अब तक 1,757 सूचीबद्ध कंपनियों ने चौथी तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं और उनसे यह संकेत मिलता है कि कारोबारी गतिविधियों में तेज इजाफा हुआ है। परिचालन राजस्व में 17 फीसदी बढ़ोतरी हुई और यह सालाना आधार पर बढ़कर 26.04 लाख करोड़ रुपये हो गया। कर पश्चात मुनाफे में 523 फीसदी का जोरदार इजाफा हुआ और वह 2.38 लाख करोड़ रुपये रहा। परिचालन मुनाफा 64 फीसदी बढ़कर 7 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। ब्याज भुगतान 6 फीसदी घटा, अवमूल्यन में 7.4 फीसदी का इजाफा हुआ और कर्मचारी लागत में 9.5 फीसदी बढ़त हुई। यह सुधार कई क्षेत्रों में देखने को मिला। वैश्विक जिंस चक्र मजबूत था जिससे धातु और ऊर्जा कंपनियों को मदद मिली। खपत में सुधार हुआ और दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं और वाहन क्षेत्र में राजस्व बढ़ा। परंतु अचल संपत्ति और विवेकाधीन क्षेत्रों मसलन स्वागत और मनोरंजन उद्योग में भी मंदी का माहौल रहा।
यदि बैंकिंग, वित्त, तेल उत्पादन और परिशोधन जैसे अस्थिर क्षेत्रों को अलग कर दिया जाए तो शेष कंपनियों का परिचालन राजस्व बढ़कर 21.9 फीसदी हो जाता है। परिचालन मुनाफा और कर पश्चात लाभ में क्रमश: 58.9 फीसदी और 179 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि ब्याज की लागत 11 फीसदी घटी और कर्मचारियों से जुड़ी लागत में 7 फीसदी इजाफा हुआ। बैंकों के कर पश्चात लाभ में 629 प्रतिशत का असाधारण इजाफा हुआ। यह तब हुआ जब उनकी ऋण वृद्धि महज 5.3 फीसदी रही। आसान प्रॉविजनिंग के कारण केनरा बैंक, ऐक्सिस बैंक, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने इस तिमाही में 5,490 करोड़ रुपये का संयुक्त कर पश्चात लाभ हासिल किया। ठीक एक वर्ष पहले इन्हें 10,786 करोड़ रुपये का संयुक्त घाटा हुआ था। 163 सूचीबद्ध गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ भी ऐसा ही था। इन कंपनियों का कर पश्चात लाभ बढ़कर 19,977 करोड़ रुपये हो गया जबकि एक वर्ष पहले उन्हें 2,601 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। कच्चा तेल, परिशोधन और विपणन क्षेत्र का संयुक्त घाटा एक वर्ष पहले 19,241 करोड़ रुपये के असाधारण स्तर पर था और इस तिमाही में उसे 45,203 करोड़ रुपये का कर पश्चात लाभ हुआ।
वाहन क्षेत्र का राजस्व 39 फीसदी बढ़ा जबकि घाटे में कमी आई। टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा की स्थिति में भी सुधार हुआ। ट्रैक्टरों तथा दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी में सुधार जारी रहा। हीरो और बजाज का प्रदर्शन अच्छा रहा। वाहन कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों का राजस्व 36 फीसदी और कर पश्चात लाभ 510 फीसदी बढ़ा। वाहन उद्योग से संबद्ध फोर्जिंग क्षेत्र का राजस्व 38 फीसदी और कर पश्चात लाभ 150 फीसदी बढ़ा। पूंजीगत वस्तुओं के क्षेत्र में भी सुधार देखने को मिला और इसका राजस्व 31 फीसदी बढ़ा। इसका कर पश्चात लाभ 2,636 करोड़ रुपये रहा जबकि गत वर्ष इसे 433 करोड़ का नुकसान हुआ था। धातु चक्र में सुधार से स्टील क्षेत्र का राजस्व 45 फीसदी और कर पश्चात लाभ 1,300 प्रतिशत बढ़ा। इसमें टाटा स्टील का भारी योगदान रहा। गैर लौह धातुओं के राजस्व और कर पश्चात लाभ में भी सुधार हुआ। खनन क्षेत्र में भी यही दास्तान दोहराई गई। आईटी और औषधि क्षेत्र का प्रदर्शन स्थिर रहा। इनमें एक अंक की राजस्व वृद्धि हुई और कर पश्चात लाभ में दो अंक की बढ़ोतरी हुई।
क्या इसमें स्थायित्व है? 2021-22 की पहली तिमाही को आधार प्रभाव का भी लाभ मिलेगा। चिंतित करने वाली बात यह है कि मुद्रास्फीति में इजाफा हो रहा है। ऐसा खासतौर पर जिंस चक्र की लागत और आपूर्ति क्षेत्र की बाधा के कारण भी हो रहा है। खपत अभी भी अस्थिर है और दूसरी लहर ने ग्रामीण भारत को गहरे तक प्रभावित किया है। ऋण में कम विस्तार बताता है कि कारोबारी जगत सतर्क है। इसकी पर्याप्त वजह भी है।
