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बैंकिंग साख: RBI के MPC बैठक के फैसले में नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद नहीं

फेडरल रिजर्व के इस कदम का अंदाजा सबको था, मगर ये संकेत भी मिले हैं कि सितंबर में ब्याज दर घटाई जा सकती है।

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- August 06, 2024 | 11:04 PM IST

बैंक ऑफ इंगलैंड (बीओई) ने 1 अगस्त को मुख्य उधारी दर 25 आधार अंक घटाकर 5 प्रतिशत कर दी। मार्च 2020 में कोविड महामारी फैलने के बाद पहली बार बीओई ने ब्याज दर घटाई है। बीओई के इस कदम से ठीक एक दिन पहले अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने नीतिगत दर 5.25 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय लिया। फेडरल रिजर्व के इस कदम का अंदाजा सबको था, मगर ये संकेत भी मिले हैं कि सितंबर में ब्याज दर घटाई जा सकती है।

भविष्य के लिए अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। किंतु अब तक मुद्रास्फीति को काबू करने पर जोर देने वाली नीति में पहली बार रोजगार सृजन पर भी ध्यान देने की बात कही गई। अब महत्त्वपूर्ण सवाल यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों पर क्या निर्णय लेगा? मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक आम चुनाव के ठीक बाद जून में हुई थी।

रिजर्व बैंक को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पेश बजट से अवश्य खुश होना चाहिए क्योंकि इसमें सरकार राजकोषीय घाटा सीमित रखने के लक्ष्य पर टिकी रही है। बजट में वित्त वर्ष 2025 के लिए अनुमानित राजकोषीय घाटा अंतरिम बजट के 5.1 प्रतिशत से घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया है।

इससे भी अच्छी बात यह रही कि सरकार ने अंतरिम बजट में तय पूंजीगत व्यय में कोई कमी नहीं की है। वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटा कम होकर 4.5 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है। राजकोषीय घाटे के अनुमान में कमी के बाद अनुमानित सकल और शुद्ध बाजार उधारी भी मामूली घटने का अनुमान है।

मॉनसून की प्रगति भी अच्छी बात रही है। किंतु खुदरा मुद्रास्फीति चिंता का विषय रही है। मई तक लगातार तीन महीने कम रहने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई। बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति ने मजा किरकिरा कर दिया, लेकिन प्रमुख मुद्रास्फीति (खाद्य एवं तेल के अलावा मुद्रास्फीति) 2012 की आधार वर्ष श्रृंखला के आधार पर 3.1 प्रतिशत के सबसे कम स्तर पर रही।

भारत के कुछ हिस्सों में गर्म हवा के थपेड़ों और मॉनसून में विलंब से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है मगर बारिश के रफ्तार पकड़ने के साथ ही हालात सुधर जाएंगे। इन बातों को मद्देनजर रखते हुए रिजर्व बैंक से क्या उम्मीद की जा सकती है? जून में केंद्रीय बैंक ने लगातार आठवीं बार नीतिगत दर बिना किसी बदलाव के 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखी।

जून में मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2025 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। इसमें चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर का अनुमान भी अप्रैल में व्यक्त 7 प्रतिशत की तुलना में बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया गया था। मुद्रास्फीति लक्ष्य 4 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है मगर इसमें 2 प्रतिशत कमीबेशी की गुंजाइश भी छोड़ दी गई है।

वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है और आधार प्रभाव के कारण यह सिलसिला इसी महीने शुरू हो जाएगा किंतु रिजर्व बैंक इससे अपनी नजरें बचाकर नीतिगत दर घटाने में किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाएगा। वास्तव में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के संकल्प पर जोर देने का कोई भी मौका नहीं चूकते हैं।

इस बीच जुलाई में रिजर्व बैंक के बुलेटिन में दो दिलचस्प बातों ने विश्लेषकों को उत्साहित कर दिया। इस बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लिखे अध्याय में स्पष्ट कर दिया गया है कि मुद्रास्फीति की दर 4 प्रतिशत पर ही समेटने पर पूरा ध्यान है। इस अध्याय में कहा गया है, ‘मगर इसका यह मतलब नहीं कि मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत स्तर पर पहुंचने और वहां ठहरने के बाद ही मौद्रिक नीति के रुख में बदलाव पर विचार किया जाएगा। इसके बजाय जोखिम संतुलन का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन, मुद्रास्फीति लक्ष्य की तरफ बढ़ते कदम भविष्य में मौद्रिक नीति का रुख तय करने में मददगार होंगे।’

बुलेटिन के एक अन्य आलेख में स्वाभाविक या तटस्थ ब्याज दर के स्तर की चर्चा की गई। वित्त वर्ष 2024 के लिए तटस्थ दर का अनुमान 1.4 से 1.9 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के 0.8 से 1.0 प्रतिशत के पिछले अनुमान से अधिक है।

मान लें कि अगले एक साल के दौरान औसत मुद्रास्फीति दर 4.5 प्रतिशत रहती है तो 1.4 से 1.9 प्रतिशत की तटस्थ दर पर नीतिगत दर 5.9 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत के बीच रहनी चाहिए। यह 6.5 प्रतिशत की वर्तमान दर से बहुत कम नहीं है। लिहाजा फिलहाल ब्याज दर में कटौती की संभावना बनती नहीं दिख रही मगर कई लोगों को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ‘तटस्थ’ रुख जरूर अपनाएगा।

दिसंबर में नई मौद्रिक नीति समिति के साथ ब्याज दर में कटौती की जा सकती है। मौजूदा समिति अक्टूबर में दोबारा गठित होगी, जिसमें तीन नए बाहरी सदस्य होंगे। बॉन्ड यील्ड में कमी के बाद बाजार की अपेक्षा का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। बॉन्ड पर यील्ड और कीमत दोनों एक दूसरे के विपरीत रहते हैं।

तथाकथित लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो से जुड़े नियमों में संशोधन के बाद बॉन्ड की मांग बढ़ रही है। लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो से अभिप्राय आसानी से कारोबार करने वाली परिसंपत्तियों (सरकारी प्रतिभूतियों) से है। जमा रकम की अचानक निकासी की स्थिति में बैंकों को अगले 30 दिनों के लिए पर्याप्त रकम बरकरार रखनी पड़ती है। संशोधित दिशानिर्देश वित्त वर्ष 2026 से लागू होंगे। इस बीच, फेडरल रिजर्व के सकारात्मक रुख और जुलाई में अमेरिका में बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी के बाद अमेरिका में बॉन्ड पर यील्ड शुक्रवार को फिसल गई, जिससे वैश्विक शेयर बाजार में तहलका मच गया।

क्या इससे एमपीसी के निर्णय पर प्रभाव पड़ेगा? एक कारोबारी अखबार को हाल में दिए एक साक्षात्कार में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक का ध्यान मुद्रास्फीति दर 4 प्रतिशत के भीतर रखने पर है।

हालांकि मौजूदा नीतिगत दर के साथ भी वृद्धि दर तेज है। पिछले तीन वर्षों के दौरान औसत वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत रहने के बाद रिजर्व बैंक को लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस साल 7.2 प्रतिशत दर से वृद्धि करेगी। पहली तिमाही में यह 7.4 प्रतिशत रह सकती है। आर्थिक वृद्धि दर बरकरार रहने पर अब मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है यानी आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मुद्रास्फीति नियंत्रित करना है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर तटस्थ दर को भी बहुत अधिक अहमियत देते नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने तटस्थ दर को अव्यावहारिक करार दिया है। अगस्त में नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद नहीं है मगर रुख बदल सकता है। अगर रुख नहीं बदला तो नीतिगत समीक्षा का नजरिया सकारात्मक रह सकता है।
(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक में वरिष्ठ सलाहकार हैं)

First Published : August 6, 2024 | 10:24 PM IST