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आकांक्षाओं से थकी हुई: मध्य वर्ग की बदलती प्रकृति को समझना जरूरी

हमें सिर्फ आय पर आधारित middle class की गणना की वास्तविकता की जांच करनी होगी। इसमें आय की स्थिरता और पूर्वानुमान के उन आयामों को शामिल करना होगा। बता रहीं हैं

Last Updated- August 05, 2025 | 11:09 PM IST

अर्थशास्त्री सुबीर गोकर्ण (अब दिवंगत) ने 2007 के आसपास इस अखबार में ‘मिडल क्लास ओरिजिन्स’(मध्य वर्ग की उत्पत्ति) शीर्षक से एक ऐतिहासिक लेख लिखा था। उसमें कही गईं बातें आज लगभग 20 साल बाद और भी ज्यादा प्रासंगिक हैं। मध्य वर्ग की उत्पत्ति अथवा वह प्रक्रिया जिससे यह वर्ग उभरा, बहुत मायने रखती है। इस वर्ग के बारे में हम जैसा सोचते हैं और उसके व्यवहार एवं दृष्टिकोण के प्रति हमारी जो धारणा है, उसमें इसकी संघर्ष यात्रा को भी ध्यान में रखना चाहिए।

यह मानना बिल्कुल गलत होगा कि आने वाले समय में मध्य वर्ग का व्यवहार खर्च और बचत (इससे आगे उसकी तार्किकता की बात करें तो, राष्ट्र, राजनीति एवं सामाजिक कर्तव्यों पर वैश्विक दृष्टिकोण) के मामले में मौजूदा मध्य वर्ग जैसा ही होगा। समकालीन मध्य वर्ग सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार से बना था। सरकारी नौकरियों ने उस वक्त उच्च और निम्न दोनों स्तरों पर स्थायी रोजगार पैदा किया था। इसमें स्वास्थ्य सेवा और पेंशन, कम ब्याज वाले ऋण (इसमें नियमित वेतन वृद्धि भी जोड़ी जा सकती है) आदि कुछ ऐसी विशेषताएं थीं जो सुरक्षा एवं भविष्य में आय के प्रति निश्चिंतता का आभास देती थीं। इन्हीं चीजों ने मध्य वर्ग के व्यवहार और दृष्टिकोण को आकार दिया था। फिर, 1990 के दशक से यह स्थायी सरकारी रोजगार के स्रोत कम होते गए। औपचारिक निजी क्षेत्र भी पर्याप्त रोजगार नहीं दे पा रहा है। गोकर्ण ने महसूस किया कि इस बदलते परिदृश्य में सबसे अधिक प्रभावित सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में निचले स्तर के कर्मचारी हैं।

उन्होंने यह भी माना कि भविष्य का मध्य वर्ग पहले की तरह एक समान नहीं होगा, क्योंकि अब इसके लिए रोजगार का कोई एकल स्रोत, कोई एक मजबूत पोषक या निर्माता नहीं है। आज इस वर्ग का दायरा फैल रहा है, लेकिन अधिकांश के पास पहले जैसी आय की स्थिरता और निश्चिंतता, नौकरी की सुरक्षा या जीवन के बुनियादी स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं का ध्यान रखने जैसी ऐतिहासिक विशेषताएं नहीं हैं। आय के आधार पर आकार लेने वाला मध्यम वर्ग स्वत: निरंतर आर्थिक प्रगति नहीं कर पाएगा, क्योंकि दोनों को जोड़ने वाले कारक अलग-अलग हैं।

जैसा कि इस कॉलम में अक्सर बताया गया है, हमें सिर्फ आय पर आधारित मध्य वर्ग की गणना की वास्तविकता की जांच करनी होगी। इसमें आय की स्थिरता और पूर्वानुमान के उन आयामों को शामिल करना होगा जो कौशल, कार्य-पद्धति और ऐसे व्यवसाय से आते हैं जो अस्थिर समय में लचीलापन प्रदान करते हैं। इसके अलावा, यह भी देखना होगा कि मौजूदा समय में देखभाल और भविष्य की सुरक्षा एवं अगली पीढ़ी की सामाजिक गतिशीलता बनाए रखने के उद्देश्य से तमाम खर्चों के बाद भी उसके पास निवेश करने के लिए कम से कम 30 फीसदी बचत हो। यदि फिलहाल हम इस संख्या को बनाए रखना चाहते हैं और मौजूदा क्रय शक्ति के आइने से मध्यम वर्ग की परिभाषा देखते हैं तो हमें उन क्षेत्रों के बारे में सोचना होगा जिनसे ये अलग-अलग तरह के आय स्रोत बने हैं, ताकि यह समझा जा सके कि उपभोक्ता, मतदाता, करदाता या नागरिक के रूप में यह मध्य वर्ग कैसे व्यवहार करेगा।

सरकारी कर्मचारियों और बड़ी निजी कंपनियों में औपचारिक नौकरी करने वाले लोगों का एक सेगमेंट ऐसा है जिसमें अभी भी पहले वाले मध्य वर्ग की निशानियां बाकी हैं। लेकिन व्यवसाय के आंकड़ों के आधार पर पता चलता है कि पहले से ही छोटे इस वर्ग की भविष्य के बढ़ते मध्य वर्ग में हिस्सेदारी घटती जा रही है। इस मध्य वर्ग का अधिकांश हिस्सा अर्ध-औपचारिक या अर्ध-अनौपचारिक छोटी निजी कंपनियों में रोजगार, सीमित व्यावसायिक क्षमता और पर्यावरणीय चक्रों का सामना करने की क्षमता वाले छोटे उद्यमी, और अलग-अलग कौशल स्तर और कम स्थिरता वाले स्व-नियोजित गिग कर्मचारी के रूप में होगा।

निम्न मध्य आय वर्ग जिसमें बहुत से कॉलेज जाने वाले वाले पहली पीढ़ी के युवा हैं, पर किया गया हमारा अध्ययन संकेत देता है कि भविष्य का मध्य वर्ग कैसा होगा (मेरे पिछले स्तंभों में इस अध्ययन का विस्तार से उल्लेख किया गया था)।

वे सार्थक काम खोजने और सामाजिक-आर्थिक सीढ़ी पर आगे बढ़ने के लिए जरूरी ऊर्जा जुटाने में थक चुके हैं, क्योंकि उनके पास कोई सुविधाजनक ढांचा नहीं है। वे दफ्तर वाली नौकरियों जैसा सम्मान, स्थिरता, सुरक्षा, पूर्वानुमान, सामाजिक गतिशीलता, मान्यता (जो पुराने मध्य वर्ग के पास थी) की तलाश में हैं। विडंबना यह है कि उनकी चाहत सरकारी नौकरी ही है। उनकी तीव्र इच्छा यही है कि वे ऐसा जीवन जिएं (कम आकांक्षा स्तर, छोटे सपने), जिसमें संघर्ष और अनिश्चितता कम से कम हो। क्या भारत का प्रसिद्ध आकांक्षी मध्य वर्ग भविष्य में एक थके हुए मध्य वर्ग के लिए रास्ता तैयार कर रहा है?

मध्य वर्ग में हम जिस स्थिरता और समरूपता की कल्पना करते हैं, वह वास्तव में विविधता का एक समूह है और इसमें अंतर्निहित आय और व्यवसाय की परिवर्तनशीलता जैसे गुण हैं। साहित्य में कहा जाता है कि कम सामाजिक विविधता (अधिक समरूपता) मध्य वर्ग की सक्रियता को दर्शाती है, क्योंकि वे अपनी ताकत का इस्तेमाल करने के लिए एक समूह के रूप में कार्य करते हैं। भविष्य का मध्य वर्ग न केवल कम समरूप होगा बल्कि अधिक संकीर्ण भी होगा, जो अपने पूर्ववर्ती को उपलब्ध सार्वजनिक क्षेत्र स्थानांतरणीय नौकरियों के अखिल भारतीय जीवन के अनुभवों से वंचित होगा।

हमें शायद एकल मध्य वर्ग की अपनी वैचारिक संरचना को दो-स्तरीय संरचना में बदलना होगा- एक आर्थिक विकास-संचालित वास्तविक मध्य वर्ग, जिसमें पूर्व में बताई गईं कई विशेषताएं हों; और दूसरा वर्तमान में क्रय शक्ति रखने वाला खपत करने में सक्षम वर्ग। मध्य वर्ग के विकास और आर्थिक व सामाजिक विकास को गति देने में उसके योगदान के बीच का संबंध अलग-अलग समूहों के लिए अलग-अलग होगा, जैसे कि उनके खर्च और बचत के विकल्प, नीतिगत आधार और चुनावी मूल्य प्रस्ताव भी अलग-अलग होंगे। शायद गोकर्ण का यही मतलब रहा हो जब उन्होंने कहा था कि एक उपयोगी चक्र सुनिश्चित करने के लिए हमें इस वर्ग की बदलती प्रकृति को पहचानने और उसी हिसाब से काम करने की जरूरत है।

(लेखिका ग्राहक-आधारित कारोबारी रणनीति क्षेत्र में व्यवसाय सलाहकार हैं।)

First Published - August 5, 2025 | 10:50 PM IST

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