 20, 2025 | 9:47 PM IST