हाल के दिनों में शेयर बाजार में प्रौद्योगिकी फंड (tech fund) बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली श्रेणी बन गई है। पिछले एक साल में इस श्रेणी ने औसतन 35.2 फीसदी का रिटर्न दिया है और पिछले तीन महीने में 22 फीसदी का रिटर्न मिला है।
कोटक महिंद्रा ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी की कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं इक्विटी रिसर्च की प्रमुख शिवानी सरकार कुरियन कहती हैं, ‘भारत में आईटी सेवा कंपनियों के लिए संरचनात्मक अवसर बड़े पैमाने पर बने हुए हैं। भारतीय कंपनियां न केवल किफायती सेवाएं देती हैं बल्कि वैश्विक कंपनियों को मूल्यवर्धित सेवाएं और समाधान भी मुहैया कराती हैं। प्रौद्योगिकी फंड निवेशकों को केवल इसके उपयोगकर्ता होने के बजाय इसमें हिस्सेदारी का अवसर देता है।’
ये योजनाएं कम से कम 80 फीसदी निवेश प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयरों में करती हैं। इस साल 31 अगस्त तक प्रौद्योगिकी क्षेत्र की 26 योजनाओं ने 45,637 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति का प्रबंधन किया है।
प्रौद्योगिकी फंडों को साल 2022 में चुनौतियों का सामना करना पड़ा था जब ब्याज दरों में वृद्धि के कारण निवेशकों ने आर्थिक सुस्ती की आशंकाओं के बीच प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयर बेच दिए थे। उस साल इस श्रेणी के फंडों को औसतन 23 फीसदी का नुकसान हुआ था। साल 2023 में खासकर दूसरी छमाही के दौरान व्यापक बाजारों के साथ प्रौद्योगिकी शेयर चढ़ने लगे। आगे ब्याज दरों में कटौती से इस क्षेत्र को फायदा मिल सकता है।
वॉलेट हेल्थ के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी एस श्रीधरन कहते हैं, ‘पिछले कुछ वर्षों में दर वृद्धि से प्रदर्शन पर चोट पहुंची है, लेकिन केंद्रीय बैंक द्वारा दर कटौती के संकेत से इस क्षेत्र की वापसी हो रही है।’
प्रौद्योगिकी क्षेत्र काफी विविधता वाला है। सेवा कंपनियों ने अमेरिका और यूरोप जैसे देशों के बाजार में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। इस बीच, भारत में कई प्रौद्योगिकी कंपनियां अब अपना कारोबार चलाने के तरीकों में बदलाव ला रही हैं। उभरती प्रौद्योगिकी में काम करने वाली उनमें से अधिकतर कंपनियां महत्त्वपूर्ण वृद्धि की राह पर हैं।
राइट होराइजन्स के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी अनिल रेगो का कहना है, ‘गैर जरूरी खर्चों में कमी के बाद अब आईटी सेवा क्षेत्र सुधार की देहरी पर है। पिछले 18 से 24 महीनों के दौरान सौदों की गति से राजस्व बढ़ने की संभावना है। लागत कम होने से इसे और आधार मिलेगा। अमेरिका में चुनाव और दर कटौती के बाद वहां के ग्राहक ज्यादा खर्च कर सकते हैं क्योंकि उपभोक्ता धारणा सुधरेगी।’ आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और जेनरेटिव एआई को अपनाने से इस क्षेत्र की वृद्धि को बल मिलेगा।
कुरियन ने कहा, ‘भारतीय आईटी सेवा कंपनियां इस मौके का फायदा लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और कौशल क्षमता बढ़ाने और एआई वाले पेशकशों के लिए भारी निवेश कर रही हैं।’
सेक्टोरल फंड होने से प्रौद्योगिकी फंडों में केंद्रीकरण का जोखिम अधिक रहता है। श्रीधरन कहते हैं, ‘प्रौद्योगिकी शेयर अस्थिर हो सकते हैं। निवेशकों के पोर्टफोलियो में एक ही क्षेत्र में अधिक निवेश नहीं होना चाहिए और विविधीकरण का रुख करना चाहिए।’ निवेशकों को संभावित जोखिमों का भी ख्याल रखना चाहिए।
कुरियन कहती हैं, ‘अमेरिका में मंदी, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर कटौती में देरी और यूरोप में लंबे समय तक सुस्ती से गैर जरूरी खर्चों की वापसी पर असर पड़ सकता है या उसमें देरी हो सकती है।’
रणनीतिक आवंटन के लिए सैटेलाइट पोर्टफोलियो में सेक्टोरल फंड का सबसे अच्छा उपयोग होता है। श्रीधरन का कहना है, ‘निवेशकों को प्रौद्योगिकी फंडों में निवेश करीब 10 से 15 फीसदी तक सीमित रखना चाहिए और शेष निवेश विविध इक्विटी फंडों में करना चाहिए।’ अधिक जोखिम लेने की क्षमता वाले निवेशक आईटी फंडों में निवेश कर सकते हैं।