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भारत के वित्तीय अपराधी और यूनाइटेड किंगडम

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जैमिनी भगवती   
Last Updated- June 05, 2023 | 10:55 PM IST

नेटफ्लिक्स पर आ रही सीरीज ‘डिप्लोमैट’ में लंदन में पदस्थ अमेरिकी राजदूत यूनाइटेड किंगडम (यूके) के प्रधानमंत्री को सलाह देता है कि उनका देश यूके रूसी ओलिगार्क (राजनीतिक प्रभाव वाले अमीर कारोबारी) द्वारा लाए जाने वाले पैसों को वैध बनाने का जरिया बना हुआ है।

यह संवाद मीडिया तथा अन्य स्थानों पर आई उन रिपोर्टों पर बनी आम धारणा पर आधारित है जिनमें कहा जाता है कि रूस, चीन और भारत के अमीर परिवार लंदन में महंगी आवासीय और वा​णि​ज्यिक परिसंपत्तियां खरीदते हैं और भारी मात्रा में धन यहां जमा करते हैं।

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन की 3 अगस्त, 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ रूसी और अन्य उच्च मूल्यांकन वाले विदे​शियों ने ‘इं​ग्लिश लिमिटेड पार्टनर​शिप्स’ का इस्तेमाल करके वास्तविक मालिकों की पहचान छिपाई। यूक्रेन में चल रही निरंतर लड़ाई को देखते हुए यूके सरकार चरणबद्ध तरीके से रूसी ओलिगार्क के देश में निरंतर बने रहने को असहज बना रही है।

तथाकथित ‘इंडिपेंडेंट कमीशन फॉर द रिफॉर्म ऑफ इंटरनैशनल कॉर्पोरेट टैक्सेशन’ का 23 मई, 2022 का अध्ययन यह बताता है कि कैसे यूके के कानून और वहां का व्यवहार कर वंचना की वजह बनता है। फाइनैं​​शियल टाइम्स का 1 फरवरी, 2023 का आलेख संकेत देता है कि एक ओर जहां यूके के ओवरसीज टेरिटरीज में न्यास स्थापित करने के लाभ हैं, वहीं वहां रखी परिसंप​त्ति को गोपनीय रखने की सुविधा विदे​शियों को वहां भारी मात्रा में धन जमा करने के लिए प्रेरित करती है।

यूके की ओवरसीज टेरिटरीज जो करवंचकों के बीच लोकप्रिय हैं वे हैं:    ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स, गंजी, जिब्राल्टर और केमन आईलैंड्स। फिलहाल यूनाइटेड किंगडम में कई हाई प्रोफाइल भारतीय रह रहे हैं जिन्होंने भारत में क​थित तौर पर वित्तीय धोखाधड़ी की है। ऐसा दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण सं​धि के बावजूद है जो तीन दशक पहले 1993 में की गई थी।

अपरा​धियों को भारत में भारतीय कानूनों के तहत न्यायिक परीक्षण के अधीन लाने में एक बड़ी बाधा यह है कि भारत में जो अपराध किए गए, यूके के कानून के तहत भी उन्हें अपराध होना चाहिए। इसके अलावा यूरोप के मानवाधिकार समझौतों के तहत किसी कैदी को ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है जहां उसे खराब हालात में रखा जाए या उत्पीड़ित किए जाए। ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी भारत में वित्तीय धोखाधड़ी के दोषी हैं लेकिन उनका यूके से भारत प्रत्यर्पण नहीं हो सका।

ललित मोदी को क्रिकेट की आकर्षक इंडियन प्रीमियर लीग की स्थापना के लिए जाना जाता है। 2014 के पहले तत्कालीन भारत सरकार ने ब्रिटिश सरकार के साथ उनके भारत प्रत्यर्पण का प्रयास किया था। बीते नौ वर्ष में धीरे-धीरे भारतीय मीडिया में इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग कम होती गई। सतही तौर पर देखें तो लगता है ​मानो मौजूदा भारत सरकार उन्हें भारत लाकर न्याय करने की को​शिशों में नरमी बरत रही है।

इसके विपरीत सरकार ने विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की को​शिश में अधिक सक्रियता दिखाई।    इन दोनों पर भी भारत में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप हैं। विजय माल्या के कदाचार का एक उदाहरण यह है कि किंगफिशर एयरलाइंस तथा उनके स्वामित्व वाली अन्य कंपनियां 8,000 करोड़ रुपये से अ​धिक के कर्ज के साथ डिफॉल्ट कर चुकी हैं। उन्होंने यह राशि 2004 से 2008 के बीच वि​भिन्न सरकारी बैंकों से जुटाई थी।

जानकारी तो यह भी थी कि किंगफिशर एयरलाइंस ने अपने कर्मचारियों की आय में स्रोत पर ही 10 फीसदी कटौती की थी लेकिन उसे सरकार के खातों में जमा नहीं कराया। सन 2019 में में यूके के सर्वोच्च न्यायालय ने यूके की ही एक निचली अदालत के फैसले के ​खिलाफ विजय माल्या की याचिका सुनने से इनकार कर दिया था। निचली अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि माल्या ने भारत में जिन कानूनों का उल्लंघन किया है वे यूके में भी अपराध हैं।

अफवाह है कि इसके बाद उन्होंने यूके में राजनीतिक शरण मांगी और अगर यूके सरकार उनके मामलों को शरण मांगने के हजारों अन्य केसों के नीचे डाल देती है तो उनके प्रत्यर्पण लंबे समय के लिए अटक सकता है। नीरव मोदी पर पंजाब नैशनल बैंक के साथ 14,000 करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी का आरोप है जो शायद उन्होंने बैंक प्रबंधन की मिलीभगत के साथ किया। नीरव मोदी यूके की जेल में है लेकिन पंजाब नैशनल बैंक मामले के लिए नहीं ब​ल्कि यूके में गवाहों को धमकाने के लिए। यह संभव है कि उनके वकीलों ने ललित मोदी और विजय माल्या के मामलों की पीड़ादायक लंबी प्रक्रिया पर गहरी नजर रखी हो और संभव है कि नीरव मोदी ने भी यूके में शरण चाही हो।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक विजय माल्या के मामले में भारत सरकार को ब्रिटिश अ​धिकारियों को आश्वस्त करना पड़ा कि अगर माल्या को भारत में जेल की सजा होती है तो जेलों की ​स्थिति बेहतर होगी। क्या शरण की गुंजाइश और वित्तीय अपरा​धियों की खास सुनवाई इसलिए है कि वे यूके में भारी पूंजी लाते हैं? ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे यह स्थापित किया जा सके कि यूके की निजी वित्तीय क्षेत्र संस्थाएं, सरकार और न्यायिक प्रतिष्ठान आदि विदेशी वित्तीय अपरा​धियों के लिए सुविधायुक्त माहौल मुहैया करा रहे हैं। हालांकि हालात कमोबेश ऐसा ही इशारा कर रहे हैं।

मई 2023 में उत्तरी आयरलैंड के काउंसिल चुनावों में ​शिन फेन पार्टी 31 फीसदी वोट पाकर जीती। डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी को केवल 23 फीसदी मत मिले। ​शिन फेन और उसके समर्थक चाहते हैं कि उत्तरी आयरलैंड शेष आयरलैंड से मिल जाए और उत्तरी आयरलैंड में कैथलिकों की तादाद भी बढ़ रही है। इससे पता चलता है कि 10 वर्ष या उससे कम समय में एकीकृत आयरलैंड सामने आ सकता है और वह यूरोपीय संघ का हिस्सा बन सकता है।

स्कॉटलैंड की पूर्व प्रथम मंत्री निकोला स्टर्जन के सार्वजनिक वक्तव्यों से यह माना जा सकता है कि आगे चलकर स्कॉटलैंड भी यूके से अलग हो जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो वह भी यूरोपीय संघ में शामिल होगा। सारी बातों को ध्यान में रखें तो अब वक्त आ गया है कि भारत सरकार यूके की सरकार से यह असहमति जताए कि भारत में वित्तीय अपराध करने वालों को वहां शरण न दी जाए। भारत के लिए एक तरीका यह होगा कि वह यूरोपीय संघ के साथ वस्तु, सेवा व्यापार और व्यापक निवेश समझौते करे तथा भारत-यूके व्यापार समझौते पर चर्चा में देरी करे। (लेखक भारत के पूर्व राजदूत एवं वर्तमान में सेंटर फॉर सोशल ऐंड इकनॉमिक प्रोग्रेस के फेलो हैं)

First Published : June 5, 2023 | 10:55 PM IST