अप्रैल महीने की शुरुआत में लंदन में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत-ब्रिटेन निवेशक गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के वित्तीय क्षेत्र की एक शानदार तस्वीर पेश की। उन्होंने बताया कि देश का बाजार पूरी दुनिया के लिए खुला है और यहां पर्याप्त अवसर व महत्वाकांक्षाओं के साथ ही सुधार की पूरी गुंजाइश है। उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी बैंकों के प्रति भारत का रवैया खुला है और उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी निवेश आकर्षित करने की सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
यही इरादा बीमा क्षेत्र के लिए भी है जिस पर फरवरी के बजट में जोर दिया गया था। बजट में बीमा क्षेत्र के लिए शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी गई जिसके लिए शर्तें सरल की जाएंगी। इस कदम का उद्देश्य बीमा क्षेत्र में पूंजी निवेश और भरोसे को बढ़ावा देना है।
उन्होंने बताया कि भारत, वर्ष 2032 तक छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बनने की राह पर है जो 2024 से 2028 तक 7.3 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा जो कि जी20 देशों में सबसे अधिक है। वर्ष 2000 में इस क्षेत्र के खुलने के बाद से इसमें एफडीआई 82,847 करोड़ रुपये के दायरे को पार कर चुका है। नई नीति एक स्पष्ट संदेश देती है कि भारत व्यापार को लेकर गंभीर है।
यह आशावाद काफी हद तक एक बड़े बदलाव पर आधारित है, जिसका नेतृत्व भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) कर रहा है। मार्च 2025 में आईआरडीएआई के अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए देवाशिष पांडा के नेतृत्व में यह एक ‘नियम-पालन से जुड़े नियामक’ से ‘मिशन की तरह काम करने वाले संस्थान’ में बदला है।
यह भी पढ़ें…सरकारी खरीद में सुधार के करने होंगे प्रयास
सुधार की लहर नियामकीय ढांचे में पूर्ण बदलाव के साथ शुरू हुई। 78 नियमों को 26 में समेटा गया और 370 परिपत्रों को 12 मास्टर परिपत्रों में मिला दिया गया। यह प्रयास केवल सरलीकरण का नहीं था बल्कि यह दक्षता में बदलाव से भी जुड़ा था। तीन साल का नया ‘सनसेट क्लॉज’ अब यह सुनिश्चित करता है कि सभी नियम या तो प्रासंगिक बने रहेंगे या फिर समय-समय पर उनका पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। नियामकीय भाषा में यह सुधारवादी है लेकिन व्यवहार में यह क्रांतिकारी है।
इन सुधारों ने उद्योग में नई हलचल पैदा की है। तीन जीवन बीमा कंपनियों, दो सामान्य बीमा कंपनियों, एक स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमा कंपनी और एक पुनर्बीमा कंपनी ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया है। गैर-जीवन बीमा खंड में पांच साल बाद एक नया खिलाड़ी आया है, वहीं जीवन बीमा खंड के लिए यह इंतजार और लंबा करीब एक दशक का था। इस क्रांति की मजबूत रीढ़ बीमा ट्रिनिटी है जो बीमा की पहुंच को व्यापक बनाने के लिए एक तीन-तरफा रणनीति है। इस पर काफी कुछ लिखा जा चुका है। फिर भी यहां एक संक्षिप्त ब्योरा दिया जा रहा है। बीमा सुगम, बीमा क्षेत्र के लिए बिल्कुल ‘यूपीआई’ वाला क्षण है। एक निर्बाध डिजिटल बाजार, बीमा सुगम वास्तव में ग्राहकों, बीमा कंपनियों और मध्यस्थों को एक ही नियम के साथ जोड़ने के लिए तैयार है। इसके पीछे इंडिया स्टैक का समर्थन है जो भारत में वित्तीय और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच का विस्तार करने के लिए डिजाइन किया गया एक मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा है। इसके जरिये यह कम लागत में, बिना कागजी कार्रवाई और वर्चुअल तरीके से कैशलेस बीमा सेवाएं देने का वादा करता है।
बीमा सुगम एक अनूठा डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा है जो बीमा क्षेत्र का लोकतांत्रिकरण करने, नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही व्यक्तिगत जरूरत के हिसाब से योजनाएं तैयार करने, दावे का जल्द निपटान करने और ग्राहकों के लिए बेहतर अनुभव को संभव बनाता है। मध्यस्थता की लागत कम करके और पारदर्शिता को सबसे आगे लाकर, बीमा सुगम वास्तव में बीमा क्षेत्र के तंत्र के दायरे को और व्यापक करने तथा भरोसे को बढ़ाने के लिए तैयार है।
आईआरडीएआई (बीमा सुगम) विनियम, 2024 के अधिसूचित होने और बीमा सुगम इंडिया फेडरेशन के चालू होने के साथ ही यह परियोजना ग्राहकों के अनुभव, और पारदर्शिता में बदलाव के लिए के लिए तैयार है।
दूसरी तरफ, बीमा विस्तार एक सरल, किफायती समाधान है जिसमें जीवन, व्यक्तिगत दुर्घटना, संपत्ति की सुरक्षा और सर्जरी के दौरान रोजाना रकम मिलने वाली सहायता भी शामिल है। यह किफायती होने के साथ ही सरल भी है और वास्तव में इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जैसी व्यापक कवरेज वाली जन बीमा योजनाओं की सफलता को दोहराता है। इसके खाके को अंतिम रूप दे दिया गया है।
बीमा वाहक इस तंत्र के लिए अहम है जो वास्तव में महिलाओं के नेतृत्व वाला जमीनी स्तर का वितरण बल है। ये स्थानीय एजेंट जिनका भरोसा अपने समुदायों में है सुदूर इलाके तक इसके लिए जागरूकता, विश्वास और इसे अपनाने को बढ़ावा देंगे। यह सिर्फ वितरण नहीं है बल्कि यह सशक्तीकरण है। बीमा वाहक, बीमा सुगम का लाभ उठाते हुए बीमा विस्तार का वितरण करेंगी। बीमा वाहक के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित कर दिए गए हैं और इसकी शुरुआत बीमा विस्तार के लॉन्च के साथ ही होगी। विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में बीमा से जुड़ी चर्चा अक्सर इस बात पर केंद्रित होती है कि पहले से ही बीमा कराए गए लोगों के बीच बीमा कवरेज को और कैसे बढ़ाया जाए। लेकिन भारत जैसे बड़े और विविधता वाले देश में प्राथमिकता यह है कि सब तक बीमा पहुंचे। लेकिन ‘2047 तक सबके लिए बीमा’ का लक्ष्य केवल प्रीमियम इकट्ठा करना नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर नागरिक चाहे वह किसान हो, रेहड़ी-पटरी वाला हो या गिग वर्कर, उसके पास बुनियादी जोखिम सुरक्षा हो।
बीमा ट्रिनिटी को बीमा सुगम के रूप में एक डिजिटल आधार, बीमा विस्तार की किफायती योजना और महिलाओं के नेतृत्व वाली, वितरण प्रणाली बीमा वाहक के जरिये चालू किया जा रहा है।
इसके अलावा, एक राज्य बीमा योजना शुरू की गई है और बीमा कंपनियों को विशिष्ट राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि वे स्थानीय आधार पर रणनीतियां तैयार कर सकें। इन प्रयासों की देखरेख एक राष्ट्रीय मिशन कार्यालय करेगा, जो आईआरडीएआई के अध्यक्ष के नेतृत्व वाले एक प्रशासनिक परिषद को रिपोर्ट करेगा।
नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नियामक ने साल के 365 दिन चौबीस घंटे संपर्क को सुलभ कर दिया है। अब बीमाकर्ता और बीमा प्रौद्योगिकी कंपनियां नए विचार दे सकती हैं चाहे वह एआई वाली सेवाएं हों या फिर सूक्ष्म बीमा से जुड़े उत्पाद आदि जिसमें औपचारिक मंजूरी के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा।