Car Buying Tips: कार आज सिर्फ सफर का साधन नहीं रह गई है। भारत के शहरों में यह अब लाइफस्टाइल और स्टेटस का प्रतीक भी बन चुकी है। चाहे पहली बार कार खरीदने वाला युवा प्रोफेशनल हो या फिर बड़ा परिवार जिसके लिए स्पेस और सुरक्षा मायने रखते हैं। कार का चुनाव लाइफस्टाइल से सीधे जुड़ा होता है। लेकिन अक्सर लोग कार खरीदते समय यह नहीं सोचते कि आगे चलकर यह उनकी जेब और बचत पर कितना असर डालेगी।
कार एक ऐसा एसेट है जिसकी वैल्यू लगातार घटती है और जिसकी मेंटिनेंस का खर्च समय के साथ बढ़ता है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि बिना योजना के कार खरीदना आपकी बचत और निवेश योजनाओं को पटरी से उतार सकता है। सवाल यह है कि आपकी इनकम के हिसाब से कार कितनी महंगी होनी चाहिए? ईएमआई का बोझ कितना उठाना सही है? और कैसे ऐसी कार लें जिसका मजा भी मिले और पैसों की आजादी भी बनी रहे।
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर और The Richness Academy के संस्थापक तारेश भाटिया का सुझाव है कि कार से जुड़े सभी खर्च – ईएमआई, बीमा, ईंधन, पार्किंग और मेंटेनेंस- आपकी मासिक नेट इनकम के 15–20% से ज्यादा नहीं होने चाहिए। यानी अगर आपकी सैलरी ₹80,000 प्रति माह है, तो कार पर कुल खर्च ₹12,000 से ₹16,000 के बीच ही होना चाहिए। यही नहीं, आपके घर, एजुकेशन या किसी अन्य लोन की ईएमआई मिलाकर कुल भार आपकी नेट इनकम के 35% से ऊपर नहीं जाना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी परिवार की मासिक इनकम ₹1 लाख है और पहले से ही होम लोन की ईएमआई ₹25,000 है, तो कार की ईएमआई ₹10,000–12,000 से ऊपर नहीं होनी चाहिए। इससे ऊपर जाने पर अन्य ज़रूरी खर्चों और बचत योजनाओं पर असर पड़ना शुरू हो जाता है।
कार लोन कई सालों तक चलने वाली जिम्मेदारी होती है। अगर नौकरी बदलने, स्वास्थ्य समस्या या किसी आकस्मिक परिस्थिति में नकदी की कमी हो जाए, तो ईएमआई मिस होने का खतरा रहता है। इस स्थिति से बचने के लिए जिस बैंक खाते से आपकी ईएमआई कटती है, उसमें हमेशा कम से कम तीन महीने की ईएमआई का रिजर्व फंड होना चाहिए। यह बफर आपको अचानक आने वाले झटकों से बचाता है।
मान लीजिए आपकी कार की ईएमआई ₹12,000 है, तो खाते में ₹36,000 अलग से हमेशा मौजूद होना चाहिए। यह आदत न सिर्फ आपको मानसिक शांति देती है, बल्कि क्रेडिट स्कोर और बैंकिंग रिकॉर्ड भी मज़बूत बनाए रखती है।
कार का चुनाव हमेशा जीवन की जरूरतों के हिसाब से होना चाहिए, न कि शौक के दबाव में। शहर में रहने वाले प्रोफेशनल को फ्यूल एफिशिएंसी और आसान पार्किंग पर ध्यान देना चाहिए, जबकि बच्चों वाले परिवार को सुरक्षा और स्पेस को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इसके अलावा, कार का बजट तय करते समय आपके दूसरे बड़े लक्ष्य भी मायने रखते हैं। अगर आप आने वाले सालों में घर लेना चाहते हैं या बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जोड़ रहे हैं, तो कार पर ज़्यादा खर्च करने से ये सपने पूरे करना मुश्किल हो सकता है।
कार लोन की ब्याज दरें आमतौर पर 9–10% तक होती हैं। दूसरी ओर, लंबे समय में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से औसतन 12–14% तक का रिटर्न मिलने की संभावना रहती है। इसका मतलब है कि अगर आप बहुत महंगा लोन लेकर अपनी ईएमआई बढ़ा लेते हैं, तो आपके निवेश की क्षमता घट जाती है। फाइनेंशियल प्लानर भाटिया का सुझाव है कि कार की ईएमआई को सीमित रखें ताकि आप अपनी SIPs और अन्य निवेश योजनाओं को जारी रख सकें।
यह याद रखना जरूरी है कि कार एक डिप्रिसिएटिंग एसेट है। आंकड़ों के मुताबिक, नई कार की वैल्यू पहले साल में 15–20% तक गिर जाती है और पांच साल में यह लगभग आधी रह जाती है। वहीं, मेंटेनेंस का खर्च हर साल बढ़ता जाता है। अगर आपने पहले से रिप्लेसमेंट या मेंटेनेंस फंड बनाकर रखा है, तो भविष्य में कार बदलने के लिए आपको नया महंगा लोन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
लग्जरी या हाई-एंड मॉडल लेने की चाहत स्वाभाविक है, लेकिन उससे पहले वित्तीय नींव मजबूत करना जरूरी है। यानी आपके पास इमरजेंसी फंड होना चाहिए, तीन ईएमआई रिजर्व में रखी होनी चाहिए और कुल लोन का बोझ आपकी नेट इनकम के 35% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर कार आपके बजट से बाहर है तो बेहतर है कि बड़ा डाउन पेमेंट करें, सर्टिफाइड प्री-ओन्ड कार चुनें या कुछ समय इंतजार करके पैसे बचाएं।