किसी भी निवेश से सही समय पर बाहर निकलना निवेशकों के लिए यह महत्त्वपूर्ण निर्णय माना जाता है क्योंकि यह उनकी आर्थिक स्थिति पर असर कर सकता है। शेयर बाजार को अस्थिर माना जाता है और कुछ निवेशक ऐसे होते हैं जो थोड़ी भी घटबढ़ होने पर अपने शेयर की बिक्री कर देते हैं। वहीं कुछ निवेशक सुधार होने की उम्मीद में लंबे समय तक अपने शेयर में टिके रहते हैं। ऐसे में अगर निवेशक यह जान जाएं कि निवेश को भुनाने या उससे बाहर निकलने का सही समय क्या है, तो इससे उन्हें फायदा मिल सकता है।
आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक चिराग मुनि ने कहा, ‘बढ़ते बाजार में जब भी निवेशकों के पास पैसे हो वही निवेश का सही वक्त होता है मगर निवेश भुनाने के वक्त का फैसला भावनात्मक की बजाय तर्कसंगत होना चाहिए। निवेशकों को निवेश से बाहर निकलने का कारण ठीक वैसे ही पता होना चाहिए जैसे उन्हें निवेश का कारण पता था।’
जानकारों ने बताए निवेश भुनाने के संकेत
जब पूरा हो जाए लक्ष्यः निवेश भुनाने का सबसे बड़ा संकेत है कि इसे तब बेच दें जब आप अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य पूरा कर चुके हैं अथवा पूरा करने वाले हैं।
जब मिल जाए बेहतर शेयरः निवेशकों का कहना है कि अगर आपको ऐसा कोई शेयर मिल जाता है तो आपके मौजूदा शेयर से अधिक मजबूत फंडामेंटल वाला है तो आपके मौजूदा शेयर को बेचकर बाहर निकलने का ये सही मौका है।
जब लाभप्रदता में आने लगे कमीः शेयर में लगातार गिरावट आना एक चेतावनी हो सकती है। निवेशकों को अपने निवेश पर बारीक नजर रखनी चाहिए।
जब बढ़ जाए शेयर का मूल्यांकनः जब किसी कंपनी के शेयर की कीमत कम समय में ही तेजी से बढ़ने लगे, तो भले ही वह मजबूत कंपनी हो यह बिक्री करने का सही समय हो सकता है। मजबूत कंपनी के शेयर की कीमत समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है और अचानक आई उछाल यह संकेत होता है कि इसका फायदा उठा लिया जाए।
जब शेयर की कीमत ठहर जाए: कभी-कभार कंपनी के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के बाद भी उसके शेयर की कीमत वास्तविक प्रदर्शन के अनुरूप नहीं रहती है। अगर कंपनी लगातार मजबूत वित्तीय परिणाम दर्ज कर रही है मगर उसके शेयर की कीमत स्थिर ही रह रही है तो इससे कुछ छिपी हुई बातों का पता चलता है जिसे शायर बाजार समझ नहीं पाया है। ऐसे समय में बाजार द्वारा नए सिरे से मूल्यांकन करने से पहले ही शेयर से निकल लेना समझदारी होगा।
जानकार निवेशकों के टिप्स
नियमित करें पोर्टफोलियो की समीक्षाः मूलभूत परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए अपने निवेश का हर तिमाही आकलन करें।
जोखिम प्रबंधनः ट्रेडिंग पोजिशन के लिए स्टॉप-लॉस आर्डर अपनाएं।
कर दक्षताः कम से कम कर लगने के लिए निवेश की अवधि पर विचार करें।
चिराग ने कहा, ‘अपनी निवेश रणनीति के अनुरूप अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करना जरूरी होता है। मगर आपको किसी भी अल्पकालिक कर और एग्जिट लोड को भी ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आप एक साल पूरा करने वाले हैं तो इन लागतों को वहन करने का कोई मतलब नहीं होगा।’