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Editorial- पीएम ई-ड्राइव योजना: केंद्र सरकार की नई पहल से मिलेगी मदद

पीएम ई-ड्राइव योजना की मदद से 24.7 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों, 3.16 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों और 14,028 ई बसों को मदद मिलने की उम्मीद है।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- September 12, 2024 | 11:06 PM IST

देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को दो योजनाओं को मंजूरी दी और इनके लिए 14,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए ईवी को प्रोत्साहन देना जरूरी है।

द पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एनहैंसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के लिए 10,900 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जो अगले दो वर्षों में फास्टर एडाप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) को प्रतिस्थापित करेगी।

फेम की शुरुआत 2015 में 900 करोड़ रुपये की आरंभिक पूंजी की मदद से की गई थी। इस योजना का दूसरा संस्करण जो गत वित्त वर्ष समाप्त हुआ उसमें 11,500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। उम्मीद है कि नई योजनाएं देश में ईवी को अपनाए जाने की दिशा में मददगार होंगी और पिछली पहलों की कामयाबी को आगे ले जाएंगी। चूंकि ईवी की आरंभिक लागत पेट्रोल-डीजल इंजनों की तुलना में अधिक होती है इसलिए उसे अपनाने के लिए राजकोषीय समर्थन जरूरी माना जाता है।

पीएम ई-ड्राइव योजना की मदद से 24.7 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों, 3.16 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों और 14,028 ई बसों को मदद मिलने की उम्मीद है जिन्हें करीब 3,679 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक ट्रक और इलेक्ट्रिक एंबुलेंस को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये प्रत्येक की राशि आवंटित की गई है जबकि 200 करोड़ रुपये का आवंटन 74,000 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के लिए किया गया है।

इसके अलावा पीएम-ईबस सेवा-पेमेंट सिक्युरिटी मैकेनिज्म (पीएसएम) योजना के लिए 3,435.33 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और यह सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरण से ई बसों की खरीद और संचालन पर ध्यान केंद्रित करेगी। योजना के तहत चालू वर्ष से लेकर 2028-29 तक 38,000 इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जानी हैं। योजना के तहत शुरुआती दिन से अगले 12 वर्षों तक बसों के परिचालन में भी मदद करेगी।

इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मदद के अलावा इस बार वाणिज्यिक स्तर पर ईवी को अपनाने पर भी जोर है। उदाहरण के लिए इस बार इलेक्ट्रिक कारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। वाणिज्यिक वाहनों पर ध्यान देना समझ में आता है और राजकोषीय समर्थन अधिक मूल्यवान साबित हो सकता है क्योंकि वाणिज्यिक वाहन अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।

उदाहरण के लिए अगर राजधानी में अधिक इलेक्ट्रिक ट्रक माल लेकर आएंगे तो इससे काफी राहत मिलेगी। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक बसें भी देश के कई शहरों के यातायात के कारण होने वाला प्रदूषण कम करेंगी क्योंकि वे डीजल से चलने वाली बसों का स्थान लेंगी। सार्वजनिक परिवहन को बजट समर्थन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनमें से अधिकांश घाटे में हैं और इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अहम निवेश कर सकें। ऐसे में यह महत्त्वपूर्ण है कि उनका योगदान सीमित रहे।

चार्जिंग स्टेशन पर ध्यान देना भी जरूरी है। इसी समाचार पत्र में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार एक ईवी चार्जिंग कंपनी ने भारतीय डाक सेवा के साथ मिलकर हैदराबाद के एक पोस्ट ऑफिस में ईवी चार्जिंग स्टेशन शुरू किया। ऐसे और प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। डाक घर प्राय: शहरों में प्रमुख स्थानों पर मौजूद हैं और वहां उपलब्ध जमीन पर ईवी चार्जिंग स्टेशन की स्थापना उपयुक्त हो सकती है।

पीएम ई-ड्राइव योजना में एक नई विशेषता होगी खरीदारों के लिए आधार प्रमाणित ई-वाउचर। खरीदारों को ये वाउचर भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए जाएंगे और खरीदार को इस पर हस्ताक्षर करके डीलर के पास जमा करना होगा।

डीलर इस पर हस्ताक्षर करके मांग संबंधी प्रोत्साहन पाने के लिए अपलोड करेगा। यह पहल वास्तविक लाभार्थी को चिह्नित करने में मदद करेगी लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि प्लेटफार्म सुचारु रूप से काम करे और फंड जल्दी स्थानांतरित हो सकें। इसमें बाधा और देरी से डीलर प्रभावित हो सकते हैं और ईवी की बिक्री पर असर पड़ सकता है। सफल शुरुआत के लिए सरकार को स्वदेशीकरण और मूल्य सीमा तय करने जैसे मुद्दों से सावधानी से निपटना चाहिए। पिछली योजना को इन विषयों ने प्रभावित किया था।

First Published : September 12, 2024 | 9:58 PM IST