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UPS vs NPS: यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू, NPS से UPS में ट्रांसफर के फायदे और नुकसान जानें

यूनिवर्सल पेंशन सिस्टम (UPS) का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों के लिए उनका योगदान बेसिक सैलरी और डीए (महंगाई भत्ता) का 10% होगा।

Last Updated- April 01, 2025 | 3:13 PM IST
UPS vs NPS
NPS vs UPS

UPS vs NPS: 1 अप्रैल यानी नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की नई पेंशन स्कीम यूनिफाइड पेंशन सिस्टम (UPS) भी आज से लागू हो गई है। इस नई व्यवस्था के तहत अब नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े केंद्रीय कर्मचारियों को एक और विकल्प मिलेगा — UPS।

इस स्कीम के तहत वे सभी केंद्रीय कर्मचारी, जिन्होंने कम से कम 25 साल की सेवा पूरी कर ली है, UPS में ट्रांसफर हो सकते हैं।

साथ ही रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों के औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। इस स्कीम से करीब 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।

पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने मार्च 2025 में UPS को नोटिफाई किया था। इसे अब 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जा रहा है। यह स्कीम खास तौर पर उन कर्मचारियों के लिए लाई गई है, जो NPS में रजिस्टर्ड हैं और रिटायरमेंट के बाद हर महीने तयशुदा पेंशन की उम्मीद रखते हैं।

UPS का मकसद यह है कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को एक सुनिश्चित इनकम मिलती रहे। अब कर्मचारियों को यह तय करना होगा कि वे मौजूदा NPS को जारी रखें या नए UPS की ओर जाएं।

ऐसे में कर्मचारियों के लिए यह जानना जरूरी हो गया है कि दोनों स्कीम्स में क्या अंतर है और उनके लिए कौन-सी योजना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है।

आइए, जानते हैं NPS और UPS में क्या अंतर है…

यूनिफाइड पेंशन स्कीम: एनपीएस से जुड़े कर्मचारियों को मिलेगा रिटायरमेंट के बाद तय पेंशन

केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत जुड़े अपने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) शुरू की है। इस स्कीम का मकसद यह है कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को हर महीने निश्चित पेंशन मिल सके।

यह एक फंड-बेस्ड सिस्टम है, यानी इसमें कर्मचारी और सरकार, दोनों का नियमित योगदान एक फंड में जमा होता है। इस फंड का निवेश किया जाता है और रिटायरमेंट के बाद इसी से हर महीने पेंशन दी जाती है।

इस स्कीम के तहत कर्मचारियों को उनकी सेवा के बाद वित्तीय सुरक्षा देने की कोशिश की गई है।

UPS से जुड़ी जरूरी बातें: कौन ले सकता है लाभ और कितनी मिलेगी पेंशन

अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत आते हैं, तो अब आपके पास यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का विकल्प चुनने का मौका है।

कितनी पेंशन मिलेगी UPS के तहत?

इस स्कीम के तहत रिटायरमेंट के समय मिलने वाली पूरी पेंशन, रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक पे का 50% होगी। लेकिन यह पूरा लाभ सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा, जिन्होंने कम से कम 25 साल की क्वालिफाइंग सर्विस पूरी की हो। अगर सेवा अवधि इससे कम है, तो पेंशन भी उसी के अनुपात में मिलेगी।

10 साल या उससे ज्यादा सेवा पर क्या मिलेगा?

अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल या उससे ज्यादा की क्वालिफाइंग सर्विस पूरी की है, और समय पर योगदान जमा किया है और कोई निकासी नहीं की है, तो उन्हें कम से कम ₹10,000 प्रति माह की गारंटीड पेंशन मिलेगी।

अगर कोई वॉलंटरी रिटायरमेंट लेता है तो?

ऐसे कर्मचारी जिन्होंने 25 साल या उससे ज्यादा की सेवा पूरी कर ली है और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) लेते हैं, उन्हें UPS के तहत पेंशन उसी दिन से मिलनी शुरू होगी जिस दिन वे सामान्य रूप से रिटायर होते।

UPS स्कीम में परिवार को क्या मिलेगा? जानिए किसे और कब मिलता है भुगतान

अगर UPS (Assured Payout Scheme) से जुड़े किसी कर्मचारी की मौत रिटायरमेंट के बाद हो जाती है, तो उसकी पत्नी को हर महीने उस राशि का 60% हिस्सा मिलेगा, जो मौत से पहले कर्मचारी को मिल रही थी। यह लाभ सिर्फ उसी पत्नी को मिलेगा जिससे कर्मचारी की शादी या तो सुपरन्यूएशन (सेवानिवृत्ति) के दिन या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) या FR 56(j) नियम के तहत रिटायरमेंट के दिन तक हुई हो।

किन्हें मिलेगा UPS स्कीम का फायदा? जानें पात्रता की शर्तें

UPS स्कीम के तहत केंद्र सरकार के वे कर्मचारी पात्र होंगे जो NPS (National Pension System) के तहत आते हैं और UPS का विकल्प चुनते हैं। उनके लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं:

  1. सुपरन्यूएशन के बाद – अगर कर्मचारी ने कम से कम 10 साल की सेवा पूरी की है, तो रिटायरमेंट के दिन से UPS का भुगतान मिलेगा।
  2. FR 56(j) के तहत रिटायरमेंट – अगर यह रिटायरमेंट सजा के तौर पर नहीं है, तो उसी दिन से UPS का लाभ मिलेगा।
  3. स्वैच्छिक रिटायरमेंट (VRS) – अगर कर्मचारी ने कम से कम 25 साल की सेवा की है, तो उसे UPS का भुगतान उसी दिन से मिलेगा जिस दिन वह सुपरन्यूएट हुआ होता अगर सेवा जारी रहती।

UPS के तहत कर्मचारी और केंद्र सरकार का योगदान कितना होगा?

यूनिवर्सल पेंशन सिस्टम (UPS) का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों के लिए उनका योगदान बेसिक सैलरी और डीए (महंगाई भत्ता) का 10% होगा। ठीक इतनी ही राशि यानी 10% केंद्र सरकार की ओर से भी योगदान के रूप में दी जाएगी। ये दोनों योगदान कर्मचारी के व्यक्तिगत कॉर्पस (पेंशन फंड) में जमा किए जाएंगे।

इसके अलावा, केंद्र सरकार सभी UPS चुनने वाले कर्मचारियों के लिए सामूहिक कॉर्पस में औसतन 8.5% का अतिरिक्त योगदान देगी। यह अतिरिक्त राशि सुनिश्चित पेंशन भुगतान (assured payouts) को सपोर्ट करने के लिए दी जाएगी।

जानें NPS के बारे में-

नई पेंशन योजना यानी NPS की शुरुआत साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने की थी। इसका मकसद पुरानी पेंशन योजना (OPS) की जगह लेना था। हालांकि, इसकी शुरुआत से ही इसका विरोध होता रहा है, जो आज भी जारी है।

इस योजना में कर्मचारियों को भी अपनी सैलरी से पेंशन के लिए योगदान देना होता है, जो कि पुरानी योजना से अलग है। एनपीएस के तहत पेंशन की 60% राशि रिटायरमेंट पर निकाली जा सकती है, जो टैक्स फ्री होती है। बाकी 40% रकम पर टैक्स लगता है, जो व्यक्ति की इनकम स्लैब पर निर्भर करता है।

NPS दो तरह के अकाउंट में बंटा है:

टियर 1 खाता: इसमें जमा पैसा रिटायरमेंट तक नहीं निकाला जा सकता।

टियर 2 खाता: इसमें कभी भी पैसे निकाले जा सकते हैं।

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80CCD के तहत एनपीएस में निवेश करने पर सालाना 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है। इस वजह से यह योजना रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एक अच्छा विकल्प बन जाती है।

NPS: हर भारतीय के लिए पेंशन की सस्ती और आसान योजना

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक ऐसी सरकारी योजना है, जिसे पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा रेगुलेट किया जाता है। यह अथॉरिटी संसद के अधिनियम PFRDA एक्ट 2013 के तहत बनी है।

NPS की खास बातें

  • सभी के लिए पेंशन: इसे कोई भी भारतीय नागरिक—चाहे वह देश में रह रहा हो या विदेश में, स्वेच्छा से ले सकता है।
  • कम खर्च वाली योजना: एनपीएस दुनियाभर की सबसे सस्ती पेंशन योजनाओं में से एक है।
  • लचीलापन: इसमें ग्राहक अपनी पसंद के अनुसार प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस (PoP), सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (CRA), पेंशन फंड और एसेट एलोकेशन चुन सकता है। बाद में इन्हें बदला भी जा सकता है।
  • पोर्टेबल खाता: एनपीएस खाता नौकरी, स्थान या देश बदलने पर भी ट्रांसफर किया जा सकता है।
  • टैक्स में फायदा: इस योजना में निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत टैक्स में छूट मिलती है।
  • बेहतर रिटर्न: इसमें निवेश बाजार से जुड़ा होता है, यानी ग्राहक के चयन पर आधारित होता है।
  • पारदर्शिता: ग्राहक अपना खाता ऑनलाइन 24×7 एक्सेस कर सकता है और जरूरी जानकारियां सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होती हैं।

कौन ले सकता है NPS का फायदा?

  • कोई भी भारतीय नागरिक (निवासी या अनिवासी) और ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI)
  • 18 से 70 साल की उम्र वाले लोग
  • जिन्होंने KYC (नो योर कस्टमर) की प्रक्रिया पूरी कर ली हो

कौन नहीं ले सकता NPS?

  • हिंदू अविभाजित परिवार (HUF)
  • पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन (PIO)
  • किसी तीसरे व्यक्ति के लिए खाता नहीं खोला जा सकता
  • खाता खोलने वाला व्यक्ति भारतीय अनुबंध अधिनियम के अनुसार कानूनी रूप से सक्षम होना चाहिए

UPS बनाम NPS: जानिए क्या बदलेगा कर्मचारियों के लिए

सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और पुराने सिस्टम यानी नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के बीच कई बड़े बदलाव किए गए हैं। UPS में कर्मचारियों को अब बाजार जोखिम से राहत और निश्चित पेंशन की गारंटी मिलेगी।

1. फिक्स पेंशन बनाम बाजार आधारित पेंशन

UPS में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को उसकी आखिरी सैलरी का 50% फिक्स पेंशन के रूप में मिलेगा। जबकि NPS में यह पेंशन शेयर बाजार के रिटर्न पर निर्भर करती है, जिससे पेंशन की रकम घट-बढ़ती रहती है।

2. सरकार का योगदान ज्यादा

UPS के तहत कर्मचारी अपनी सैलरी का 10% पेंशन में देंगे, जबकि सरकार अब 18.5% का योगदान देगी। NPS में यह सरकारी योगदान 14% था।

3. एकमुश्त रकम भी मिलेगी

25 साल की सेवा के बाद UPS में कर्मचारियों को हर महीने फिक्स पेंशन के साथ-साथ एकमुश्त रकम भी दी जाएगी। यह रकम महंगाई के हिसाब से बढ़ती रहेगी। NPS में यह सुविधा नहीं है।

4. गारंटीड पेंशन का वादा

UPS में 25 साल की सेवा के बाद पेंशन की गारंटी है – कम से कम आखिरी सैलरी का 50%। अगर किसी कर्मचारी की सेवा 10 साल की भी हो, तो भी उसे हर महीने कम से कम ₹10,000 पेंशन मिलना तय होगा। लेकिन NPS में पेंशन की ऐसी कोई गारंटी नहीं होगी।

5. बाजार पर कम निर्भरता

NPS पूरी तरह बाजार पर आधारित होता है, जिससे रिटर्न अस्थिर रहते हैं। UPS में इस जोखिम को काफी हद तक हटा दिया गया है, जिससे पेंशन की रकम स्थिर और भरोसेमंद रहेगी।

6. NPS की पृष्ठभूमि

NPS की शुरुआत 2004 में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए हुई थी। 2009 में इसे निजी क्षेत्र के लिए भी खोल दिया गया। इस स्कीम का संचालन पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) करती है।

First Published - April 1, 2025 | 3:13 PM IST

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