अगस्त में भारतीय रिजर्व बैंक ने फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एम्पॉवरमेंट (फेस) को वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) क्षेत्र में स्वनियामक संस्था या सेल्फ रेग्युलेटरी ऑर्गनाइजेशन (एसआरओ) की मान्यता दे दी। बैंकिंग नियामक को तीन आवेदन मिले थे। इनमें से एक को एसआरओ का दर्जा दिया गया, एक से कहा गया कि वह बताई गई जरूरतें पूरी कर दोबारा आवेदन करे और तीसरे आवेदन पर विचार चल रहा है।
देश में बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए रिजर्व बैंक से मंजूरी प्राप्त कितने एसआरओ हैं?
1944 में बैंकरों के एक समूह ने देवकरण नानजी बैंकिंग कंपनी लिमिटेड के चेयरमैन प्राणलाल देवकरण नानजी की अध्यक्षता में एक संघ बनाने के लिए बैठक की। दो वर्ष बाद 26 सितंबर, 1946 को इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) का जन्म हुआ। बैंकिंग क्षेत्र की यह अग्रणी संस्था 1966 से ही बैंकों, रिजर्व बैंक और सरकार के बीच तालमेल बिठाने का काम कर रही है। लेकिन यह एसआरओ नहीं है। लघु वित्त बैंकों का प्रतिनिधित्व करने वाली नई संस्था एसोसिएशन ऑफ स्माल फाइनैंस बैंक्स ऑफ इंडिया भी एसोसिएशन है, एसआरओ नहीं।
वर्ष 1958 में स्थापित फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफईडीएआई) शायद इस क्षेत्र का पहला एसआरओ है। इसका गठन कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत किया गया है। इसका जिम्मा बैंकों और जनता के बीच अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय कारोबार के नियम बनाना है। साथ ही विदेशी मुद्रा बाजार के सुधार और विकास के लिए रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम करना भी उसका जिम्मा है।
ट्रेजरी प्रबंधकों, विदेशी मुद्रा कारोबारियों और विदेशी मुद्रा ब्रोकरों को लेकर बनाई गई फॉरेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया भी एसआरओ नहीं है। इसी प्रकार फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट तथा डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया बाजार की स्वैच्छिक संस्था है, एसआरओ नहीं।
2004 में स्थापित फाइनैंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल कर्ज देने वाले एनीबएफसी का प्रतिनिधित्व करती है। यह सरकार और रिजर्व बैंक से भी संबद्ध है लेकिन औद्योगिक संगठन है, एसआरओ नहीं। एनबीएफसी क्षेत्र में सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए दो एसआरओ हैं: सा-धन और माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन)। सा-धन की स्थापना 1999 में यानी एमएफआईएन से एक दशक पहले हुई थी। लेकिन उसे एमएफआईएन से एक वर्ष बाद 2015 में एसआरओ का दर्जा मिला।
एक बार फिर फिनटेक क्षेत्र के एसआरओ की बात करते हैं। उससे क्या करने की अपेक्षा रहती है? रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कह चुके हैं कि नियमित मशविरे, फीडबैक और नीतिगत संवाद के जरिये एसआरओ मुक्त संवाद की सुविधा दे पाएंगे। इससे फिनटेक को नियामकीय अपेक्षाओं और प्राथमिकताओं के बारे में पता रहेगा।
हाल ही में इस समाचार पत्र के साथ साक्षात्कार में फेस की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुगंध सक्सेना ने कहा, ‘हर तरह की फिनटेक को एसआरओ के दायरे में लाना हमारी पहली प्राथमिकता है…फिलहाल हमारे 65 सदस्य हैं लेकिन फिनटेक का संसार बहुत बड़ा है, जिसमें कई तरह के कारोबारी मॉडल और कारोबारी स्तर की कंपनियां हैं। हम चाहते हैं कि सभी फेस में शामिल हों।’
रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2022 में भुगतान व्यवस्था परिचालन मसलन कार्ड नेटवर्क, कार्ड उपभोक्ता, बैंक वॉलेट, भुगतान एग्रीगेटर्स, एटीएम और यूपीआईके लिए कायदे बनाने तथा लागू करने के मकसद से एसआरओ बनाने की बात कही तथा दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया।
एसआरओ का प्राथमिक काम है सभी अंशधारकों का प्रतिनिधित्व, मानक और श्रेष्ठ व्यवहार तय करना, आंकड़े जुटाना, निगरानी करना और उल्लंघन की सूचना देना, समस्याओं को हल करना, विवाद निस्तारण, उपभोक्ताओं को जागरूक करना और उनका संरक्षण करना, शोध एवं विकास में मदद करना, व्यवस्थाओं की निगरानी और रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन करना।
जून 2024 में रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी के क्षेत्र में एसआरओ की मान्यता देने के लिए आवेदन मंगाए। आवेदकों को एसआरओ की मान्यता मिलने या परिचालन शुरू होने के एक साल के भीतर कम से कम 2 करोड़ रुपये की संपत्ति तैयार करनी होगी। रिजर्व बैंक इस क्षेत्र के लिए अधिकतम दो एसआरओ को मान्यता देगा। आवेदन मंगाते समय रिजर्व बैंक ने कहा कि एनबीएफसी के लिए एसआरओ की कल्पना मुख्य तौर पर निवेश और ऋण, आवास ऋण तथा सेवा क्षेत्र के लिए की गई थी। परंतु इसमें अन्य श्रेणियां भी शामिल हो सकती हैं।
इससे पहले मई 2024 में रिजर्व बैंक ने फिनटेक एसआरओ के लिए दिशानिर्देश जारी किए। उसने कहा कि यह एसआरओ किसी भी बाहरी प्रभाव से मुक्त स्वतंत्र संस्था होगी और नियामकीय मानकों को बरकरार रखने के लिए काम भी करेगी। आशा है कि ये एसआरओ सदस्यों को मानकों पर चलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे और नैतिक व्यवहार तथा बाजार के प्रति निष्ठा को बढ़ावा देंगे।
इनकी जिम्मेदारियों में प्रमुख हैं नियामकीय मानक बनाना और लागू करना, नैतिक आचरण को बढ़ावा देना, विवाद सुलझाना, सदस्यों के बीच पारदर्शिता और जवाबदेही लाना। इनके दायरे में विनियमित फिनटेक, विनियम से बाहर की फिनटेक, ऋण सेवा प्रदाता, नियो बैंक्स आदि शामिल हैं।
देश में इस क्षेत्र में तकरीबन 10,000 नियमित, अनियमित और परोक्ष रूप से विनियमित संस्थाएं हैं। 2025 तक उनका बाजार करीब 150 अरब डॉलर होने का अनुमान है। अमेरिका और चीन के बाद हम इस क्षेत्र में तीसरे सबसे बड़े मुल्क हैं। सबसे बड़ा क्षेत्र है भुगतान और उसके बाद ऋण। भुगतान और ऋण की निगरानी रिजर्व बैंक करता है और फिनटेक क्षेत्र में इनकी करीब 80 फीसदी हिस्सेदारी है। मगर सभी संस्थाएं विनियमित नहीं हैं।
ऐसा करने का एक तरीका यह हो सकता है कि काम के मुताबिक विभिन्न क्षेत्रों में एसआरओ स्थापित किए जाएं। साथ ही नियमित और अनियमित संस्थाओं के साथ अलग-अलग व्यवहार किया जा सकता है। एसआरओ के प्रभावी क्रियान्वयन का सूत्र यही है कि दूसरे के क्षेत्र में दखलंदाजी न हो।