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Editorial: नए जीएसटी से बीमा, खाद्य वस्तुएं और वाहन होंगे सस्ते; अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार

जीएसटी में बदलाव करके उसे मोटे तौर पर 5 और 18 फीसदी की दो दरों वाला तुलनात्मक रूप से सरल ढांचा बना दिया गया

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- September 04, 2025 | 11:21 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बुधवार को आयोजित 56वीं बैठक में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में अहम सुधारों की घोषणा की गई। माना जा रहा है कि इससे उपभोक्ताओं को फायदा होगा, वर्गीकरण संबंधी विवाद कम होंगे और अनुपालन में सुधार होगा। जीएसटी में बदलाव करके उसे मोटे तौर पर 5 और 18 फीसदी की दो दरों वाला तुलनात्मक रूप से सरल ढांचा बना दिया गया है।

चुनिंदा नुकसानदेह वस्तुओं और सेवाओं के लिए 40 फीसदी की दर रखी गई है। यह भी कहा जा सकता है कि जीएसटी अभी भी पूरी तरह एकल दर वाले कर ढांचे के विचार के करीब नहीं है लेकिन ताजा बदलाव कई विसंगतियों और व्यवस्था की ढांचागत कमियों को दूर करने वाले साबित होंगे। यह भी निर्णय लिया गया कि इस माह के अंत से पहले वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय पंचाट का परिचालन शुरू किया जाएगा ताकि अपील स्वीकार की जा सकें। जीएसटी के ढांचे में इस व्यवस्था की कमी महसूस की जा रही थी। नया कर ढांचा 22 सितंबर से प्रभावी होगा।

अब 12 और 28 फीसदी की दरों को समाप्त कर दिया गया है और इनमें आने वाली वस्तुओं को 5 और 18 फीसदी की दर में समाहित कर दिया गया है। इससे बड़ी संख्या में उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होंगी। उदाहरण के लिए खाद्य वस्तुओं की बात करें तो उन्हें 5 फीसदी के स्लैब में डाल दिया गया है। एयर कंडीशनर और 32 इंच से बड़े टेलीविजनों पर अब 28 फीसदी के बजाय 18 फीसदी कर लगेगा।

छोटी कारों और मोटरसाइकिल पर भी 28 फीसदी के स्थान पर 18 फीसदी कर लगेगा। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बीमा उत्पादों को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है। इससे वे किफायती बनी रहेंगी और उनकी पहुंच बढ़ेगी। इनवर्टेड कर ढांचे से संबंधित कुछ मुद्दों पर भी सुधार किया गया है। उदाहरण के लिए मानव निर्मित कपड़े और उर्वरक क्षेत्र में। कृषि उपकरणों मसलन ट्रैक्टर तथा अन्य मशीनरी पर भी जीएसटी कम किया गया है। क्षतिपूर्ति उपकर जिसका संग्रह राज्यों को महामारी के दौरान हुई राजस्व हानि की भरपाई की खातिर लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए किया जाता है, उसका भी अंत हो जाएगा। केवल चुनिंदा नुकसानदेह वस्तुओं पर ही वह लागू रहेगा।

सामान्य स्तर पर, जीएसटी दरों में कटौती से मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार, यह आने वाली कुछ तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में लगभग एक फीसदी का योगदान कर सकता है और अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों के प्रभाव को कुछ हद तक संतुलित कर सकता है। हालांकि, वास्तविक परिणामों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना आवश्यक होगा। केवल त्योहारों के कारण और दरों में कटौती की उम्मीद से रुकी हुई मांग से आगे बढ़कर। फिर भी, समग्र रूप से कम जीएसटी दरों का मुद्रास्फीति पर नरमी लाने वाला प्रभाव अवश्य पड़ेगा। सबसे कठिन होगा इसके राजकोषीय प्रभाव का आकलन। यानी सरकार के राजस्व और व्यय पर इसका असर जानना।

सरकार ने कहा है कि दरों को तर्कसंगत बनाने से राजस्व पर करीब 48,000 करोड़ रुपये का असर होगा। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि मांग किस तरह प्रतिक्रिया देती है। नीतिगत नजरिये से देखें तो औसत जीएसटी दर 11.6 फीसदी से कम हो जाएगी जो पहले ही एकदम आरंभ के 14.4 फीसदी से कम है। परिषद शायद 5 फीसदी की निचली दर को कुछ हद तक बढ़ाने की संभावना पर विचार कर सकती थी ताकि राजस्व संग्रह को बढ़ाया जा सके।

इससे उपभोक्ता को समग्र स्तर पर लाभ मिलता ही, साथ ही केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कुछ हद तक राजस्व की सुरक्षा भी कर पातीं। इसके अलावा, यह भविष्य में एक समान दर की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता। यह संरचना को और अधिक सरल बनाने का अवसर भी देता, जिससे जूते-चप्पल, परिधान और वाहन जैसे उत्पादों पर एक ही दर से कर लगाया जा सकता। फिर भी, किए गए बदलाव समग्र रूप से सकारात्मक हैं और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को कहीं अधिक सरल बनाएंगे।

First Published : September 4, 2025 | 11:14 PM IST