Categories: लेख

दिसंबर में कमजोर हुई देश के उपभोक्ताओं की धारणा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:31 PM IST

दिसंबर 2021 में उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर प्रतीत हो रही है। अब तक उपलब्ध संकेतों के अनुसार नवंबर की तुलना में इस महीने उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर रह सकती है। जून 2021 के बाद यह पहला महीना होगा जब उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर रहेगी। जुलाई 2021 के बाद हरेक महीने उपभोक्ताओं की धारणा मजबूत हो रही थी। इससे पहले कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद अप्रैल, मई और जून में उपभोक्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ गया था। मार्च 2021 में उपभोक्ता धारणा सूचकांक (सितंबर-दिसंबर 2015 में आधार 100)  56.6 था। मगर कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद यह कम होकर 47.7 रह गया। हालांकि यह फिर तेजी से संभला और सितंबर 2021 में 58.7 पर पहुंच गया। जून 2021 में हुए नुकसान की भरपाई सितंबर 2021 में हो गई। मगर कोविड-19 महामारी की पहली लहर में हुई क्षति की पूर्ति अब भी मोटे तौर पर नहीं हो पाई है।
इस सप्ताह समाप्त होने वाली चालू तिमाही में उपभोक्ताओं की धारणा में सुधार कमजोर पड़ गया है। अक्टूबर में सूचकांक 2.1 प्रतिशत चढ़ा था और नवंबर में इसकी गति कमजोर होकर 1.2 प्रतिशत हो गई। हालांकि वृद्धि दर सुस्त रहने के बाद भी सूचकांक अप्रैल 2020 के बाद पहली बार 60 पार कर गया। नवंबर 2021 में सूचकांक 60.1 प्रतिशत रहा था। दिसंबर में इसकी गति सुस्त हो गई और अब यह फिर फिसल रहा है।
साप्ताहिक उपभोक्ता धारणा सूचकांक 21 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 61.9 के स्तर पर पहुंच गया था। 28 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह मामूली फिसल कर 61.5 पर आ गया। इसके बावजूद नवंबर में इस सूचकांक में 1.2 प्रतिशत तेजी देखी गई। मगर नवंबर के अंतिम सप्ताह में गिरावट दिसंबर के पहले सप्ताह में आने वाली एक बड़ी कमजोरी का संकेत था। सूचकांक 10.9 प्रतिशत फिसल कर 54.8 रह गया। पिछले एक सप्ताह में यह पहली साप्ताहिक गिरावट थी। इसके बाद अगले तीन सप्ताहों में इसमें थोड़ा सुधार हुआ मगर यह उतना दमदार नहीं रहा है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में सुधार जरूर हुआ था मगर बाद के सप्ताहों में गिरावट दर्ज की गई।
26 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में उपभोक्ता धारणा सूचकांक 55.1 के स्तर पर नवंबर के किसी भी सप्ताह और अक्टूबर के अधिकांश सप्ताह की तुलना में कम रहा। उपभोक्ताओं की धारणा के लिहाज से दिसंबर उत्साहजनक नहीं लग रहा है। साप्ताहिक आंकड़ों और 30 दिनों के औसत आंकड़ों में भी यह बात देखी जा सकती है। 25 दिसंबर को उपभोक्ता धारणा सूचकांक का औसत 57.1 रहा था। यह नवंबर 2021 के स्तर की तुलना में 4.7 प्रतिशत कम था। इस बात की उम्मीद कम ही है कि इस गिरावट की भरपाई महीने के छह दिनों में पूरी हो पाएगी।
अगर यह मान लें कि दिसंबर के बचे कुछ दिनों में उपभोक्ताओं की धारणा में सुधार नहीं होता है और न ही इसमें गिरावट आती है तो धारणा में 4.7 प्रतिशत की गिरावट पिछले आंकड़े की तुलना में कहां ठहरती है? जाहिर है काफी कमजोर प्रदर्शन कहा जाएगा। अगर हम मार्च, अप्रैल और मई 2020 और मई 2021 पर विचार नहीं करें तो 4.7 प्रतिशत की गिरावट सबसे बड़ी मासिक गिरावटों में एक होगी। एक सप्ताह से भी कम समय में हम जान जाएंगे कि उपभोक्ताओं की धारणा कितनी कमजोर होती है। इतना तो तय है कि एक बड़ी गिरावट आएगी।
पांच महीनों तक लगातार चढऩे के बाद दिसंबर में उपभोक्ता धारण में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार पर कुछ बड़े सवाल खड़ी करती है। क्या उपभोक्ताओं की धारणा में वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार पर ब्रेक लगा देगी? ऐसा प्रतीत होता है कि इस सुस्ती का अर्थव्यवस्था पर असर मामूली ही रहेगा। अक्टूबर और नवंबर में दर्ज बड़ी तेजी इसकी एक वजह हो सकती है। इन महीनों के दौरान ऐसे परिवारों की संख्या बढ़ी है जिनकी आय में सुधार औसतन 9.4 औसत प्रतिशत तक हो गई है। सितंबर 2021 तिमाही के दौरान यह तेजी 5.8 प्रतिशत के स्तर पर रही थी। दिसंबर 2020 में समाप्त तिमाही में 5.4 प्रतिशत दर्ज हुइ थी। इनके मुकाबले दिसंबर 2021 में समाप्त तिमाही में आय में तेजी 8.5 प्रतिशत से अधिक रह सकती है। इसी तरह आय में कमी दिखाने वाले परिवारों की संख्या में कमी आई है।
जिन परिवारों को लगता है कि मौजूदा समय उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की खरीदारी के लिए अच्छा है उनका अनुपात दिसंबर 2021 में समाप्त होने वाली तिमाही में 5.7 प्रतिशत रह सकता है। सितंबर 2021 के 3.8 प्रतितशत की तुलना में यह बेहतर रहेगा मगर दिसंबर 2020 में दर्ज 7.1 प्रतिशत की तुलना में यह कम रहेगा।
2021 में आय में वृद्धि दर्ज करने वाले परिवारों की संख्या में वृद्धि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स खरीदने की चाहत रखने वाले परिवारों की संख्या में आनुपातिक बढ़ोतरी में तब्दील नहीं हो पाई है। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि आय और बढ़ेगी और वृद्धि अधिक विश्वसनीय होगी जिससे उपभोक्ताओं का खर्च करने की तरफ झुकाव बढ़ेगा। मगर दिसंबर में आय में कमजोर वृद्धि सुधार प्रक्रिया को प्रभावित करेगी जिससे अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौती खड़ी हो सकती है।
(लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं)

First Published : December 30, 2021 | 11:16 PM IST