भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कुछ अस्पष्टताएं दूर करने तथा विलय के बाद बनने वाली इकाई को कुछ हद तक राहत की पेशकश के बाद HDFC और HDFC Bank (जुड़वा) का विलय अब तय नजर आ रहा है और निवेशकों को भी आश्वस्ति मिली है। कहा जा रहा है कि यह विलय जुलाई 2023 में होगा।
HDFC Bank देश में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक है। वह सर्वाधिक मूल्यांकन वाले बैंकों में से एक है। उसकी मूल कंपनी HDFC एक प्रमुख मॉर्गेज फाइनैंसर है। समूह की अनुषंगी कंपनियों में एक लिस्टेड एवं उच्च मूल्य वाली जीवन बीमा शाखा, एक लिस्टेड परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी, एक गैर लिस्टेड ब्रोकरेज फर्म और एक गैर लिस्टेड सामान्य बीमा फर्म शामिल हैं।
इसके अलावा कुछ अन्य अनुषंगी कंपनियां भी हैं। विलय को लेकर वित्तीय दलील इस तथ्य से उभरती है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों मसलन HDFC आदि की उधारी लागत बैंकों से काफी अधिक है। विलय के बाद बनी इकाई बैंक होगी और वह कम लागत वाली फंडिंग सुनिश्चित कर सकेगी।
दूसरी ओर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के उलट बैंकों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण देना होता है और इस प्रकार का ऋण अधिक जोखिम एवं कम प्रतिफल वाला होता है। बैंकों के विशुद्ध समायोजित ऋण में ऐसे ऋण की हिस्सेदारी 40 फीसदी होनी चाहिए। विलय बाद अगर HDFC के बकाया ऋण पोर्टफोलियो को शामिल किया गया तो HDFC की ऐसी ऋण देनदारी में तत्काल भारी इजाफा हो सकता है।
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इसके बजाय रिजर्व बैंक ने प्राथमिकता वाले ऋण को धीरे-धीरे बढ़ाने की इजाजत दी है। ऐसे में विलय की तिथि से पहले साल के भीतर HDFC के बकाया ऋण के एक तिहाई हिस्से को प्राथमिकता क्षेत्र वाले ऋण के लिए ध्यान में रखा जाएगा। शेष दो तिहाई ऋण को अगले दो वित्त वर्ष में शामिल किया जाएगा। इससे विलय के बाद बनी कंपनी को प्राथमिकता क्षेत्र वाले ऋण दायित्व को निभाने के लिए तीन वर्ष का समय मिल जाएगा। एक आकलन के मुताबिक अकेले इस राहत के चलते पहले वर्ष में शुद्ध मुनाफा दो फीसदी बढ़ेगा।
दूसरा बड़ा स्पष्टीकरण अनुषंगी कंपनियों के साथ व्यवहार को लेकर आया है। रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि HDFC की अनुषंगियों तथा एसोसिएट्स में अंशधारिता और निवेश को विलय के बाद बने HDFC Bank के निवेश के रूप में जारी रखने की इजाजत दी जाएगी। नियामक ने HDFC Bank और HDFC को HDFC लाइफ इंश्योरेंस में संयुक्त अंशधारिता को 50 फीसदी से अधिक करने की इजाजत दी है।
इसके साथ ही गैर लिस्टेड संयुक्त उपक्रम HDFC एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के लिए भी यही निर्णय लिया गया है। समूह को गैर लिस्टेड HDFC क्रेडिला फाइनैंशियल सर्विसेज में अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए विलय की तिथि से दो वर्ष का समय दिया गया है। ऐसे में विलय अनुषंगियों के नियंत्रण पर असर नहीं डालेगा और इसका विलय के बाद बनी कंपनी तथा अनुषंगियों के मूल्यांकन पर सकारात्मक असर होगा।
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हालांकि केंद्रीय बैंक ने अनिवार्य बैंकिंग रिजर्व रेश्यो पर रियायत देने से मना कर दिया है। इनमें नकद आरक्षित अनुपात, सांविधिक तरलता अनुपात और नकद कवरेज अनुपात शामिल हैं। ये प्रावधान विलय के दिन से लागू हो जाएंगे।
विलय के बाद बनी कंपनी प्रमुख मॉर्गेज क्षेत्र पर दबदबा रखेगी। HDFC की आवास ऋण बाजार में 5.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी है जो अगली बड़ी आवास ऋण कंपनी LIC हाउसिंग फाइनैंस के दोगुना से भी अधिक है।
HDFC बैंक के 16 लाख करोड़ रुपये के कुल कर्ज में आवास ऋण लगभग 11 फीसदी है। दोनों कपंनियों को शेयर बाजार में उच्च मूल्यांकन हासिल है। इसके अलावा उच्च बाजार हिस्सेदारी और मजबूत वृद्धि दर के अलावा उनके यहां देनदारी में चूक की दर अन्य बैंकों तथा आवास कंपनियों से कम है। फंडिंग की कम लागत और नियामकीय आवश्यकताओं की शिथिलता के कारण विलय के बाद बनी कंपनी उच्च मूल्यांकन वाली हो सकती है।