प्रिय बैजू,
पिछली बार जब हमारा संवाद हुआ था तो आप चाहते थे कि आपको इसी प्रकार संबोधित किया जाए। मैं वैसा ही कर रहा हूं। जब हमारी बात हुई थी तब आपने कहा था कि बैजूस के छह संस्थापकों में से पांच पहले शिक्षक थे। आपने कहा था कि आप लोग कोई कारोबार नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह आपकी जिंदगी थी।
इस सप्ताह अपने निवेशकों से बात करते हुए आपने लगभग वही बातें दोहराईं, ‘बैजूस मेरा काम नहीं, मेरा जीवन है।’अगर मुझे बतौर शिक्षक आपका आकलन करना होता तो निरंतरता के लिए आपको पूरे अंक मिलते। परंतु मैं इस बात के लिए आपके ढेर सारे नंबर कम करने वाला हूं कि आपने बैजूस को कारोबार नहीं समझा। आपको अपनी कंपनी को कारोबार क्यों नहीं समझना चाहिए?
आप गणित के शानदार शिक्षक थे। आपने आज से 10 वर्ष पहले नई दिल्ली के एक इंडोर स्टेडियम को पूरा भर दिया था। देश में पहली बार ऐसा हुआ था कि 20,000 लोगों की बैठक व्यवस्था वाला वह स्टेडियम आपका भाषण सुनने को लालायित छात्रों से भर गया था।
आप सप्ताह के दौरान कई शहरों में पढ़ाते थे और सप्ताहांत पर कुछ अन्य शहरों में शिक्षा देते थे। तकनीक को अपनाने का निर्णय समझदारी भरा था क्योंकि आप जैसा व्यक्ति भी हर सप्ताह देश के हर शहर में नहीं हो सकता था। भारत को भी बड़े शहरों के बारे उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने वालों की आवश्यकता थी, बल्कि आज भी है।
ऐसे तमाम अध्ययन हमारे सामने आते हैं जिनसे पता चलता है कि तमाम स्तरों पर पढ़ाई में कितना अंतर आ चुका है। हमारी प्राथमिक शिक्षा अच्छी नहीं है। शिक्षकों की कमी है। बुनियादी ढांचा चिंताजनक है। तकनीक के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को ढेर सारे लोगों तक पहुंचाना संभव है।
एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो कारोबार नहीं चलाता था, यह उल्लेखनीय बात थी वह एडुकॉम्प के झमेलों से सफलतापूर्वक बच निकलना। एडुकॉम्प वह कंपनी है जो स्कूलों को तकनीक सक्षम क्लासरूम उत्पाद मुहैया कराती थी। एक वक्त था जब एडुकॉम्प का जलवा था। उसका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से अधिक था लेकिन जिस समय आपका सितारा उदय हो रहा था लगभग उसी समय उसने दिवालिया होने का आवेदन दिया था।
आपने स्कूलों को किनारे करके सीधे छात्रों और अभिभावकों को सामग्री बेचनी आरंभ की। देश में आई डेटा क्रांति ने आपके लिए सोने पर सुहागा का काम किया। उसके बाद महामारी आ गई। क्या उस वक्त लोग आप की कंपनी का 47 अरब डॉलर का मूल्यांकन करते हुए प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश की चर्चा नहीं कर रहे थे?
बैजू, यही वह वक्त था जब आपको कारोबारी दृष्टि का इस्तेमाल करना चाहिए था, अपनी कंपनी को एक कारोबार समझकर उसी तरह चलाना चाहिए था लेकिन आप ऐसा नहीं कर सके। क्या क्रिकेट का प्रायोजक बनना जरूरी था? आप कह सकते हैं कि ब्रांडिंग के लिए ऐसा किया गया और यह भी क्रिकेट भारत को जोड़ने वाला खेल है। ठीक है लेकिन फिर फुटबॉल क्यों? आप फुटबॉल विश्व कप से क्यों जुड़े? जाहिर है यह अपव्यय ही था।
आपने जो अधिग्रहण किए उनकी बात करें तो आकाश का अधिग्रहण यकीनन एक समझदारी भरा कदम था क्योंकि यह महामारी के बाद किया गया। लेकिन क्या वाकई आपको इतना अधिक पैसा खर्च करके एक ऐसी कंपनी का अधिग्रहण करना चाहिए था जो बच्चों को कोडिंग सिखाती है? बहरहाल क्या आप व्हाइटहैट जूनियर को बंद कर रहे हैं? ऐसी खबरें आ रही हैं लेकिन कुछ दूसरी खबरों के मुताबिक आप इसका खंडन कर रहे हैं।
ग्रेट लर्निंग, टॉपर, ऑस्मो और एपिक के उदाहरण भी हमारे सामने हैं। ये तो बस कुछ बड़े नाम हैं। ट्रैक्शन के मुताबिक आपने 19 अधिग्रहण किए और दो कंपनियों में निवेश किया। यह भी कि आपने अधिग्रहण पर 2.88 अरब डॉलर से अधिक की राशि व्यय की। दिल पर हाथ रखकर कहिए कि क्या आपको वाकई ब्रांड ऐंबेसडर के रूप में शाहरुख खान की जरूरत थी? एक ऐसा व्यक्ति जिसकी छवि परदे पर रोमांस करने वाले की हो उसे शिक्षा जगत के एक स्टार्ट अप का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया? उन्होंने इसके लिए कितनी धनराशि ली?
अब हम एक संवेदनशील विषय पर आते हैं। हम सभी शिक्षकों का बहुत सम्मान करते हैं और उनके वेतन को लेकर हमारी सहानुभूति रहती है। लेकिन आपने शिक्षकों की तनख्वाह कई गुना बढ़ा दी। बाजार में चर्चा है कि आपने उसमें सात से 10 गुना का इजाफा किया। क्या यह व्यावहारिक और टिकाऊ था?
इसमें अपने टैबलेट, आपूर्ति व्यवस्था और तमाम बुनियादी ढांचे तथा अन्य संलग्न लोगों की लागत जोड़ दीजिए। आश्चर्य नहीं कि ऐसी खबरें आने लगीं कि आपके विपणन का काम संभालने वाले लोगों ने अभिभावकों को तंग करने, भयभीत करने, उन पर चिल्लाने और धौंस दिखाने का काम शुरू कर दिया। ऐसी डरावनी खबरें आने लगीं कि कम आय वाले लोगों को कर्ज लेना पड़ा ताकि वे आपकी फीस दे सकें। उनमें से एक ने मुझसे कहा कि उसे आपकी सामग्री खरीदकर अपने बच्चे के प्रति अपना प्यार साबित करना पड़ा। आप लोग शिक्षक हैं, थोड़ी सी मानवीयता दिखाइए।
देखिए इन सब बातों की वजह से आप कहां आ गए हैं। आपका मूल्यांकन लगातार गिर रहा है। फंड जुटाना मुश्किल हो रहा है। आपके अंकेक्षक दूर हो गए हैं और महत्त्वपूर्ण बोर्ड सदस्यों ने भी दूरी बना ली है। आप अच्छा खासा ब्याज भुगतान करने में चूक गए हैं। और एक कर्जदाता के साथ कानूनी लड़ाई में उलझ गए हैं।
अगर यह वाकई आपका जीवन है तो क्या आपको उसे इस तरह चलाना चाहिए? इसे एक कारोबार की तरह क्यों नहीं चलाना चाहिए? कारोबारी दलील के आधार पर निर्णय क्यों नहीं लिए गए? जरा देखिए आपको वृद्धि हासिल करने की क्या कीमत चुकानी पड़ी? अन्य लोगों के जीवन पर पड़े प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव के बारे में सोचिए।
कारोबार में ब्रांड बनाने का एक प्रभावी तरीका है अच्छी कहानी कहना, ऐसी कहानी जिसमें केवल मुनाफे और राजस्व की बात न हो बल्कि नैतिक मूल्य, समानुभूति, करुणा और अनुभूति शामिल हो। लोग जिन कंपनियों को पसंद करते हैं उनके उत्पाद भी उन्हें पसंद आते हैं। आपको क्या लगता है कि इस समय आपकी कहानी का असर कैसा है? अब भी वक्त है कि आप अपनी कहानी बदलें। आपको बदलनी ही होगी। अपनी कहानी बदलने की शुरुआत कीजिए।
क्लासरूमों के दोबारा खुलने से आप कैसे निपट रहे हैं? आप जानते हैं कि पढ़ाई के मामले में बच्चे शिक्षकों से सीधे पढ़ना पसंद करते हैं। ऐसे कम ही मां-बाप होंगे जो अपने बच्चे को स्क्रीन पर घूरता देखना चाहेंगे। आपको आकाश के माध्यम से ऑफलाइन कक्षाओं पर जोर देना चाहिए और जहां संभव न हो वहां ऑनलाइन पढ़ाई कराएं।
लागत कम करने का प्रयास करें। अच्छे शिक्षक मिलना मुश्किल है इसलिए अपने अच्छे शिक्षकों के सत्र को तकनीक के माध्यम से दोहराइए। मुझे यकीन है आर्टिफिशल इंटेलिजेंस आपकी मदद कर सकता है। सबसे अहम बात, एडटेक स्टार्टअप की अगली लहर के लिए खुद को तैयार रखें। मुझे यकीन है यह लहर आएगी।
उनकी लागत कम होगी, वे तकनीक का अधिक किफायती इस्तेमाल करेंगे और शायद उनके पास सुनाने को बेहतर किस्सा हो। बैजूस को कारोबार मानिए। उसे कारोबार की तरह चलाइए। कारोबार हजारों लोगों को सीधे और लाखों लोगों की जिंदगी को परोक्ष रूप से प्रभावित करता है। यह बात केवल आपकी जिंदगी की नहीं है। एक और बात, अपने वित्तीय वक्तव्य समय पर प्रस्तुत कीजिए। यह बहुत बुनियादी बात है।
शुभेच्छु
सुवीन