संपादकीय

Editorial: मध्य वर्ग का बजट, विकास की रफ्तार बढ़ाने का दांव

आयकर में राहत और बढ़ती खपत के जरिए आर्थिक सुस्ती दूर करने की कोशिश

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- February 01, 2025 | 11:27 PM IST

वित्त वर्ष 2025-26 का बजट ऐसे समय में पेश किया गया है जब व्यापक आर्थिक हालात अनिश्चितता की गिरफ्त में हैं। हाल की तिमाहियों में देश की आर्थिक वृद्धि काफी सुस्त पड़ गई है। वैश्विक व्यापार की भविष्य की रूपरेखा भी अनिश्चित लग रही है। कोविड महामारी के दीर्घकालिक असर अब आर्थिक गतिविधियों पर नहीं दिख रहे हैं मगर भारत में सार्वजनिक ऋण के शीर्ष स्तरों पर यह अब भी देखा जा रहा है।

वर्तमान में इन सभी अनिश्चितताओं के साथ एक साथ नहीं जूझा जा सकता। इसे समझते हुए सरकार ने अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के कारणों को समझने एवं उन्हें दूर करने पर अपनी ताकत लगा दी है। उपभोग या खपत में कमी पर हाल में काफी चर्चा हुई है और इसे ही कमजोर वृद्धि दर के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। बजट में आयकर में राहत देकर और शहरी दिक्कतों पर ध्यान देकर इस विकराल समस्या को दूर करने का प्रयास किया गया है।

अगर सब कुछ ठीक रहा तो कर ढांचे में बदलाव (एक लाख रुपये महीना कमाने वाले लोगों को अब आय कर नहीं देना होगा) से मध्य वर्ग की जेब में ठीक-ठाक रकम आ जाएगी। अधिक रकम बचने से लोगों का झुकाव खर्च करने की तरफ बढ़ेगा जिसे देखते हुए निजी क्षेत्र भी निवेश करने के लिए उत्साहित हो जाएगा। हमें यह समझना चाहिए कि आर्थिक वृद्धि तेज करने का यह उपाय उन तरीकों से अलग है जिनका इस्तेमाल सरकार कोविड महामारी के बाद करती आ रही थी। हाल के वर्षों में बजट में सार्वजनिक क्षेत्र में पूंजीगत व्यय में काफी इजाफा हुआ है। हालांकि, सार्वजनिक व्यय पूर्व के स्तरों पर ही है मगर ऐसा लग रहा है कि वित्त मंत्रालय मानता है कि घरेलू मांग बढ़ाने के सीधे उपाय किए बिना काम नहीं चलेगा और वृद्धि दर में कमी का सिलसिला नहीं थमेगा।

सरकारी खजाने से जुड़े व्यापक आंकड़ों की हालत इतनी खराब नहीं है जितनी कंपनी के वित्तीय नतीजों की। इसके बावजूद सरकार ने बजट में मध्य वर्ग को बड़ी राहत देने का निर्णय लिया है। व्यक्तिगत आयकर प्राप्तियों में लगातार बढ़ोतरी दिख रही है और कर रियायत के रूप में 1 लाख करोड़ रुपये की छूट दिए जाने के बावजूद इसमें आने वाले साल में 14 प्रतिशत का इजाफा होने की उम्मीद है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024-25 में वास्तविक अर्थ में निजी अंतिम उपभोग व्यय में 7.3 प्रतिशत का इजाफा होगा जबकि इसकी तुलना में पिछले वित्त वर्ष में इसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

बजट में दिया गया बड़ा संदेश यह है कि उपभोग बढ़ने के साथ ही आर्थिक वृद्धि पटरी पर आ जाएगी। हाल के वर्षों में व्यक्तिगत आय करों में शानदार बढ़ोतरी को देखते हुए ही वित्त मंत्रालय ने संभवतः मध्य वर्ग को कर में बड़ी रियायत देने की घोषणा की है। राजकोषीय स्थिति संभालने के मोर्चे पर सरकार ने दो महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। सबसे पहले तो सरकार ने राजस्व व्यय पर अंकुश लगाकर व्यय की गुणवत्ता में सुधार किया है। दूसरी अहम बात यह है कि सरकार ने राजकोषीय स्थिति पर अधिक पारदर्शिता और इसे मजबूत करने की अपनी इच्छाशक्ति का परिचय दिया है। ये दोनों ही बातें बजट में दिख रही हैं

। बस व्यक्तिगत आयकर की भविष्य की दिशा को लेकर थोड़ा अंतर जरूर आया है क्योंकि बजट में प्रस्तावित कर राहत लागू करने से सरकार का गुणा-भाग जरूर बदलेगा। पिछले साल राजस्व व्यय में कमी की गई थी और इसे अंजाम देने के लिए सरकार ने आवास सब्सिडी और जल जीवन जल कार्यक्रम पर व्यय घटा दिया था। इसके अलावा जुलाई 2024 के बजट में पूंजीगत व्यय के कुछ मदों में भी आवंटन काफी कम किए गए थे।

बजट में चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष इसे 4.4 प्रतिशत तक सीमित रखने के अनुमान व्यक्त किए गए हैं। सरकार के पिछले प्रदर्शन को देखते हुए इन अनुमानों की सराहना की जानी चाहिए। हालांकि, राजकोषीय सुदृढ़ीकरण का दीर्घकालिक रास्ता थोड़ा अस्पष्ट लग रहा है। बजट में इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि सरकार भविष्य में राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य कैसे हासिल कर पाएगी।

इस बजट से जुड़ी राजनीति में भी पारदर्शिता दिखी जो असामान्य उपलब्धि मानी जा सकती है। सरकार ने कुछ राज्यों के लिए विशेष घोषणाएं तो की हैं मगर उनसे सरकारी खजाने पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुल मिलाकर, यह बजट मध्य वर्ग के नाम रहा है और पूंजीगत व्यय जैसी चिंताओं को अधिक तवज्जो नहीं दी गई है। प्रत्यक्ष करों के तर्कसंगत बनाने के साथ कर सुधार की उम्मीद लंबे समय से की जा रही है। अगर 2025 में आर्थिक वृद्धि पटरी पर लौट आई तो फिर इससे अच्छी बात क्या होगी।

First Published : February 1, 2025 | 11:27 PM IST