बड़ी मॉर्गेज कर्जदाता कंपनी एचडीएफसी तथा उसी समूह के अग्रणी निजी बैंक एचडीएफसी बैंक के विलय के प्रस्ताव से कई नए रिकॉर्ड बनना तय है। दोनों के विलय से वित्तीय सेवा क्षेत्र का ऐसा अग्रणी समूह तैयार होगा जिसकी कुल अग्रिम राशि 18 लाख करोड़ रुपये, प्रबंधन लायक कुल परिसंपत्तियां 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक, विशुद्ध मूल्य तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक तथा फ्री फ्लोट बाजार पूंजी देश में सर्वाधिक होगी। फ्री फ्लोट बाजार पूंजी उसे कहते हैं जिसका आकलन शेयर मूल्य तथा बाजार में तत्काल उपलब्ध शेयरों का गुणा करके किया जाता है। चूंकि समूह का नियंत्रण एक प्रमुख निजी बीमा कंपनी तथा प्रमुख म्युचुअल फंड घराने पर भी है, इसलिए यह वित्तीय सेवाओं तथा योजनाओं के ऐसे केंद्र के रूप में सामने आया है जहां सभी जरूरतें पूरी हो सकती हैं। विलय के बाद बनी इकाई एक बहुत बड़ा बैंक होगी जहां एचडीएफसी के निवेशकों को एचडीएफसी के प्रत्येक 25 शेयरों के बदले एचडीएफसी बैंक के 42 शेयर मिलेंगे। विलय के पश्चात एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी लिमिटेड की हिस्सेदारी समाप्त हो जाएगी और एचडीएफसी बैंक का 100 फीसदी स्वामित्व सार्वजनिक अंशधारकों के पास हो जाएगा। एचडीएफसी लिमिटेड के मौजूदा शेयरधारकों को एचडीएफसी बैंक में 41 फीसदी हिस्सा मिलेगा।
विलय के बाद बने बड़े संस्थान के लिए एक बड़ा लाभ यह होगा कि कि फंडिंग की लागत में काफी कमी आएगी जिससे वह सस्ता मॉर्गेज ऋण दे सकेगा। इससे उसकी पहले से मजबूत बाजार हिस्सेदारी और बढ़ेगी। एचडीएफसी बैंक की देश भर में 6,300 शाखाएं और अनगिनत ग्राहक हैं जिनमें मॉर्गेज ऋण की संभावना तलाशी जा सकती है। वहीं एचडीएफसी के आवास ऋण ग्राहकों को एचडीएफसी बैंक की पेशकश की जा सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि एक अनुमान के मुताबिक एचडीएफसी के केवल 30 फीसदी ग्राहकों के खाते एचडीएफसी बैंक में हैं इसलिए मौजूदा ग्राहकों को अतिरिक्त उत्पाद बेचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा इस विलय के बाद एक ही प्लेटफॉर्म साझा करने, कर्मचारियों को युक्तियुक्त बनाने जैसे कई लाभ भी हो सकते हैं। निवेशकों की रुचि यह जानने में भी होगी कि विलय के बाद उच्च प्रबंधन का आकार कैसा होगा। बैंक को कुछ नियामकीय मसले जरूर हल करने होंगे क्योंकि बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक बीमा कंपनियों में बैंकों को ज्यादा हिस्सेदारी की इजाजत नहीं देता। यदि रिजर्व बैंक ऐसे स्वामित्व को प्रतिबंधित करने के लिए नियमन लाता है तो संभव है कि बीमा शाखा एचडीएफसी लाइफ में हिस्सेदारी बेचनी पड़े।
इसके अलावा विलय के बाद बनने वाली संस्था को नई नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए भी फंड आवंटित करने होंगे क्योंकि बैलेंस शीट में काफी इजाफा होगा। इससे पहले की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को नकद आरक्षित अनुपात और सांविधिक तरलता अनुपात जरूरतों को नहीं पूरा करना पड़ता था।
यह विलय जो अगले 18 महीनों में पूरा हो जाना चाहिए, वह यह भी रेखांकित करता है कि वित्तीय सेवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम का रुझान बन रहा है। बजाज फिनसर्व, ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और अब एचडीएफसी सभी ने अपना आकार बढ़ाया है। इनके पास भारी तादाद में खुदरा ग्राहक, उच्च तकनीक डेटा आधारित सेवाएं और भौगोलिक पहुंच है।
बाजार रुझान के अलावा नयी संस्था समूची अर्थव्यवस्था पर असर डालेगी। कई कॉर्पोरेट क्षेत्रों तथा अचल संपत्ति मॉर्गेज, वाहन ऋण समेत बड़ी खुदरा खपत के अलावा बीमा तथा म्युचुअल फंड तक इसका दायरा है। देश के ग्रामीण और अद्र्ध शहरी इलाकों समेत हर क्षेत्र तक इसकी पहुंच है। विलय की घोषणा के बाद शेयर कीमतें बढ़ीं और दोनों कंपनियों की संयुक्त बाजार पूंजी 14 लाख करोड़ रुपये के पार हो गई। संयुक्त कंपनी उच्च फ्री फ्लोट के कारण निफ्टी 50 सूचकांक में अधिकतम भार वाली है। इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों को अपने शेयरों को दोबारा संतुलित करना होगा जिससे बाजार मूल्यांकन और बढ़ सकता है।