केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) के अंतर्गत तयशुदा रकम से भी अधिक रिटर्न (प्रतिफल) मिल सकता है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों को अपनी रकम और सरकार की तरफ से मिलने वाले 10 प्रतिशत अंशदान (कुल 18.5 प्रतिशत) का निवेश अपनी पसंद की योजना में करने का विकल्प दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इन कारणों से प्रतिफल अधिक रह सकता है।
सरकार नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के अंतर्गत कर्मचारी के मूल वेतन का 10 प्रतिशत अंशदान दे रही है जिसे उसने यूपीएस में बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया है। कर्मचारी का अंशदान 10 प्रतिशत बरकरार रखा गया है। कर्मचारी अपने अंशदान और सरकार की तरफ से मिलने वाले 10 प्रतिशत अंशदान के आधार पर पसंद की निवेश योजना चुन सकते हैं।
कर्मचारी चाहें तो स्वतः विकल्प (डिफॉल्ट ऑप्शन) का भी चयन कर सकते हैं, जिसमें रकम बॉन्ड और शेयर में पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार निवेश की जाएगी। इसके अलावा, सरकार की तरफ से 8.5 प्रतिशत अंशदान के साथ एक साझा कोष तैयार किया जाएगा। सरकार इस कोष की रकम का निवेश करेगी। सूत्रों ने कहा कि इस रकम का इस्तेमाल किसी तरह की भरपाई या कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर भुगतान में होगा।
सेवानिवृत्ति के वक्त कर्मचारी को मिल रहे मूल वेतन के आधे हिस्से और निवेश से जमा रकम के बीच अंतर की गणना डिफॉल्ट ऑप्शन में अर्जित प्रतिफल के आधार पर की जाएगी। अगर किसी व्यक्ति को डिफॉल्ट ऑप्शन के मुकाबले उसके तरजीही निवेश विकल्पों में निवेश से अधिक प्रतिफल मिलता है तो अतिरिक्त रकम उसके खाते में पहुंच जाएगी।
सूत्रों ने बताया, इक्विटी निवेश योजनाएं भी उपलब्ध हैं, जिनमें जोखिम तो अधिक होते हैं मगर प्रतिफल भी अधिक मिलते हैं। अगर कोई व्यक्ति डिफॉल्ट ऑप्शन के बजाय इन योजनाओं का चयन करते हैं तो जो भी अतिरिक्त लाभ मिलेगा वह उसी का होगा।
केंद्र सरकार ने 24 अगस्त को यूपीएस पर मुहर लगा दी। इस योजना के तहत कर्मचारी को सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों के औसत मूल वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में मिलेगा बशर्ते उसने न्यूनतम 25 वर्षों की सेवा शर्त पूरी की है। सूत्रों ने कहा, ‘यूपीएस से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा क्योंकि सरकार को इसके तहत अपने कर्मचारियों को एक निश्चित रकम का भुगतान करना होगा।
सरकार जोखिम का भार भी उठाएगी जिससे खर्च और बढ़ेगा मगर इसके लिए कैरी-फॉर्वर्ड या बजट से इतर उधारी का कोई प्रावधान नहीं है।’अगर कोई व्यक्ति न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होता है तो हरेक महीने न्यूनतम 10,000 रुपये पेंशन के रूप में मिलेंगे।
राजकोषीय गणित
पेंशन समीक्षा समिति के अध्यक्ष टी वी सोमनाथन ने कहा कि 18.5 प्रतिशत प्रस्तावित अंशदान में उन मौजूदा कर्मचारियों पर आने वाला खर्च भी शामिल है जो एनपीएस से जुड़े हैं। सोमनाथन ने कहा, ‘एनपीएस से पहले से ही जुड़े कर्मचारियों के लिए शुरुआती वर्षों के लिए जरूरी रकम की गणना भी इस 18.5 प्रतिशत अंशदान में की गई है।’
उन्होंने कहा कि यूपीएस के पहले साल में सरकारी खजाने पर लगभग 6,250 करोड़ रुपये बोझ आने का अनुमान है और इसके अलावा 800 करोड़ रुपये उन लोगों के लिए जरूरी होंगे जो पूर्व में सेवानिवृत्त हो चुके हैं और जो 18.5 प्रतिशत में शामिल नहीं हैं। सोमनाथन ने कहा, कोई दूसरा व्यय या एकबारगी प्रभाव नहीं होगा।’