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Editorial: ईरान में हमास प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के बाद पश्चिम एशिया में शांति पर मंडराता खतरा

हमास के लड़ाकों एवं नेताओं की हत्या और इजरायल की तरफ से ताबड़तोड़ हमले के बाद भी इस संगठन की गतिविधियां कम नहीं हुई हैं और न ही इसकी लोकप्रियता में कोई कमी आई है।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- August 02, 2024 | 10:29 PM IST

ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के बाद पश्चिम एशिया में टकराव का खतरा काफी बढ़ गया है। कतर और तुर्किये में रहकर हमास के राजनीतिक नेतृत्व की कमान संभालने वाले हानिया की तेहरान में बुधवार को एक हमले में मौत हो गई। हानिया की हत्या के बाद हमास में थोड़ा नरम रुख रखने वाली आवाज बंद हो गई है।

ईरान ने आरोप लगाया है कि हमास के मुख्य वार्ताकार हानिया की हत्या में इजरायल का हाथ है, लेकिन उसने इस घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। हानिया इजरायल के साथ संघर्ष विराम के पक्ष में थे और इस विषय पर प्रायः हमास के दूसरे नेताओं से उनकी भिड़ंत हो जाती थी। उनकी हत्या के बाद मिस्र और कतर के नेताओं ने शांति वार्ता के भविष्य पर गंभीर संदेह जताया है। इन देशों के नेताओं की यह चिंता जायज है।

7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल के साथ संघर्ष शुरू होने के बाद हानिया पांचवें ऐसे नेता है, जिनकी हत्या हुई है। हानिया ईरान के नए राष्ट्रपति की ताजपोशी में भाग लेने के लिए तेहरान में थे और जिस समय उन पर हमला हुआ वह एक सुरक्षित स्थान पर थे। यह घटना इजरायल के परंपरागत प्रतिद्वंद्वी ईरान को कोई बड़ा कदम उठाने के लिए उकसा सकती है। हानिया की हत्या के बाद पश्चिम एशिया एक ऐसी विकट स्थिति में फंस चुका है, जिसमें शांति की संभावनाएं कमजोर हो गई हैं।

हमास के लड़ाकों एवं नेताओं की हत्या और इजरायल की तरफ से ताबड़तोड़ हमले के बाद भी इस संगठन की गतिविधियां कम नहीं हुई हैं और न ही इसकी लोकप्रियता में कोई कमी आई है। हानिया की हत्या के बाद हमास में कट्टरपंथी विचार रखने वाले मजबूत हो सकते हैं।

हमास के संभावित उत्तराधिकारी कूटनीति का रास्ता अख्तियार करने के लिए नहीं जाने जाते रहे हैं। दूसरी तरफ, इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की लोकप्रियता काफी कम हो गई है, इसलिए वह हमास के खिलाफ युद्ध को सत्ता पर अपनी पकड़ सुनिश्चित करने का सबसे मजबूत जरिया समझ रहे हैं।

ईरान को जान बूझकर उकसाना इजरायल की इस रणनीति का हिस्सा हो सकता है। हानिया पर हमले से ठीक कुछ घंटे पहले इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत में एक आवासीय इमारत पर बमबारी की थी। कहा जा रहा है कि इस बमबारी में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के एक सिपहसालार की मौत हो गई थी। हमास के साथ युद्ध शुरू होने के बाद इजरायल ईरान के शक्तिशाली इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कोर (आईआरजीसी) के दो सिपहसालारों की कथित तौर पर हत्या कर चुका है। कुछ समय पहले तक ईरान ने युद्ध और भड़काने का कोई इरादा जाहिर नहीं किया था।

इस वर्ष अप्रैल में सीरिया में अपने वाणिज्य दूतावास पर इजरायल के हमले के बाद ईरान ने सीमित एवं नपी-तुली प्रतिक्रिया दी थी। दो क्षेत्रीय राजधानियों में कुछ ही घंटों के भीतर दो वरिष्ठ नेताओं की हत्या के बाद पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक जोखिम कई गुना बढ़ गया है।

वर्तमान स्थिति में अरब राष्ट्रों की निष्क्रियता के बाद पश्चिम एशिया में शांति स्थापना का सारा दारोमदार अब अमेरिका पर है। अमेरिका इजरायल को गाजा में लड़ाई जारी रखने के लिए धन एवं सामग्री मुहैया करा रहा है। इस लड़ाई के कारण गाजा में मानवीय संकट खड़ा हो गया है। तेजी से बदलती परिस्थितियों के बीच इजरायल के भीतर भी शांति के प्रयास शुरू हो सकते हैं, क्योंकि वहां भी हमास के साथ संघर्ष से लोग अब असहज महसूस करने लगे हैं।

अब इजरायल में बदले की भावना से ध्यान हटाकर लोग 7 अक्टूबर को हमास द्वारा बंदी बनाए गए इजरायल के नागरिकों की सकुशल वापसी की मांग करने लगे हैं। इस दिशा में इसलिए ठोस प्रगति नहीं हो पाई है कि फिलिस्तीन भी इजरायल को जेलों में बंद हजारों कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा है।

इजरायल में आरक्षित सुरक्षा बलों में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो युद्ध के मैदान में जाने से इनकार कर रहे हैं। हालांकि, काफी कुछ नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे पर निर्भर करेगा। डॉनल्ड ट्रंप नेतन्याहू के पक्ष में खुला समर्थन व्यक्त कर रहे हैं जबकि कमला हैरिस इजरायल और फिलिस्तीन के हितों में संतुलन साधने की कोशिश कर रही हैं। अगले कुछ महीने पश्चिम एशिया में कड़ी परीक्षा के होंगे।

First Published : August 2, 2024 | 9:47 PM IST