भारत में 2023 में मॉनसून के दौरान बारिश के सामान्य से 5.6 फीसदी कम रहने के बाद इस वर्ष बारिश का स्तर अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो चुका है। अच्छी बात यह है कि मौसम विभाग के मॉनसून पूर्वानुमान में बारिश को लेकर सकारात्मक बात कही गई है। अनुमान है कि 2024 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य से बेहतर रहेगा। इसके दीर्घावधि के औसत के 106 फीसदी रहने का अनुमान है।
अल नीनो कमजोर पड़ रहा है और ला नीना में सुधार हो रहा है। यह भी भारतीय उपमहाद्वीप में मजबूत मॉनसूनी बारिश की एक वजह होगी। इसके साथ ही हिंद महासागर में सकारात्मक डायपोल स्थिति (एक जलवायु रुझान) और उत्तरी गोलार्द्ध के ऊपर सामान्य से कम हिमाच्छादित क्षेत्र भी बारिश के अनुकूल रहेगा। हालांकि बारिश का वितरण एक समान होने की उम्मीद नहीं है। पूर्वोत्तर, पश्चिमोत्तर और पूर्वी क्षेत्र के कुछ इलाकों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
दक्षिण पश्चिम मॉनसून के दौरान होने वाली बारिश खरीफ की फसलों के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है। सिंचाई सुविधाओं में सुधार के बावजूद यह इस फसल का अहम कारक है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने सकल घरेलू उत्पाद के जो दूसरे अग्रिम अनुमान पेश किए उनके मुताबिक खेती तथा उससे संबद्ध गतिविधियों की वृद्धि 2023-24 में 0.7 फीसदी के स्तर पर रह सकती है जबकि पिछले वर्ष यह 4.1 फीसदी थी। पिछले साल अनियमित मॉनसून और अल नीनो प्रभाव के कारण इसमें आश्चर्यचकित करने वाली कोई बात नहीं है।
बारिश के अनियमित रुझान और सूखे जैसे हालात सामान्य फसल उत्पादन चक्र को प्रभावित कर सकते हैं और नए कीटों तथा पौधों की नई बीमारियों को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके विपरीत अच्छी बारिश से फसल उत्पादन और कृषि उत्पादकता दोनों में इजाफा हो सकता है।
सालाना बारिश और कृषि के सकल मूल्यवर्द्धन में इजाफे के बीच स्थापित संबंध है। अच्छा मॉनसून रबी की फसल को भी फायदा पहुंचाता है क्योंकि इससे नमी बढ़ती है और जलाशयों में जल स्तर बेहतर होता है। उच्च कृषि उत्पादकता खाद्य कीमतों को सीमित दायरे में रखने में मदद करती है। पिछले कुछ समय के दौरान इसने समग्र मुद्रास्फीति को ऊंचे स्तर पर रखा है। यह ऐसे समय में हुआ है जबकि कोर मुद्रास्फीति की दर 4 फीसदी से भी कम रही है।
कृषि संभावनाओं में सुधार समग्र वृद्धि को भी मदद पहुंचाएगा। इसमें उच्च उत्पादन और ग्रामीण मांग में इजाफा दोनों का योगदान होगा। उच्च उत्पादन और कम खाद्य मुद्रास्फीति भी सरकार को खाद्य उत्पादों पर से निर्यात प्रतिबंध कम करने में मदद करेगी। बार-बार निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से कृषि जिंसों के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में हमारी विश्वसनीयता प्रभावित होगी।
बहरहाल, औसत से बेहतर बारिश के अनुमान के चलते हमारे नीति निर्माताओं का ध्यान उन दीर्घकालिक चुनौतियों से नहीं हटना चाहिए जो जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न हो रही हैं। अतिरंजित मौसम की घटनाएं बढ़ रही हैं। वर्ष 2023 में 365 दिनों में से 318 दिन अतिरंजित मौसम की घटनाएं घटीं। इससे 22.1 करोड़ हेक्टेयर कृषि रकबा प्रभावित हुआ, कई जानें गईं और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा। यदि इसके लिए कोई बहुमुखी नीति नहीं अपनाई गई तो ऐसी घटनाओं का असर बढ़ेगा। लू के थपेड़ों और बाढ़ की घटनाओं का असर केवल कृषि क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह आमतौर पर भी उत्पादकता और जनजीवन को प्रभावित करता है।
गत वर्ष कमजोर मॉनसून के कारण जलाशयों में जलस्तर 2022 के स्तर से भी 19 फीसदी नीचे चला गया। यह 10 वर्ष के औसत स्तर से 8 फीसदी नीचे रहा। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े बताते हैं कि देश के आधे बड़े जलाशयों में मौजूदा जल स्तर उनकी क्षमता के 40 फीसदी से भी कम है।
ऐसे में इस वर्ष बेहतर मॉनसून का पूरा फायदा उठाया जाना चाहिए जिससे कि भूजल का स्तर बेहतर बने और देश के प्रमुख जलाशयों में पानी रहे। बहरहाल दीर्घकालिक नीति का ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि कैसे अधिक पानी बचाया जाए और कृषि क्षेत्र में पानी का इस्तेमाल कम किया जाए। हमारे जल संसाधन का अधिकांश हिस्सा कृषि में ही इस्तेमाल होता है।